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पोस्टल बैलट की शुरुआत से बयानबाजी हुई तेज, भाजपा ने कहा विपक्ष कर रही है नकारात्मक राजनीति

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Published : Nov 17, 2019, 5:13 PM IST

झारखंड विधानसभा चुनाव में पहली बार 80 वर्ष से ऊपर के बुजुर्ग और दिव्यांग मतदाताओं के लिए पोस्टल बैलेट की शुरुआत की गई है. इस नए प्रयोग के आने के बाद राजनीति तेज हो गई है. एक तरफ जेएमएम इसका पूरजोर विरोध कर रही है, वहीं भाजपा के प्रवक्ता ने इसका समर्थन करते हुए कहा कि यह एक सराहनीय प्रयास है.

प्रतुल शाहदेव

रांचीः झारखंड से देश में पहली बार 80 साल से उपर बुजुर्ग और दिव्यांग मतदाताओं के लिए पोस्टल बैलट की शुरुआत को लेकर सियासत शुरू होने लगी है. एक तरफ जहां बीजेपी ने इसे सराहनीय कदम माना है. वहीं दूसरी तरफ विपक्ष दल झारखंड मुक्ति मोर्चा का साफ तौर पर करना है की पुरानी व्यवस्था ही ज्यादा विश्वसनीय रही है.

देखें पूरी खबर

7 विधानसभा इलाकों में पायलट प्रोजेक्ट

चुनाव आयोग में तय किया है कि प्रदेश के 81 में से 7 विधानसभा इलाकों में पायलट प्रोजेक्ट के तहत वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांग मतदाताओं के लिए पोस्टल बैलट की सुविधा शुरू की जाए. इनमें राजमहल, पाकुड़, जामताड़ा, देवघर, गोड्डा, बोकारो और धनबाद विधानसभा इलाके शामिल हैं.


किस तरह कर पाएंगे पोस्टल बैलट का उपयोग

इस व्यवस्था के तहत 80 साल से ऊपर बुजुर्ग और दिव्यांग मतदाताओं को प्रशासन के द्वारा फॉर्म 12 डी उपलब्ध कराया जाएगा, जिसे भरकर उन्हें वापस जिला निर्वाची पदाधिकारी के दफ्तर तक भिजवाना होगा. इसके बाद मतदान के 3 दिन पहले आयोग आयोग के निर्देश पर बनी टीम उन मतदाताओं तक पहुंच कर उनसे पोलिंग कराया जाएगा. फिर वह पोस्टल बैलट जिला में ट्रेजरी के दफ्तर में जमा कर लिया जाएगा. दरअसल फॉर्म 12 डी जमा करने के बाद वैसे मतदाताओं को मतदान केंद्र जाकर वोट नहीं डालने जाना होगा. उसकी गणना अन्य पोस्टल बैलट के साथ की जाएगी. दरअसल ये व्यवस्था पहली बार देश में झारखंड विधानसभा चुनाव से शुरू की जानी है, लेकिन इसको लेकर राजनीतिक दलों में मतभेद है.

यह भी पढ़ें- कांग्रेस ने जारी की एक और लिस्ट, सीएम के खिलाफ ताल ठोकेंगे गौरव बल्लभ

नकारात्मक राजनीति कर रही है विपक्ष

बीजेपी का साफ तौर पर कहना है कि यह स्वागत योग्य कदम है. पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव के अनुसार इससे वैसे लोग जो मतदान केंद्र तक नहीं जा पाएंगे उन्हें इस तरह की वोटिंग में आसानी होगी. उन्होंने कहा कि इस पर राजनीति नहीं करना चाहिए. जो भी ऐसा कर रहे हैं वह नकारात्मक राजनीति कर रहे हैं. प्रमुख विपक्षी दल झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य साफ तौर पर कहते हैं कि चुनाव आयोग के निर्देश पर टीमें तो बनेंगी लेकिन उनमें जिला प्रशासन के अधिकारी शामिल होंगे. भट्टाचार्य ने साफ तौर पर कहा कि ऐसी व्यवस्था पर सवाल खड़े होते हैं इसलिए पुरानी व्यवस्था के ही सही रहेगी.

रांचीः झारखंड से देश में पहली बार 80 साल से उपर बुजुर्ग और दिव्यांग मतदाताओं के लिए पोस्टल बैलट की शुरुआत को लेकर सियासत शुरू होने लगी है. एक तरफ जहां बीजेपी ने इसे सराहनीय कदम माना है. वहीं दूसरी तरफ विपक्ष दल झारखंड मुक्ति मोर्चा का साफ तौर पर करना है की पुरानी व्यवस्था ही ज्यादा विश्वसनीय रही है.

देखें पूरी खबर

7 विधानसभा इलाकों में पायलट प्रोजेक्ट

चुनाव आयोग में तय किया है कि प्रदेश के 81 में से 7 विधानसभा इलाकों में पायलट प्रोजेक्ट के तहत वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांग मतदाताओं के लिए पोस्टल बैलट की सुविधा शुरू की जाए. इनमें राजमहल, पाकुड़, जामताड़ा, देवघर, गोड्डा, बोकारो और धनबाद विधानसभा इलाके शामिल हैं.


