ETV Bharat / state

Hemlal Murmu will Join JMM: व्हाट्सएप और फेसबुक पर चलता है बीजेपी का संगठन, ऊपर से थोपा जाता है उम्मीदवार: हेमलाल मुर्मू

संथाल में भाजपा को जोर का झटका लगा है. भाजपा के प्रांतीय उपाध्यक्ष रहे हेमलाल मुर्मू भाजपा का दामन छोड़ फिर झामुमो में शामिल होंगे. 11 अप्रैल को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की उपस्थिति में वह पार्टी का दामन थामेंगे.

author img

By

Published : Apr 3, 2023, 5:49 PM IST

Hemlal Murmu will join Jmm
Hemlal Murmu will join Jmm
संवाददाता उपेंद्र कुमार के साथ हेमलाल मुर्मू की खास बातचीत

रांची: वर्ष 2024 में होने वाले लोकसभा और विधानसभा चुनाव को लेकर झारखंड में राजनीतिक शह और मात का खेल अब शुरू होने वाला है. इसकी शुरुआत 11 अप्रैल को संथाल से होने जा रहा है. उस दिन राज्य के पूर्व शिक्षा और स्वास्थ्य मंत्री हेमलाल मुर्मू, भोगनाडीह में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की उपस्थिति में झारखंड मुक्ति मोर्चा का दामन थामेंगे. आठ वर्षों से अधिक समय तक भारतीय जनता पार्टी के नेता रहे हेमलाल मुर्मू को क्यों घर वापसी का फैसला लेना पड़ा, इन सब पहलुओं पर उनसे बात की हमारे रांची संवाददाता उपेंद्र कुमार ने.

इसलिए लिया झामुमो में वापसी का फैसला: पूर्व स्वास्थ्य मंत्री हेमलाल मुर्मू ने कहा कि झारखंड मुक्ति मोर्चा में 35-40 वर्ष तक उन्होंने काम किया और संगठन को मजबूत किया. भाजपा में जाने के बाद उन्होंने पिछले 08-09 वर्षों में महसूस किया कि झामुमो से वहां (संथाल) के लोगों (खासकर अनुसूचित जनजाति वाले क्षेत्र) से भावनात्मक लगाव और जुड़ाव है. आज महसूस होता है कि वर्ष 2014 में झामुमो छोड़ भाजपा में जाने का उनका फैसला जल्दीबाजी में लिया गया फैसला था. उन्हें लगा कि क्षेत्रीय पार्टी की अपेक्षा भाजपा जैसी राष्ट्रीय पार्टी में जाकर वह जनता की सेवा ज्यादा बेहतर तरीके से कर पायेंगे. भाजपा को भी हमने नजदीक से देखा, प्रांतीय उपाध्यक्ष भी रहा.

यह भी पढ़ें: खतियानी जोहार यात्रा में दिखा अलग ही नजाराः लोबिन से दूरी और हेमलाल से नजदीकी, माजरा जानने के लिए पढ़ें पूरी खबर

हेमलाल मुर्मू कहते हैं कि उन्होंने महसूस किया कि झामुमो के कार्यकर्ता और नेता के रूप में अपनी जनता के बीच झामुमो को लेकर जो आकर्षण और जादू पैदा किया था, बतौर भाजपा नेता ना हम उसे बदल पाएं और ना समाप्त कर पाएं.

पूर्व स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि संथाल में भारतीय जनता पार्टी ग्रास रुट की राजनीति नहीं करती है. संगठन व्हाट्सएप और फेसबुक पर चलता है. ऐसे में झामुमो ही उनके लिए एक बेहतर विकल्प था, जहां समाज के अंतिम पायदान पर बैठे लोगों के लिए कुछ किया जा सकता है.

