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शेल कंपनी से जुड़े मामले पर झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई, ईडी ने रिपोर्ट पेश करने के लिए मांगी इजाजत

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Published : May 13, 2022, 1:31 PM IST

Updated : May 13, 2022, 2:40 PM IST

झारखंड हाई कोर्ट में शेल कंपनी से जुड़े मामले पर सुनवाई हुई. जिसमें ईडी ने रिपोर्ट पेश करने के लिए अदालत से इजाजत मांगी है. इस पर कोर्ट ने कहा कि रिपोर्ट सीलबंद दें. मामले में 17 मई को सुनवाई होगी.

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झारखंड हाई कोर्ट

रांचीः हेमंत सोरेन परिवार से जुड़े शेल कंपनी मामले में झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. जिसमें ED की ओर से अदालत को जानकारी दी गई कि झारखंड में एजेंसी के द्वारा कार्रवाई की गई है, इससे जुड़ी रिपोर्ट अदालत में पेश करना चाहते हैं. उनके आग्रह पर अदालत ने उन्हें सीलबंद रिपोर्ट पेश करने को कहा है. यह रिपोर्ट उन्हें रजिस्टार जनरल के पास पेश करने को कहा है.

इसे भी पढ़ें- शेल कंपनियों के खुलासे ने बढ़ाईं IAS पूजा सिंघल की मुसीबतें, समन देकर ईडी करेगी पूछताछ

हाई कोर्ट में शेल कंपनी से जुड़े मामले पर सुनवाई हुई. जिसमें ईडी की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरीय अधिवक्ता तुषार मेहता ने पक्ष रखा. वहीं राज्य सरकार की ओर से वरीय अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने याचिका की मेंटेनलिटी पर सवाल उठाते हुए याचिका खारिज करने की मांग की है. इसके लिए उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के कई आदेशों का हवाला दिया है. इस मामले में 17 मई को विशेष रूप से इस मामले की सुनवाई के लिए अदालत बैठेगी और मामले की सुनवाई करेगी. वैसे हाई कोर्ट में शनिवार से ही ग्रीष्मकालीन अवकाश है. लेकिन इस मामले की गंभीरता को देखते हुए अदालत ने यह निर्णय लिया है कि इस मामले की सुनवाई 17 को होगी.

जानकारी देते अधिवक्ता


अदालत ने रांची डीसी द्वारा एफइडेविट दायर किए जाने पर नाराजगी जाहिर की है. हाई कोर्ट ने मौखिक रूप से कहा कि हमें लगा था कि खनन विभाग का कोई जिम्मेदार अधिकारी एफिडेकिट दायर करेगा. रांची डीसी को माइनिंग विभाग की जानकारी कैसे हो सकती है. इसके साथ ही अदालत ने कहा कि झारखंड में रोजाना अवैध खनन से जुड़े मामले सामने आते हैं, जो दुःखद है.


सोरेन परिवार की संपत्ति की जांच को लेकर झारखंड उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की गई है. याचिकाकर्ता आरटीआई एक्टिविस्ट शिव शंकर शर्मा ने अधिवक्ता राजीव कुमार के माध्यम से यह जनहित याचिका दायर की है. अधिवक्ता राजीव कुमार ने बताया कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनके भाई बसंत सोरेन के पैसे को ठिकाने लगाने के लिए राजधानी रांची के चर्चित बिजनेसमैन रवि केजरीवाल, रमेश केजरीवाल एवं अन्य को दिया जाता है. यह पैसा 24 कंपनियों के माध्यम से दिया जा रहा है और इन कंपनियों के माध्यम से ब्लैक मनी को व्हाइट मनी बनाया जा रहा है. इसलिए याचिका के माध्यम से अदालत से जांच की मांग की है. सीबीआई, ईडी और इनकम टैक्स से पूरी संपत्ति की जांच की मांग की गई है. जिसमें इन्हें प्रतिवादी बनाया गया है, झारखंड सरकार के मुख्य सचिव, सीबीआई, ईडी, हेमंत सोरेन, बसंत सोरेन, रवि केजरीवाल, रमेश केजरीवाल, राजीव अग्रवाल एवं अन्य शामिल हैं.

