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हेमंत का मास्टर स्ट्रोक! 5 सितंबर झारखंड के लिए बन सकता है ऐतिहासिक दिन

5 सितंबर को डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्मदिन है, उसी दिन पूरे देश में शिक्षक दिवस मनाया जाता है. पूरे देश में स्कूल, शिक्षक और छात्र इस दिन को सेलिब्रेट करने की तैयारी में जुटे हैं. वहीं झारखंड की हेमंत सरकार भी इस दिन को ऐतिहासिक बनाने की तैयारी में है.

Hemant Soren master stroke in special session of Jharkhand Assembly
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Published : Sep 3, 2022, 6:13 PM IST

रांची: वैसे तो 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के लिए जाना जाता है, लेकिन झारखंड की हेमंत सरकार इस दिन को और यादगार और ऐतिहासिक बनाने की तैयारी में है. झारखंड में 5 सितंबर को विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया गया है. इस दिन क्या होगा, इसकी घोषणा नहीं की जा रही है. तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं.

ये भी पढ़ें- Old Pension Scheme लागू करने पर कर्मचारियों ने सीएम का जताया आभार, इस नारे से सीएम के चेहरे पर आई मुस्कान

झारखंड में 5 सितंबर को क्या होने वाला है? इसे लेकर राजनीतिक पंडितों के साथ-साथ नेताओं की ओर से तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं. कोई कह रहा है कि हेमंत सरकार विश्वास प्रस्ताव ला सकती है, कोई कह रहा है कि कुछ बड़ा होने वाला है. लोग तरह-तरह की बातें कर रहें हैं. लेकिन आखिर होने वाला क्या है, यह हेमंत सोरेन ही जानते हैं.

विश्वास प्रस्ताव: राजनीतिक गलियारों में इस बात की चर्चा है कि 5 सितंबर को विशेष सत्र के दौरान हेमंत सोरेन विश्वास प्रस्ताव ला सकते हैं. माना जा रहा है विश्वासमत हासिल कर के हेमंत विपक्ष को एकजुटता का संदेश देना चाहते हैं और इससे आने वाले 6 महीने तक सरकार पर कोई खतरा नहीं होगा. लेकिन जब हेमंत सोरेन की विधायकी ही चली जाएगी, तब सीएम पद से इस्तीफा देना होगा और अगर फिर से हेमंत सीएम बनते हैं तो उन्हें एक बार फिर विश्वासमत हासिल करना होगा. ऐसे में इस कयास को ज्यादा बल नहीं मिल रहा है.

कुछ बड़ा होने वाला है: पिछले कुछ दिनों से हेमंत सोरेन ताबड़तोड़ बड़े फैसले ले कर अपने लिए जनसमर्थन जुटा रहे हैं. चाहे वह पुलिसकर्मियों के लिए क्षतिपूर्ति अवकाश हो या आंगनबाड़ी सेविका-सहायिका के मानदेय में वृद्धि या फिर पुरानी पेंशन योजना बहाल करना. हाई स्कूल शिक्षक समेत कई विभागों में वैकेंसी भी सरकार ताबड़तोड़ निकाल रही है. इस तरह के फैसले लेकर हेमंत जनसमर्थन जुटा रहे हैं. क्या अब इससे भी कोई बड़ा होने वाला है? इस तरह के भी कयास लगाए जा रहे हैं.

ओबीसी आरक्षण: सत्ताधारी गठबंधन के सहयोगी दल कांग्रेस के घोषणा पत्र में ओबीसी को आरक्षण देने की बात कही गई है. राज्य के कई राजनीतिक दल ओबीसी आरक्षण की मांग कर रहे हैं. ऐसे में इस बात के भी कयास लगाए जा रहे हैं कि हेमंत सोरेन अपने सहयोगी कांग्रेस के साथ संबंध और मजबूत करने के लिए सदन से ओबीसी आरक्षण को लेकर कोई बिल पास करा लें. अगर ऐसा होता है तो हेमंत सोरेन अपने लिए मूलवासियों का जनसमर्थन हासिल कर लेंगे.