'सिर्फ हिंदुत्व और राष्ट्रवाद से राजनीतिक सफलता नहीं पाई जा सकती': भाजपा छोड़ झामुमो में वापसी का फैसला कर चुके पूर्व स्वास्थ्य मंत्री हेमलाल मुर्मू ने ईटीवी भारत के सवाल (क्या संथाल में भाजपा एक मजबूत राजनीतिक ताकत बन सकती है?) के जवाब में कहा कि सिर्फ हिंदुत्व और राष्ट्रवाद के भरोसे राजनीतिक स्वार्थ की सिद्धि नहीं की जा सकती है. उन्होंने पिछले विधानसभा चुनाव का जिक्र करते हुए कहा कि भाजपा ने उन्हें लिट्टीपाड़ा से साइमन मरांडी के खिलाफ चुनाव लड़वाया था. हम जीत की ओर बढ़ रहे थे कि तभी तत्कालीन सीएम का एक बयान बूचड़खाने बंद कराने को लेकर आ गया और हम एक बयान से हार गए, जबकि खुद मैंने रघुवर दास को ऐसे बयान देने से बचने के लिए कहा था.

यह भी पढ़ें: भाजपा नेता हेमलाल मुर्मू सीएम के कार्यक्रम में हुए शामिल, झामुमो में वापसी की चर्चा जोरों पर

झामुमो में मिलेगा मान सम्मान: क्या, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से वें तमाम गिले-शिकवे दूर हो गए, जिसकी वजह से आपने झामुमो को छोड़ा था? इस सवाल के जवाब में हेमलाल मुर्मू ने कहा कि चूकिं आज की तारीख में परिस्थितियां बदली हुई हैं, ताली कभी एक हाथ से नहीं बजती. उन्हें उम्मीद है कि संगठन में काम करने का मौका मिलेगा. उन्होंने कहा कि जब संगठन मजबूत होगा तो उसका लाभ झामुमो को भी मिलेगा और उन्हें भी.

मैं लोबिन हेंब्रम का विकल्प नहीं: भाजपा के प्रांतीय उपाध्यक्ष तक रहे पूर्व शिक्षा और स्वास्थ्य मंत्री हेमलाल मुर्मू ने कहा कि झामुमो पार्टी भविष्य में क्या दायित्व देगी, यह वह नहीं जानते हैं, लेकिन उनका मानना है कि वह लोबिन हेंब्रम के विकल्प नहीं हैं. उन्होंने कहा कि लोबिन हेंब्रम की अपनी विचारधारा है. उनसे झामुमो के किसी बड़े नेता ने यह नहीं कहा कि उन्हें लोबिन का विकल्प बनना है.

'2024 में भाजपा का लोकसभा सीट घटेगा, विधानसभा चुनाव के बाद फिर हेमंत की ही सरकार बनेगी': पूर्व स्वास्थ्य मंत्री हेमलाल मुर्मू ने कहा कि उन्हें ऐसा लगता है कि राज्य में भारतीय जनता पार्टी का ग्राफ गिरा है और 2024 के लोकसभा चुनाव में उनकी सीटों की संख्या कम होगी और विधानसभा चुनाव के बाद एक बार फिर हेमंत सोरेन की सत्ता में वापसी होगी. उन्होंने कहा कि भाजपा ऐसी पार्टी है जो विधानसभा क्षेत्र के लोगों और पार्टी कार्यकर्ताओं की इच्छा का ख्याल रखे बिना ऊपर से उम्मीदवार दे देती है. जैसा कि पिछले विधानसभा चुनाव में बरहेट में हुआ. ऐसे में भाजपा संथाल में कभी मजबूत नहीं हो सकती.

हेमलाल के घर वापसी पर भाजपा अध्यक्ष ने दी शुभकामनाएं: भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद दीपक प्रकाश से जब यह पूछा गया कि संथाल के बड़े नेता हेमलाल मुर्मू भाजपा छोड़कर फिर से झामुमो का दामन थाम रहे हैं तो उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि उन्हें मेरी तरफ से शुभकामनाएं हैं.

