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हेमंत सोरेन माइनिंग लीज मामला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट, आज होगी सुनवाई - Supreme court

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के खनन पट्टा के मामले में आज (20 मई 2022) सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी. झारखंड सरकार की ओर से कपिल सिब्बल और मुकुल रोहतगी की गुहार पर शेल कंपनियों को खनन पट्टों की कथित मंजूरी मामले की सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट तैयार हो गया है.

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सुप्रीम कोर्ट
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Published : May 20, 2022, 7:14 AM IST

रांची: झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनके परिवार के सदस्यों, साथियों द्वारा चलायी जा रही शेल कंपनियों को खनन पट्टों की कथित मंजूरी मामले की सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट तैयार हो गया है. मुख्यमंत्री रहते खनन पट्टा मंजूरी को लेकर सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय की जांच से जुड़ी याचिका पर आज (20 मई 2022) को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी.

ये भी पढे़ं:- सीएम के नाम खदान लीज आवंटन में माइंस सेक्रेटरी पूजा सिंघल की है भूमिका, ईडी ने हाईकोर्ट में दाखिल किया हलफनामा

सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट तैयार: मुख्य न्यायाधीश एनवी रमण और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और मुकुल रोहतगी की दलीलों पर गौर किया. कोर्ट ने कहा कि यह एक गंभीर मामला है, जिसमें जांच एजेंसी नोटिस जारी करने से पहले झारखंड उच्च न्यायालय में सीलबंद लिफाफे में दस्तावेज दाखिल कर रही है. उन्होंने दलील दी कि जांच एजेंसी दूसरे पक्ष को भी यह दस्तावेज नहीं दे रही है.

सुप्रीम कोर्ट में कपिल सिब्बल की दलील : वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और मुकुल रोहतगी की दलील पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम इसे 20 मई 2022 को सूचीबद्ध करेंगे. कोर्ट ने कहा कि यह गंभीर मामला है. झारखंड उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दाखिल की गयी है जिसे अभी स्वीकार नहीं किया गया है. झारखंड हाई कोर्ट मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, उनके परिवार के सदस्यों और साथियों द्वारा चलाई जा रही कुछ शेल कंपनियों को कथित तौर पर दिए गए खनन पट्टों की सीबीआई और ईडी से जांच कराने का अनुरोध वाली दो जनहित याचिकाओं पर सुनवाई निर्धारित थी.

झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई: इधर, इस मामले में झारखंड हाई कोर्ट में बृहस्पतिवार (19 मई 2022) को सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के वकील कपिल सिब्बल ने जानकारी दी कि सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है. जिसमें राज्य सरकार की ओर से कोर्ट के उन आदेशों को चुनौती दी गई है जो पिछली दो सुनवाई के दौरान 13 और 17 मई को पारित किए गए थे. उसे राज्य सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है. शीघ्र सुनवाई का आग्रह किया गया है. सुप्रीम कोर्ट ने आग्रह को स्वीकार करते हुए 20 मई को सुनवाई के लिए स्वीकृति दी है. इसलिए इस मामले की सुनवाई ना की जाए, और ना ही किसी प्रकार का कोई आर्डर पास किया जाए.

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आधार पर हाई कोर्ट में सुनवाई: कपिल सिब्बल के आग्रह को डबल बेंच ने स्वीकार करते हुए पहले तो मामले की सुनवाई के लिए शनिवार यानी 21 मई की तिथि निर्धारित की थी. लेकिन फिर से कपिल सिब्बल के आग्रह पर इस मामले की अगली सुनवाई 24 मई निर्धारित कर दी गई है. अब इस मामले की सुनवाई पहले सुप्रीम कोर्ट में होगी, अगर सुप्रीम कोर्ट इस मामले में किसी भी प्रकार का आदेश पारित करता है. उस आदेश के बाद ही यह सुनिश्चित होगा कि हाई कोर्ट में इन दोनों मामले पर सुनवाई होगी या नहीं होगी. अगर सुप्रीम कोर्ट मामले पर सुनवाई करेगी तब तो फिलहाल हाई कोर्ट में इस मामले पर सुनवाई रुक जाएगी.

क्या है मामला: झारखंड हाई कोर्ट में सीएम हेमंत सोरेन के खिलाफ 11 फरवरी को जनहित याचिका दायर की गयी थी. प्रार्थी शिव शंकर शर्मा की ओर से अधिवक्ता राजीव कुमार ने पीआईएल दाखिल किया था. प्रार्थी की ओर से इस जनहित याचिका में कहा गया था कि हेमंत सोरेन खनन मंत्री, मुख्यमंत्री और वन पर्यावरण विभाग के विभागीय मंत्री भी हैं. उन्होंने स्वंय पर्यावरण क्लीयरेंस के लिए आवेदन दिया था और खनन पट्टा हासिल किया है. ऐसा करना पद का दुरुपयोग है और जन प्रतिनिधि अधिनियम का उल्लंघन है. इसलिए इस पूरे मामले की सीबीआई से जांच कराई जाए. इसके अलावा साथ ही प्रार्थी ने हेमंत सोरेन की सदस्यता रद्द करने की मांग भी कोर्ट से की थी.