ईडी के मुताबिकः आइएएस अधिकारी पूजा सिंघल का मामला सामने आने के बाद ईडी की कार्रवाई में अब तक 20 से अधिक शेल कंपनियों से जुड़ी जानकारी मिली है, जिनके जरिए ब्लैक मनी को व्हाइट किया जाता था. इन कंपनियों के बारे में जानकारी कोलकाता में हुई छापेमारी के दौरान पल्स की पूर्व निदेशक प्राची अग्रवाल के यहां से मिली है. पिछले दिनों हुई छापेमारी के दौरान पूजा सिंघल के पति के सीए सुमन सिंह के घर से 19.31 करोड़, 150 करोड़ से अधिक के निवेश की जानकारी के बाद शेल कंपनियों के गठन का मामला सामने आया. इस मामले में ईडी द्वारा पूजा सिंघल और अभिषेक झा से लगातार पूछताछ हो रही है.

शेल कंपनी क्या है?
ये शब्द तब ज्यादा चर्चा में आया जब नवंबर 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी की. बड़ी संख्या में ऐसी कंपनियां जो मनी लॉन्ड्रिंग, बेनामी लेनदेन और अन्य में गतिविधियों शामिल पाई गई थी. शेल कंपनी एक निष्क्रिय कंपनी है जिसका उपयोग विभिन्न वित्तीय लेनदेन को छिपाने के लिए कंपनियां करती हैं. हालांकि शेल कंपनियां लगभग सभी देशों में कई दशकों से मौजूद हैं, लेकिन शेल कंपनी शब्द को 2013 के कंपनी अधिनियम में परिभाषित नहीं किया गया है, जिसे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के दूसरे कार्यकाल के दौरान पारित किया गया था. शेल कंपनी शब्द आमतौर पर सक्रिय व्यवसाय संचालन या महत्वपूर्ण संपत्ति के बिना कंपनी को संदर्भित करता है. कुछ मामलों में, इन कंपनियों का इस्तेमाल कर चोरी, मनी लॉन्ड्रिंग, अस्पष्ट स्वामित्व, बेनामी संपत्तियों जैसे अन्य चीजों के लिए किया जाता है.

रांचीः हेमंत सोरेन परिवार से जुड़े शेल कंपनी मामले में झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. जिसमें ED की ओर से अदालत को जानकारी दी गई कि झारखंड में एजेंसी के द्वारा कार्रवाई की गई है, इससे जुड़ी रिपोर्ट अदालत में पेश करना चाहते हैं. उनके आग्रह पर अदालत ने उन्हें सीलबंद रिपोर्ट पेश करने को कहा है. यह रिपोर्ट उन्हें रजिस्टार जनरल के पास पेश करने को कहा है.

इसे भी पढ़ें- शेल कंपनियों के खुलासे ने बढ़ाईं IAS पूजा सिंघल की मुसीबतें, समन देकर ईडी करेगी पूछताछ

हाई कोर्ट में शेल कंपनी से जुड़े मामले पर सुनवाई हुई. जिसमें ईडी की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरीय अधिवक्ता तुषार मेहता ने पक्ष रखा. वहीं राज्य सरकार की ओर से वरीय अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने याचिका की मेंटेनलिटी पर सवाल उठाते हुए याचिका खारिज करने की मांग की है. इसके लिए उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के कई आदेशों का हवाला दिया है. इस मामले में 17 मई को विशेष रूप से इस मामले की सुनवाई के लिए अदालत बैठेगी और मामले की सुनवाई करेगी. वैसे हाई कोर्ट में शनिवार से ही ग्रीष्मकालीन अवकाश है. लेकिन इस मामले की गंभीरता को देखते हुए अदालत ने यह निर्णय लिया है कि इस मामले की सुनवाई 17 को होगी.

