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कोर्ट फीस मामले में हाईकोर्ट में हुई सुनवाई, सरकार की ओर से कहा गया कमेटी की रिपोर्ट पर निर्णय जल्द

कोर्ट फीस अमेंडमेंट एक्ट को चुनौती देने वाली याचिका पर झारखंड हाईकोर्ट में सुनवाई (Court Fee Hike Case) हुई. जिसमें सरकार की ओर से बताया गया कि कोर्ट फी को लेकर बनाई गई तीन सदस्यीय कमेटी की रिपोर्ट पर सरकार अति शीघ्र निर्णय लेगी.

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Published : Dec 1, 2022, 7:50 PM IST

Jharkhand High Court
Jharkhand High Court

रांची: झारखंड हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत में झारखंड स्टेट बार काउंसिल द्वारा राज्य सरकार की कोर्ट फीस अमेंडमेंट एक्ट को चुनौती देने वाली याचिका पर गुरुवार को सुनवाई हुई. मामले की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि कोर्ट फी को लेकर बनाई गई तीन सदस्यीय कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर राज्य सरकार अति शीघ्र निर्णय (Government Will Take Quick Decision On Court Fees) लेगी.

ये भी पढे़ं-झारखंड हाई कोर्ट ने सरकार के आदेश को किया निरस्त, कहा- 4 सप्ताह में दें प्रमोशन

अब मामले की सुनवाई आठ दिसंबर को होगीः सात दिसंबर तक इस पर निर्णय लेने का आश्वासन दिया गया. साथ ही कोर्ट से सात दिसंबर तक का समय मांगा गया है. जिस पर कोर्ट ने मामले की सुनवाई आठ दिसंबर निर्धारित की. कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया कि कमेटी की रिपोर्ट के आलोक में जो भी निर्णय राज्य सरकार लेगी उसकी जानकारी सभी पक्ष के अधिवक्ताओं को दी जाए. सुनवाई के दौरान एमिकस क्यूरी वरीय अधिवक्ता वीपी सिंह और अधिवक्ता रश्मि कुमार उपस्थित थे.

समिति ने केवल अनुसूचित एक के बारे में ही अनुशंसा की हैः पूर्व की सुनवाई में कोर्ट को बताया गया था कि नए कोर्ट फीस कानून में दो अनुसूची है. जिसमें समिति ने केवल अनुसूचित एक (निचली अदालतों में दिए जाने वाले कोर्ट फीस) के बारे में ही अनुशंसा की है. लेकिन अनुसूचित दो जो हाईकोर्ट की कोर्ट फीस से संबंधित है उसके बारे में ज्यादा कुछ नहीं कहा है. पूर्व की सुनवाई में कोर्ट ने यह भी कहा था कि नए कानून के हिसाब से अगर कोर्ट फीस वसूल किया जाता है तो वह केस के अंतिम निर्णय से प्रभावित होगा.

कोर्ट फीस में वृद्धि से गरीब तबके के लोगों को होगी परेशानीः प्रार्थी की ओर से कहा गया था कि कोर्ट फीस में बेतहाशा वृद्धि सरकार द्वारा इस कानून के माध्यम से की गई है. कोर्ट फीस वृद्धि से पहले आवश्यक पहलू की जांच नहीं की गई. पूर्व की सुनवाई में राजेंद्र कृष्ण ने मामले में पैरवी करते हुए कोर्ट से कहा था कि कोर्ट फीस में बेतहाशा वृद्धि से समाज के गरीब तबके के लोग कोर्ट नहीं आ पायेंगे और वकीलों को भी अतिरिक्त वित्तीय भार का वहन करना पड़ेगा.

राज्य सरकार का कोर्ट फीस एक्ट गलतः काउंसिल ने यह भी कहा है कि कोर्ट फीस की वृद्धि से लोगों को सहज और सुलभ न्याय दिलाना संभव नहीं है. राज्य सरकार का कोर्ट फीस एक्ट गलत (Court Fee Act of Government is Wrong) है. यह संविधान के खिलाफ है. साथ ही यह सेंट्रल कोर्ट फीस एक्ट के भी विरुद्ध है.

रांची: झारखंड हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत में झारखंड स्टेट बार काउंसिल द्वारा राज्य सरकार की कोर्ट फीस अमेंडमेंट एक्ट को चुनौती देने वाली याचिका पर गुरुवार को सुनवाई हुई. मामले की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि कोर्ट फी को लेकर बनाई गई तीन सदस्यीय कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर राज्य सरकार अति शीघ्र निर्णय (Government Will Take Quick Decision On Court Fees) लेगी.

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अब मामले की सुनवाई आठ दिसंबर को होगीः सात दिसंबर तक इस पर निर्णय लेने का आश्वासन दिया गया. साथ ही कोर्ट से सात दिसंबर तक का समय मांगा गया है. जिस पर कोर्ट ने मामले की सुनवाई आठ दिसंबर निर्धारित की. कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया कि कमेटी की रिपोर्ट के आलोक में जो भी निर्णय राज्य सरकार लेगी उसकी जानकारी सभी पक्ष के अधिवक्ताओं को दी जाए. सुनवाई के दौरान एमिकस क्यूरी वरीय अधिवक्ता वीपी सिंह और अधिवक्ता रश्मि कुमार उपस्थित थे.

समिति ने केवल अनुसूचित एक के बारे में ही अनुशंसा की हैः पूर्व की सुनवाई में कोर्ट को बताया गया था कि नए कोर्ट फीस कानून में दो अनुसूची है. जिसमें समिति ने केवल अनुसूचित एक (निचली अदालतों में दिए जाने वाले कोर्ट फीस) के बारे में ही अनुशंसा की है. लेकिन अनुसूचित दो जो हाईकोर्ट की कोर्ट फीस से संबंधित है उसके बारे में ज्यादा कुछ नहीं कहा है. पूर्व की सुनवाई में कोर्ट ने यह भी कहा था कि नए कानून के हिसाब से अगर कोर्ट फीस वसूल किया जाता है तो वह केस के अंतिम निर्णय से प्रभावित होगा.

कोर्ट फीस में वृद्धि से गरीब तबके के लोगों को होगी परेशानीः प्रार्थी की ओर से कहा गया था कि कोर्ट फीस में बेतहाशा वृद्धि सरकार द्वारा इस कानून के माध्यम से की गई है. कोर्ट फीस वृद्धि से पहले आवश्यक पहलू की जांच नहीं की गई. पूर्व की सुनवाई में राजेंद्र कृष्ण ने मामले में पैरवी करते हुए कोर्ट से कहा था कि कोर्ट फीस में बेतहाशा वृद्धि से समाज के गरीब तबके के लोग कोर्ट नहीं आ पायेंगे और वकीलों को भी अतिरिक्त वित्तीय भार का वहन करना पड़ेगा.

राज्य सरकार का कोर्ट फीस एक्ट गलतः काउंसिल ने यह भी कहा है कि कोर्ट फीस की वृद्धि से लोगों को सहज और सुलभ न्याय दिलाना संभव नहीं है. राज्य सरकार का कोर्ट फीस एक्ट गलत (Court Fee Act of Government is Wrong) है. यह संविधान के खिलाफ है. साथ ही यह सेंट्रल कोर्ट फीस एक्ट के भी विरुद्ध है.

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