रांची: हेमंत सरकार का अचानक एक्टिव मोड (Hemant Soren government in action) में आना इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है. राजनीतिक जानकार इसे सोची समझी रणनीति का हिस्सा मान रहे हैं. इधर सरकार के ताबड़तोड़ फैसले और सचिवालय में लौटी रौनक बताने के लिए काफी है कि सरकार के अंदर ऑल इज वेल है.
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करीब एक महीने बाद राज्य सरकार एक्टिव मोड में दिखने लगी है. दिल्ली से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के लौटने के बाद ताबड़तोड़ बैठक का दौर जारी है. सोमवार को करीब 09 घंटे विभागीय कामकाज की समीक्षा झारखंड मंत्रालय में होता रहा, जिसमें मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन खुद देर शाम तक मौजूद रहे. विभागीय सचिव और सभी उपायुक्तों को जिस तरह से निर्देश दिए गए उससे साफ लग रहा है कि सरकार बगैर समय गंवाये हर वो काम करना चाह रही है जो जनता से वादा करके पिछले चुनाव में आई है.
कृषि मंत्री बादल पत्रलेख कहते हैं कि कोरोना की वजह से दो वर्ष यूं ही बीत गए, उसके बाद जैसे ही रफ्तार पकड़ी तो जो परिस्थितियां बनीं और बनाई गईं वह किसी से छिपी नहीं हैं. ऐसे में काम प्रभावित न हो इसके लिए हमारे कैप्टन और हम प्लेयर पूरी तन्मयता के साथ लगे हुए हैं.
सचिवालय में लौटी रौनकः राज्य में 25 अगस्त से जारी सियासी संकट भले ही अब तक नहीं टला हो मगर सत्तारूढ़ दल के एक्टिव मोड में आते ही सचिवालय में रौनक लौट आई है. राज्य सचिवालय के विभिन्न विभागों में मंगलवार को फाइलों के मूवमेंट में तेजी देखी गई. अधिकारी से लेकर सहायक तक अपनी अपनी कुर्सी पर देर शाम तक जमे रहे.
झारखंड कर्मचारी महासंघ के राज्य सचिव मृत्युंजय कुमार झा कहते हैं कि राज्य सरकार ने हाल में जो फैसले लिए हैं वो ऐतिहासिक हैं, जो कर्मचारियों से लेकर आम लोगों से जुड़े हुए हैं. अनिश्चितता के बादल हटते ही सरकार के कामकाज पर भी इसका असर जरूर देखा जा रहा है.
हेमंत सरकार के हालिया फैसले
1. 1932 के खतियान आधारित स्थानीय नीति
2. ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण के साथ राज्य में 77 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान
3. पुलिसकर्मियों को एक महीने अतिरिक्त क्षतिपूर्ति अवकाश
4. राज्य के सरकारी कर्मचारियों को ओल्ड पेंशन स्कीम
5. मुख्यमंत्री गंभीर बीमारी उपचार योजना के तहत अनुदान की राशि 5 लाख रुपये से बढ़ाकर 10 लाख रुपये करने एवं पूर्व से स्वीकृत असाध्य रोगों की सूची में अन्य असाध्य रोगों को सूचीबद्ध करने की स्वीकृति.