ये भी पढ़ें- झारखंड में सियासी संकटः महागठबंधन ने बनाया प्लान बी, विकल्प के रूप में चेहरा तैयार

ये हो सकता है मास्टर स्ट्रोक: जब से राज्य की स्थापना हुई तब से एक मुद्दा है, जिस पर लगातार राजनीति होती रही है. कई आंदोलन भी हुए, लेकिन उस मुद्दे का अभी तक समाधान नहीं हो पाया है. वह मुद्दा है स्थानीय नीति का. राज्य में 1932 के खतियान आधारित स्थानीय नीति लागू करने की मांग सालों से चली आ रही है. सत्ताधारी दल के कई विधायक 1932 के खतियान के आधार पर स्थानीय नीति लागू करने की मांग करते रहे हैं.

राजनीतिक गलियारों में इस बात की चर्चा है कि हेमंत सोरेन 1932 खतियान के आधार पर स्थानीय नीति का प्रस्ताव विधानसभा में ला सकते हैं. इस प्रस्ताव का बीजेपी समेत कोई भी पार्टी विरोध नहीं कर पाएगी. अगर बीजेपी विरोध करती है, तो भी हेमंत के लिए यह जीत होगी और समर्थन करती है तो भी. यह एक ऐसा मास्टर स्ट्रोक हो सकता है जिससे बीजेपी को पटखनी देने के साथ-साथ हेमंत भारी सनसर्थन अपने पक्ष में कर लेंगे. अगर ऐसा होता है तो यह झारखंड के लिए ऐतिहासिक दिन होगा. क्या वाकई ऐसा होगा इसके लिए हम सभी को 5 सितंबर का इंतजार करना होगा.

मास्टर स्ट्रोक का असर: 5 सितंबर को हेमंत सोरेन यदि 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति और ओबीसी आरक्षण सदन से पास करा लेते हैं तो झारखंड की राजनीति का यह सबसे बड़ा मास्टर स्ट्रोक होगा. आदिवासियों के बीच हेमंत की पैठ पहले से ही है और 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति आने के बाद यह पैठ बेहद मजबूत हो जाएगी. वहीं ओबीसी आरक्षण से मूलवासियों के बीच भी उनकी पकड़ मजबूत हो जाएगी. आदिवासी, मूलवासी और मुस्लिम वोटों का बड़ा वोट बैंक हेमंत के लिए तैयार हो जाएगा, जिसे तोड़ पाना बीजेपी के लिए आसान नहीं होगा. अगर हेमंत सोरेन इसमें कामयाब होते हैं तो ममता बनर्जी, नीतीश कुमार और नवीन पटनायक इस पट्टी की राजनीति चौथे क्षत्रप बन जाएंगे.

रांची: वैसे तो 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के लिए जाना जाता है, लेकिन झारखंड की हेमंत सरकार इस दिन को और यादगार और ऐतिहासिक बनाने की तैयारी में है. झारखंड में 5 सितंबर को विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया गया है. इस दिन क्या होगा, इसकी घोषणा नहीं की जा रही है. तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं.

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झारखंड में 5 सितंबर को क्या होने वाला है? इसे लेकर राजनीतिक पंडितों के साथ-साथ नेताओं की ओर से तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं. कोई कह रहा है कि हेमंत सरकार विश्वास प्रस्ताव ला सकती है, कोई कह रहा है कि कुछ बड़ा होने वाला है. लोग तरह-तरह की बातें कर रहें हैं. लेकिन आखिर होने वाला क्या है, यह हेमंत सोरेन ही जानते हैं.

विश्वास प्रस्ताव: राजनीतिक गलियारों में इस बात की चर्चा है कि 5 सितंबर को विशेष सत्र के दौरान हेमंत सोरेन विश्वास प्रस्ताव ला सकते हैं. माना जा रहा है विश्वासमत हासिल कर के हेमंत विपक्ष को एकजुटता का संदेश देना चाहते हैं और इससे आने वाले 6 महीने तक सरकार पर कोई खतरा नहीं होगा. लेकिन जब हेमंत सोरेन की विधायकी ही चली जाएगी, तब सीएम पद से इस्तीफा देना होगा और अगर फिर से हेमंत सीएम बनते हैं तो उन्हें एक बार फिर विश्वासमत हासिल करना होगा. ऐसे में इस कयास को ज्यादा बल नहीं मिल रहा है.