झामुमो और बीजेपी नेताओं का बयान

वहीं हेमलाल मुर्मू के झारखंड मुक्ति मोर्चा में वापसी को लेकर पूछे गए सवाल पर झामुमो के केंद्रीय प्रवक्ता मनोज पांडे ने कहा कि यह हेमंत सोरेन के कुशल नेतृत्व का प्रभाव है कि भारतीय जनता पार्टी के नेताओं को भी लगने लगा है कि अगर उन्हें अपने राजनीतिक वजूद को बचाना है तो झारखंड मुक्ति मोर्चा का दामन थामना ही पड़ेगा. उन्होंने कहा कि अभी भारतीय जनता पार्टी के कई बड़े नेता झामुमो के संपर्क में हैं, जो समय आने पर भाजपा छोड़ झारखंड मुक्ति मोर्चा का दामन थामेंगे.

कौन हैं हेमलाल मुर्मू?: हेमलाल मुर्मू झारखंड के एक सशक्त और कद्दावर आदिवासी नेता माने जाते हैं. 1990 से वह कई बार विधायक रहे हैं. एक बार लोकसभा सदस्य भी रहे हैं. झारखंड बनने के बाद उन्होंने राज्य में शिक्षा मंत्री और स्वास्थ्य मंत्री का महत्वपूर्ण पद भी संभाला है. ऐसा माना जाता है कि वर्ष 2014 में विजय हांसदा को राजमहल लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाने और उससे पहले हेमंत सोरेन द्वारा लिए गए कई राजनीति फैसलों से हेमलाल मुर्मू सहमत नहीं थे, इसलिए उन्होंने झामुमो छोड़ दिया था. भाजपा में जाने के बाद उन्हें दो बार लोकसभा और दो बार विधानसभा का उम्मीदवार बनाया गया, लेकिन वह सफलता नहीं पा सकें. अब भले ही लोबिन हेंब्रम को लेकर वह कुछ भी कहने से बचते दिख रहे हों, लेकिन कयास यह लगाए जा रहे हैं कि जिस तरह से लोबिन हेंब्रम, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के हर फैसले का विरोध करते हैं, वैसे में उन्हें साधने के लिए ही हेमलाल मुर्मू की घर वापसी करायी जा रही है.

संवाददाता उपेंद्र कुमार के साथ हेमलाल मुर्मू की खास बातचीत

रांची: वर्ष 2024 में होने वाले लोकसभा और विधानसभा चुनाव को लेकर झारखंड में राजनीतिक शह और मात का खेल अब शुरू होने वाला है. इसकी शुरुआत 11 अप्रैल को संथाल से होने जा रहा है. उस दिन राज्य के पूर्व शिक्षा और स्वास्थ्य मंत्री हेमलाल मुर्मू, भोगनाडीह में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की उपस्थिति में झारखंड मुक्ति मोर्चा का दामन थामेंगे. आठ वर्षों से अधिक समय तक भारतीय जनता पार्टी के नेता रहे हेमलाल मुर्मू को क्यों घर वापसी का फैसला लेना पड़ा, इन सब पहलुओं पर उनसे बात की हमारे रांची संवाददाता उपेंद्र कुमार ने.

इसलिए लिया झामुमो में वापसी का फैसला: पूर्व स्वास्थ्य मंत्री हेमलाल मुर्मू ने कहा कि झारखंड मुक्ति मोर्चा में 35-40 वर्ष तक उन्होंने काम किया और संगठन को मजबूत किया. भाजपा में जाने के बाद उन्होंने पिछले 08-09 वर्षों में महसूस किया कि झामुमो से वहां (संथाल) के लोगों (खासकर अनुसूचित जनजाति वाले क्षेत्र) से भावनात्मक लगाव और जुड़ाव है. आज महसूस होता है कि वर्ष 2014 में झामुमो छोड़ भाजपा में जाने का उनका फैसला जल्दीबाजी में लिया गया फैसला था. उन्हें लगा कि क्षेत्रीय पार्टी की अपेक्षा भाजपा जैसी राष्ट्रीय पार्टी में जाकर वह जनता की सेवा ज्यादा बेहतर तरीके से कर पायेंगे. भाजपा को भी हमने नजदीक से देखा, प्रांतीय उपाध्यक्ष भी रहा.