जानकारी देते अधिवक्ता


अदालत ने रांची डीसी द्वारा एफइडेविट दायर किए जाने पर नाराजगी जाहिर की है. हाई कोर्ट ने मौखिक रूप से कहा कि हमें लगा था कि खनन विभाग का कोई जिम्मेदार अधिकारी एफिडेकिट दायर करेगा. रांची डीसी को माइनिंग विभाग की जानकारी कैसे हो सकती है. इसके साथ ही अदालत ने कहा कि झारखंड में रोजाना अवैध खनन से जुड़े मामले सामने आते हैं, जो दुःखद है.


सोरेन परिवार की संपत्ति की जांच को लेकर झारखंड उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की गई है. याचिकाकर्ता आरटीआई एक्टिविस्ट शिव शंकर शर्मा ने अधिवक्ता राजीव कुमार के माध्यम से यह जनहित याचिका दायर की है. अधिवक्ता राजीव कुमार ने बताया कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनके भाई बसंत सोरेन के पैसे को ठिकाने लगाने के लिए राजधानी रांची के चर्चित बिजनेसमैन रवि केजरीवाल, रमेश केजरीवाल एवं अन्य को दिया जाता है. यह पैसा 24 कंपनियों के माध्यम से दिया जा रहा है और इन कंपनियों के माध्यम से ब्लैक मनी को व्हाइट मनी बनाया जा रहा है. इसलिए याचिका के माध्यम से अदालत से जांच की मांग की है. सीबीआई, ईडी और इनकम टैक्स से पूरी संपत्ति की जांच की मांग की गई है. जिसमें इन्हें प्रतिवादी बनाया गया है, झारखंड सरकार के मुख्य सचिव, सीबीआई, ईडी, हेमंत सोरेन, बसंत सोरेन, रवि केजरीवाल, रमेश केजरीवाल, राजीव अग्रवाल एवं अन्य शामिल हैं.

ईडी के मुताबिकः आइएएस अधिकारी पूजा सिंघल का मामला सामने आने के बाद ईडी की कार्रवाई में अब तक 20 से अधिक शेल कंपनियों से जुड़ी जानकारी मिली है, जिनके जरिए ब्लैक मनी को व्हाइट किया जाता था. इन कंपनियों के बारे में जानकारी कोलकाता में हुई छापेमारी के दौरान पल्स की पूर्व निदेशक प्राची अग्रवाल के यहां से मिली है. पिछले दिनों हुई छापेमारी के दौरान पूजा सिंघल के पति के सीए सुमन सिंह के घर से 19.31 करोड़, 150 करोड़ से अधिक के निवेश की जानकारी के बाद शेल कंपनियों के गठन का मामला सामने आया. इस मामले में ईडी द्वारा पूजा सिंघल और अभिषेक झा से लगातार पूछताछ हो रही है.

शेल कंपनी क्या है?
ये शब्द तब ज्यादा चर्चा में आया जब नवंबर 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी की. बड़ी संख्या में ऐसी कंपनियां जो मनी लॉन्ड्रिंग, बेनामी लेनदेन और अन्य में गतिविधियों शामिल पाई गई थी. शेल कंपनी एक निष्क्रिय कंपनी है जिसका उपयोग विभिन्न वित्तीय लेनदेन को छिपाने के लिए कंपनियां करती हैं. हालांकि शेल कंपनियां लगभग सभी देशों में कई दशकों से मौजूद हैं, लेकिन शेल कंपनी शब्द को 2013 के कंपनी अधिनियम में परिभाषित नहीं किया गया है, जिसे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के दूसरे कार्यकाल के दौरान पारित किया गया था. शेल कंपनी शब्द आमतौर पर सक्रिय व्यवसाय संचालन या महत्वपूर्ण संपत्ति के बिना कंपनी को संदर्भित करता है. कुछ मामलों में, इन कंपनियों का इस्तेमाल कर चोरी, मनी लॉन्ड्रिंग, अस्पष्ट स्वामित्व, बेनामी संपत्तियों जैसे अन्य चीजों के लिए किया जाता है.

Last Updated : May 13, 2022, 2:40 PM IST
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