कुछ बड़ा होने वाला है: पिछले कुछ दिनों से हेमंत सोरेन ताबड़तोड़ बड़े फैसले ले कर अपने लिए जनसमर्थन जुटा रहे हैं. चाहे वह पुलिसकर्मियों के लिए क्षतिपूर्ति अवकाश हो या आंगनबाड़ी सेविका-सहायिका के मानदेय में वृद्धि या फिर पुरानी पेंशन योजना बहाल करना. हाई स्कूल शिक्षक समेत कई विभागों में वैकेंसी भी सरकार ताबड़तोड़ निकाल रही है. इस तरह के फैसले लेकर हेमंत जनसमर्थन जुटा रहे हैं. क्या अब इससे भी कोई बड़ा होने वाला है? इस तरह के भी कयास लगाए जा रहे हैं.

ओबीसी आरक्षण: सत्ताधारी गठबंधन के सहयोगी दल कांग्रेस के घोषणा पत्र में ओबीसी को आरक्षण देने की बात कही गई है. राज्य के कई राजनीतिक दल ओबीसी आरक्षण की मांग कर रहे हैं. ऐसे में इस बात के भी कयास लगाए जा रहे हैं कि हेमंत सोरेन अपने सहयोगी कांग्रेस के साथ संबंध और मजबूत करने के लिए सदन से ओबीसी आरक्षण को लेकर कोई बिल पास करा लें. अगर ऐसा होता है तो हेमंत सोरेन अपने लिए मूलवासियों का जनसमर्थन हासिल कर लेंगे.

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ये हो सकता है मास्टर स्ट्रोक: जब से राज्य की स्थापना हुई तब से एक मुद्दा है, जिस पर लगातार राजनीति होती रही है. कई आंदोलन भी हुए, लेकिन उस मुद्दे का अभी तक समाधान नहीं हो पाया है. वह मुद्दा है स्थानीय नीति का. राज्य में 1932 के खतियान आधारित स्थानीय नीति लागू करने की मांग सालों से चली आ रही है. सत्ताधारी दल के कई विधायक 1932 के खतियान के आधार पर स्थानीय नीति लागू करने की मांग करते रहे हैं.

राजनीतिक गलियारों में इस बात की चर्चा है कि हेमंत सोरेन 1932 खतियान के आधार पर स्थानीय नीति का प्रस्ताव विधानसभा में ला सकते हैं. इस प्रस्ताव का बीजेपी समेत कोई भी पार्टी विरोध नहीं कर पाएगी. अगर बीजेपी विरोध करती है, तो भी हेमंत के लिए यह जीत होगी और समर्थन करती है तो भी. यह एक ऐसा मास्टर स्ट्रोक हो सकता है जिससे बीजेपी को पटखनी देने के साथ-साथ हेमंत भारी सनसर्थन अपने पक्ष में कर लेंगे. अगर ऐसा होता है तो यह झारखंड के लिए ऐतिहासिक दिन होगा. क्या वाकई ऐसा होगा इसके लिए हम सभी को 5 सितंबर का इंतजार करना होगा.

मास्टर स्ट्रोक का असर: 5 सितंबर को हेमंत सोरेन यदि 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति और ओबीसी आरक्षण सदन से पास करा लेते हैं तो झारखंड की राजनीति का यह सबसे बड़ा मास्टर स्ट्रोक होगा. आदिवासियों के बीच हेमंत की पैठ पहले से ही है और 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति आने के बाद यह पैठ बेहद मजबूत हो जाएगी. वहीं ओबीसी आरक्षण से मूलवासियों के बीच भी उनकी पकड़ मजबूत हो जाएगी. आदिवासी, मूलवासी और मुस्लिम वोटों का बड़ा वोट बैंक हेमंत के लिए तैयार हो जाएगा, जिसे तोड़ पाना बीजेपी के लिए आसान नहीं होगा. अगर हेमंत सोरेन इसमें कामयाब होते हैं तो ममता बनर्जी, नीतीश कुमार और नवीन पटनायक इस पट्टी की राजनीति चौथे क्षत्रप बन जाएंगे.

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