यह भी पढ़ें: खतियानी जोहार यात्रा में दिखा अलग ही नजाराः लोबिन से दूरी और हेमलाल से नजदीकी, माजरा जानने के लिए पढ़ें पूरी खबर

हेमलाल मुर्मू कहते हैं कि उन्होंने महसूस किया कि झामुमो के कार्यकर्ता और नेता के रूप में अपनी जनता के बीच झामुमो को लेकर जो आकर्षण और जादू पैदा किया था, बतौर भाजपा नेता ना हम उसे बदल पाएं और ना समाप्त कर पाएं.

पूर्व स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि संथाल में भारतीय जनता पार्टी ग्रास रुट की राजनीति नहीं करती है. संगठन व्हाट्सएप और फेसबुक पर चलता है. ऐसे में झामुमो ही उनके लिए एक बेहतर विकल्प था, जहां समाज के अंतिम पायदान पर बैठे लोगों के लिए कुछ किया जा सकता है.

'सिर्फ हिंदुत्व और राष्ट्रवाद से राजनीतिक सफलता नहीं पाई जा सकती': भाजपा छोड़ झामुमो में वापसी का फैसला कर चुके पूर्व स्वास्थ्य मंत्री हेमलाल मुर्मू ने ईटीवी भारत के सवाल (क्या संथाल में भाजपा एक मजबूत राजनीतिक ताकत बन सकती है?) के जवाब में कहा कि सिर्फ हिंदुत्व और राष्ट्रवाद के भरोसे राजनीतिक स्वार्थ की सिद्धि नहीं की जा सकती है. उन्होंने पिछले विधानसभा चुनाव का जिक्र करते हुए कहा कि भाजपा ने उन्हें लिट्टीपाड़ा से साइमन मरांडी के खिलाफ चुनाव लड़वाया था. हम जीत की ओर बढ़ रहे थे कि तभी तत्कालीन सीएम का एक बयान बूचड़खाने बंद कराने को लेकर आ गया और हम एक बयान से हार गए, जबकि खुद मैंने रघुवर दास को ऐसे बयान देने से बचने के लिए कहा था.

यह भी पढ़ें: भाजपा नेता हेमलाल मुर्मू सीएम के कार्यक्रम में हुए शामिल, झामुमो में वापसी की चर्चा जोरों पर

झामुमो में मिलेगा मान सम्मान: क्या, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से वें तमाम गिले-शिकवे दूर हो गए, जिसकी वजह से आपने झामुमो को छोड़ा था? इस सवाल के जवाब में हेमलाल मुर्मू ने कहा कि चूकिं आज की तारीख में परिस्थितियां बदली हुई हैं, ताली कभी एक हाथ से नहीं बजती. उन्हें उम्मीद है कि संगठन में काम करने का मौका मिलेगा. उन्होंने कहा कि जब संगठन मजबूत होगा तो उसका लाभ झामुमो को भी मिलेगा और उन्हें भी.

मैं लोबिन हेंब्रम का विकल्प नहीं: भाजपा के प्रांतीय उपाध्यक्ष तक रहे पूर्व शिक्षा और स्वास्थ्य मंत्री हेमलाल मुर्मू ने कहा कि झामुमो पार्टी भविष्य में क्या दायित्व देगी, यह वह नहीं जानते हैं, लेकिन उनका मानना है कि वह लोबिन हेंब्रम के विकल्प नहीं हैं. उन्होंने कहा कि लोबिन हेंब्रम की अपनी विचारधारा है. उनसे झामुमो के किसी बड़े नेता ने यह नहीं कहा कि उन्हें लोबिन का विकल्प बनना है.