किस तरह कर पाएंगे पोस्टल बैलट का उपयोग

इस व्यवस्था के तहत 80 साल से ऊपर बुजुर्ग और दिव्यांग मतदाताओं को प्रशासन के द्वारा फॉर्म 12 डी उपलब्ध कराया जाएगा, जिसे भरकर उन्हें वापस जिला निर्वाची पदाधिकारी के दफ्तर तक भिजवाना होगा. इसके बाद मतदान के 3 दिन पहले आयोग आयोग के निर्देश पर बनी टीम उन मतदाताओं तक पहुंच कर उनसे पोलिंग कराया जाएगा. फिर वह पोस्टल बैलट जिला में ट्रेजरी के दफ्तर में जमा कर लिया जाएगा. दरअसल फॉर्म 12 डी जमा करने के बाद वैसे मतदाताओं को मतदान केंद्र जाकर वोट नहीं डालने जाना होगा. उसकी गणना अन्य पोस्टल बैलट के साथ की जाएगी. दरअसल ये व्यवस्था पहली बार देश में झारखंड विधानसभा चुनाव से शुरू की जानी है, लेकिन इसको लेकर राजनीतिक दलों में मतभेद है.

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नकारात्मक राजनीति कर रही है विपक्ष

बीजेपी का साफ तौर पर कहना है कि यह स्वागत योग्य कदम है. पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव के अनुसार इससे वैसे लोग जो मतदान केंद्र तक नहीं जा पाएंगे उन्हें इस तरह की वोटिंग में आसानी होगी. उन्होंने कहा कि इस पर राजनीति नहीं करना चाहिए. जो भी ऐसा कर रहे हैं वह नकारात्मक राजनीति कर रहे हैं. प्रमुख विपक्षी दल झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य साफ तौर पर कहते हैं कि चुनाव आयोग के निर्देश पर टीमें तो बनेंगी लेकिन उनमें जिला प्रशासन के अधिकारी शामिल होंगे. भट्टाचार्य ने साफ तौर पर कहा कि ऐसी व्यवस्था पर सवाल खड़े होते हैं इसलिए पुरानी व्यवस्था के ही सही रहेगी.

Intro:बाइट प्रतुल शाहदेव प्रदेश प्रवक्ता बीजेपी
इससे जुड़ी सुप्रियो भट्टाचार्य की बाइट रैप से गई है।

रांची। झारखंड से देश में पहली बार 80 साल से ऊपर बुजुर्ग और दिव्यांग मतदाताओं के लिए पोस्टल बैलट की शुरुआत को लेकर सियासत शुरू होने लगी है। एक तरफ जहां बीजेपी ने इसे सराहनीय कदम माना है। वहीं दूसरी तरफ विपक्ष दल झारखंड मुक्ति मोर्चा का साफ तौर पर करना है की पुरानी व्यवस्था ही ज्यादा विश्वसनीय रही है।
आयोग में तय किया है कि प्रदेश के 81 में से 7 विधानसभा इलाकों में पायलट प्रोजेक्ट के तहत वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांग मतदाताओं के लिए पोस्टल बैलट की सुविधा शुरू की जाए। इनमें राजमहल, पाकुड़, जामताड़ा, देवघर, गोड्डा बोकारो और धनबाद विधानसभा इलाके शामिल हैं।


Body:किस तरह कर पाएंगे पोस्टल बैलट का उपयोग
इस व्यवस्था के तहत 80 साल से ऊपर बुजुर्ग और दिव्यांग मतदाताओं को प्रशासन के द्वारा फॉर्म 12 डी उपलब्ध कराया जाएगा। जिसे भरकर उन्हें वापस जिला निर्वाची पदाधिकारी के दफ़्तर तक भिजवाना होगा। इसके बाद मतदान के 3 दिन पहले आयोग द्वारा आयोग के निर्देश पर बनी टीम उन मतदाताओं तक पहुंच कर उनसे पोलिंग कराया जाएगा। फिर वह पोस्टल बैलट जिला में ट्रेजरी के दफ्तर में जमा कर लिया जाएगा। दरअसल फॉर्म 12 डी जमा करने के बाद वैसे मतदाताओं को मतदान केंद्र जाकर वोट नहीं डालने जाना होगा। उसकी गणना अन्य पोस्टल बैलट के साथ की जाएगी। दरअसल ये व्यवस्था पहली बार देश में झारखंड विधानसभा चुनाव से शुरू की जानी है लेकिन इसको लेकर राजनीतिक दलों में मतभेद है। बीजेपी साफ तौर पर कह दी है यह एक स्वागत योग्य कदम है। पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव के अनुसार इससे वैसे लोग जो मतदान केंद्र तक नहीं जा पाएंगे उन्हें इस तरह की वोटिंग में आसानी होगी।


Conclusion:वहीं प्रमुख विपक्षी दल झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य साफ तौर पर कहते हैं कि चुनाव आयोग के निर्देश पर टीमें तो बनेंगी लेकिन उनमें जिला प्रशासन के अधिकारी शामिल होंगे। भट्टाचार्य ने साफ तौर पर कहा कि ऐसी व्यवस्था पर सवाल खड़े होते हैं इसलिए पुरानी व्यवस्था के ही सही रहेगी।
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