रांची: झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनके परिवार के सदस्यों, साथियों द्वारा चलायी जा रही शेल कंपनियों को खनन पट्टों की कथित मंजूरी मामले की सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट तैयार हो गया है. मुख्यमंत्री रहते खनन पट्टा मंजूरी को लेकर सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय की जांच से जुड़ी याचिका पर आज (20 मई 2022) को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी.

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सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट तैयार: मुख्य न्यायाधीश एनवी रमण और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और मुकुल रोहतगी की दलीलों पर गौर किया. कोर्ट ने कहा कि यह एक गंभीर मामला है, जिसमें जांच एजेंसी नोटिस जारी करने से पहले झारखंड उच्च न्यायालय में सीलबंद लिफाफे में दस्तावेज दाखिल कर रही है. उन्होंने दलील दी कि जांच एजेंसी दूसरे पक्ष को भी यह दस्तावेज नहीं दे रही है.

सुप्रीम कोर्ट में कपिल सिब्बल की दलील : वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और मुकुल रोहतगी की दलील पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम इसे 20 मई 2022 को सूचीबद्ध करेंगे. कोर्ट ने कहा कि यह गंभीर मामला है. झारखंड उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दाखिल की गयी है जिसे अभी स्वीकार नहीं किया गया है. झारखंड हाई कोर्ट मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, उनके परिवार के सदस्यों और साथियों द्वारा चलाई जा रही कुछ शेल कंपनियों को कथित तौर पर दिए गए खनन पट्टों की सीबीआई और ईडी से जांच कराने का अनुरोध वाली दो जनहित याचिकाओं पर सुनवाई निर्धारित थी.

झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई: इधर, इस मामले में झारखंड हाई कोर्ट में बृहस्पतिवार (19 मई 2022) को सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के वकील कपिल सिब्बल ने जानकारी दी कि सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है. जिसमें राज्य सरकार की ओर से कोर्ट के उन आदेशों को चुनौती दी गई है जो पिछली दो सुनवाई के दौरान 13 और 17 मई को पारित किए गए थे. उसे राज्य सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है. शीघ्र सुनवाई का आग्रह किया गया है. सुप्रीम कोर्ट ने आग्रह को स्वीकार करते हुए 20 मई को सुनवाई के लिए स्वीकृति दी है. इसलिए इस मामले की सुनवाई ना की जाए, और ना ही किसी प्रकार का कोई आर्डर पास किया जाए.

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आधार पर हाई कोर्ट में सुनवाई: कपिल सिब्बल के आग्रह को डबल बेंच ने स्वीकार करते हुए पहले तो मामले की सुनवाई के लिए शनिवार यानी 21 मई की तिथि निर्धारित की थी. लेकिन फिर से कपिल सिब्बल के आग्रह पर इस मामले की अगली सुनवाई 24 मई निर्धारित कर दी गई है. अब इस मामले की सुनवाई पहले सुप्रीम कोर्ट में होगी, अगर सुप्रीम कोर्ट इस मामले में किसी भी प्रकार का आदेश पारित करता है. उस आदेश के बाद ही यह सुनिश्चित होगा कि हाई कोर्ट में इन दोनों मामले पर सुनवाई होगी या नहीं होगी. अगर सुप्रीम कोर्ट मामले पर सुनवाई करेगी तब तो फिलहाल हाई कोर्ट में इस मामले पर सुनवाई रुक जाएगी.

क्या है मामला: झारखंड हाई कोर्ट में सीएम हेमंत सोरेन के खिलाफ 11 फरवरी को जनहित याचिका दायर की गयी थी. प्रार्थी शिव शंकर शर्मा की ओर से अधिवक्ता राजीव कुमार ने पीआईएल दाखिल किया था. प्रार्थी की ओर से इस जनहित याचिका में कहा गया था कि हेमंत सोरेन खनन मंत्री, मुख्यमंत्री और वन पर्यावरण विभाग के विभागीय मंत्री भी हैं. उन्होंने स्वंय पर्यावरण क्लीयरेंस के लिए आवेदन दिया था और खनन पट्टा हासिल किया है. ऐसा करना पद का दुरुपयोग है और जन प्रतिनिधि अधिनियम का उल्लंघन है. इसलिए इस पूरे मामले की सीबीआई से जांच कराई जाए. इसके अलावा साथ ही प्रार्थी ने हेमंत सोरेन की सदस्यता रद्द करने की मांग भी कोर्ट से की थी.

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