'2024 में भाजपा का लोकसभा सीट घटेगा, विधानसभा चुनाव के बाद फिर हेमंत की ही सरकार बनेगी': पूर्व स्वास्थ्य मंत्री हेमलाल मुर्मू ने कहा कि उन्हें ऐसा लगता है कि राज्य में भारतीय जनता पार्टी का ग्राफ गिरा है और 2024 के लोकसभा चुनाव में उनकी सीटों की संख्या कम होगी और विधानसभा चुनाव के बाद एक बार फिर हेमंत सोरेन की सत्ता में वापसी होगी. उन्होंने कहा कि भाजपा ऐसी पार्टी है जो विधानसभा क्षेत्र के लोगों और पार्टी कार्यकर्ताओं की इच्छा का ख्याल रखे बिना ऊपर से उम्मीदवार दे देती है. जैसा कि पिछले विधानसभा चुनाव में बरहेट में हुआ. ऐसे में भाजपा संथाल में कभी मजबूत नहीं हो सकती.

हेमलाल के घर वापसी पर भाजपा अध्यक्ष ने दी शुभकामनाएं: भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद दीपक प्रकाश से जब यह पूछा गया कि संथाल के बड़े नेता हेमलाल मुर्मू भाजपा छोड़कर फिर से झामुमो का दामन थाम रहे हैं तो उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि उन्हें मेरी तरफ से शुभकामनाएं हैं.

झामुमो और बीजेपी नेताओं का बयान

वहीं हेमलाल मुर्मू के झारखंड मुक्ति मोर्चा में वापसी को लेकर पूछे गए सवाल पर झामुमो के केंद्रीय प्रवक्ता मनोज पांडे ने कहा कि यह हेमंत सोरेन के कुशल नेतृत्व का प्रभाव है कि भारतीय जनता पार्टी के नेताओं को भी लगने लगा है कि अगर उन्हें अपने राजनीतिक वजूद को बचाना है तो झारखंड मुक्ति मोर्चा का दामन थामना ही पड़ेगा. उन्होंने कहा कि अभी भारतीय जनता पार्टी के कई बड़े नेता झामुमो के संपर्क में हैं, जो समय आने पर भाजपा छोड़ झारखंड मुक्ति मोर्चा का दामन थामेंगे.

कौन हैं हेमलाल मुर्मू?: हेमलाल मुर्मू झारखंड के एक सशक्त और कद्दावर आदिवासी नेता माने जाते हैं. 1990 से वह कई बार विधायक रहे हैं. एक बार लोकसभा सदस्य भी रहे हैं. झारखंड बनने के बाद उन्होंने राज्य में शिक्षा मंत्री और स्वास्थ्य मंत्री का महत्वपूर्ण पद भी संभाला है. ऐसा माना जाता है कि वर्ष 2014 में विजय हांसदा को राजमहल लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाने और उससे पहले हेमंत सोरेन द्वारा लिए गए कई राजनीति फैसलों से हेमलाल मुर्मू सहमत नहीं थे, इसलिए उन्होंने झामुमो छोड़ दिया था. भाजपा में जाने के बाद उन्हें दो बार लोकसभा और दो बार विधानसभा का उम्मीदवार बनाया गया, लेकिन वह सफलता नहीं पा सकें. अब भले ही लोबिन हेंब्रम को लेकर वह कुछ भी कहने से बचते दिख रहे हों, लेकिन कयास यह लगाए जा रहे हैं कि जिस तरह से लोबिन हेंब्रम, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के हर फैसले का विरोध करते हैं, वैसे में उन्हें साधने के लिए ही हेमलाल मुर्मू की घर वापसी करायी जा रही है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.