रांची: 10 जून को रांची में हुई हिंसा मामले की 17 जून को झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई होगी. आरटीआई एक्टिविस्ट पंकज यादव ने जनहित याचिका दायर कर पूरे मामले की एनआईए से जांच की मांग की है. याचिकाकर्ता के अधिवक्ता राजीव कुमार ने कोर्ट से जल्द सुनवाई का आग्रह किया था. इसे स्वीकार करते हुए कोर्ट ने शुक्रवार को सुनवाई करने की तारीख तय कर दी है. मामले की सुनवाई हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की कोर्ट में होगी.
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याचिकाकर्ता ने पीआईएल के जरिए कोर्ट को बताया है कि 10 जून को जुमे की नमाज के बाद रांची में जमकर उत्पात मचाया गया था. इस दौरान नारेबाजी और पथराव के अलावा उपद्रवियों ने फायरिंग भी की थी. यही नहीं कई मंदिरों को भी निशाना बनाया गया था. एक साजिश के तहत सामाजिक सद्भाव को बिगाड़ने की कोशिश की गई थी. हालात को नियंत्रण से बाहर होता देख पुलिस को फायरिंग करनी पड़ी थी. चुकि एक सुनियोजित तरीके से हिंसा फैलाई गयी थी, लिहाजा, पूरे मामले की एनआईए से जांच होनी चाहिए.
PIL में कहा गया है कि 27 जुलाई को नुपूर शर्मा के विवादित बयान की आड़ में एक बड़ी साजिश रची गई थी. इसके लिए फंडिंग कहां से हुई. कैसे हजारों लोग सड़क पर आ गए. उपद्रवियों ने रांची के एसएसपी, सिटी एसपी और डेली मार्केट के थाना प्रभारी को निशाना बनाया. हमले में तीनों लोग घायल हुए. इस साजिश में कई मस्जिदों के मौलानाओं की भागीदारी का भी अंदेशा है. इसलिए इस गंभीर मामले की एनआईए से जांच होनी चाहिए. PIL में कहा गया है उपद्रव के दौरान नुकासन हुई संपत्ति की क्षतिपूर्ति के लिए आरोपियों की संपत्ति का आॉक्शन किया जाना चाहिए. साथ ही उपद्रवियों और साजिशकर्ताओं के घरों को ध्वस्त करना चाहिए.
याचिकाकर्ता ने एक सप्लीमेंट्री फाइल कर कोर्ट को बताया है कि उपद्रवियों का पोस्टर चिपकाने के मामले में गृह विभाग के प्रधान सचिव ने एसएसपी को किस आधार पर शो-कॉज जारी किया है वह झारखंड में मान्य है ही नहीं.