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हाई स्कूल शिक्षक नियुक्ति मामला: जानिए सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई में क्या हुआ

हाई स्कूल शिक्षक नियुक्ति मामले (High school teacher appointment case) में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. जहां अदालत ने सरकार से रिक्त पदों के बारे में जानकारी मांगी है. संभावना है कि यह सुनवाई गुरुवार को भी जारी रहेगी.

High school teacher appointment case
High school teacher appointment case
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Published : Dec 14, 2022, 9:59 PM IST

रांची: हाई स्कूल शिक्षक नियुक्ति 2016 मामले (High school teacher appointment case) में बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस सी. टी. रवि कुमार की अदालत में हुई सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से जानेमाने अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने पक्ष रखा. सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल ने 2 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गये आदेश के अनुरूप सरकार द्वारा इसका पालन करने की बात कही. सुनवाई के दौरान, वैसे परीक्षार्थी जिनका सर्टिफिकेट वेरिफिकेशन हो चुका है, उनकी ओर से भी कोर्ट के समक्ष पक्ष रखा गया. वरीय अधिवक्ता श्याम दीवान और विकास सिंह ने न्यायालय के समक्ष पक्ष रखते हुए बचे हुए सीटों पर नियुक्ति प्रक्रिया शुरू कराने का आदेश देने की अपील कोर्ट से की. सुप्रीम कोर्ट में भोजनावकाश के बाद हुई सुनवाई के बाद कोर्ट ने राज्य सरकार से रिक्त पदों के बारे में जानकारी मांगी है. जानकारी के मुताबिक सुनवाई कल भी जारी रहने की संभावना है.



ये भी पढ़ें: हाई स्कूल शिक्षक नियुक्ति मामला: विवादों के बीच याचिकाकर्ताओं की कॉउसिलिंग शुरू, पुलिस सुरक्षा में JSSC ऑफिस पहुंची सोनी

लंबे समय से चल रही है कानूनी लड़ाई: हाई स्कूल शिक्षक नियुक्ति परीक्षा 2016 मामले में लंबे समय से कानूनी लड़ाई चल रही है. इस केस में सोनी कुमारी की ओर से पक्ष रख रहे अधिवक्ता ललित कुमार सिंह कहते हैं कि 2 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को अब तक नियुक्त हुए अभ्यर्थियों के अंतिम कट ऑफ को आधार मानकर इस केस के सभी पेटिशनर की मेधा सूची तैयार कर नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश दिया था. उन्होंने कहा कि इस मामले में शेष बचे पदों पर नियुक्ति कैसे होगी उसपर सुप्रीम कोर्ट आगे की सुनवाई में आर्डर दे सकती है.



क्या है पूरा मामला: दरअसल, 2016 की नियोजन नीति के तहत झारखंड के 13 अनुसूचित जिलों के सभी तृतीय और चतुर्थ वर्गीय पदों को उसी जिले के लिए स्थानीय निवासियों के लिए आरक्षित किया गया था. वहीं गैर अनुसूचित जिले में बाहरी अभ्यर्थियों को भी आवेदन करने की छूट दी गई थी. इसी नीति के तहत वर्ष 2016 में अनुसूचित जिलों में 8,423 और गैर अनुसूचित जिलों में 9,149 पदों पर हाई स्कूल शिक्षकों की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू की गई थी. 13 अनुसूचित जिले के सभी तृतीय और चतुर्थ वर्गीय पदों को उसी जिले के लिए स्थानीय निवासियों के लिए आरक्षित किए जाने के विरोध में झारखंड हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी. हाई कोर्ट की लार्जर बेंच ने 21 सितंबर 2020 को राज्य सरकार की नियोजन नीति और हाई स्कूल शिक्षक नियुक्ति विज्ञापन को चुनौती देने वाली याचिका पर फैसला सुनाते हुए नियोजन नीति को असंवैधानिक बताते हुए उसे निरस्त कर दिया था. हाई कोर्ट ने 13 जिलों में नियुक्त शिक्षकों की नियुक्ति को रद्द करते हुए गैर अनुसूचित जिलों की नियुक्ति को बरकरार रखा था. हाई कोर्ट के लार्जर बेंच के फैसले के बाद सुप्रीम कोर्ट में प्रार्थी सत्यजीत कुमार एवं अन्य की ओर से एसएलपी दायर की गई, जिसपर सुप्रीम कोर्ट ने 2 अगस्त को इस मामले में फैसला सुनाते हुए राज्य सरकार और जेएसएससी को प्रकाशित अंतिम मेधा सूची को आधार मानकर राज्यस्तरीय मेरिट लिस्ट जारी कर नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करने को कहा था.

रांची: हाई स्कूल शिक्षक नियुक्ति 2016 मामले (High school teacher appointment case) में बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस सी. टी. रवि कुमार की अदालत में हुई सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से जानेमाने अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने पक्ष रखा. सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल ने 2 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गये आदेश के अनुरूप सरकार द्वारा इसका पालन करने की बात कही. सुनवाई के दौरान, वैसे परीक्षार्थी जिनका सर्टिफिकेट वेरिफिकेशन हो चुका है, उनकी ओर से भी कोर्ट के समक्ष पक्ष रखा गया. वरीय अधिवक्ता श्याम दीवान और विकास सिंह ने न्यायालय के समक्ष पक्ष रखते हुए बचे हुए सीटों पर नियुक्ति प्रक्रिया शुरू कराने का आदेश देने की अपील कोर्ट से की. सुप्रीम कोर्ट में भोजनावकाश के बाद हुई सुनवाई के बाद कोर्ट ने राज्य सरकार से रिक्त पदों के बारे में जानकारी मांगी है. जानकारी के मुताबिक सुनवाई कल भी जारी रहने की संभावना है.



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लंबे समय से चल रही है कानूनी लड़ाई: हाई स्कूल शिक्षक नियुक्ति परीक्षा 2016 मामले में लंबे समय से कानूनी लड़ाई चल रही है. इस केस में सोनी कुमारी की ओर से पक्ष रख रहे अधिवक्ता ललित कुमार सिंह कहते हैं कि 2 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को अब तक नियुक्त हुए अभ्यर्थियों के अंतिम कट ऑफ को आधार मानकर इस केस के सभी पेटिशनर की मेधा सूची तैयार कर नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश दिया था. उन्होंने कहा कि इस मामले में शेष बचे पदों पर नियुक्ति कैसे होगी उसपर सुप्रीम कोर्ट आगे की सुनवाई में आर्डर दे सकती है.



क्या है पूरा मामला: दरअसल, 2016 की नियोजन नीति के तहत झारखंड के 13 अनुसूचित जिलों के सभी तृतीय और चतुर्थ वर्गीय पदों को उसी जिले के लिए स्थानीय निवासियों के लिए आरक्षित किया गया था. वहीं गैर अनुसूचित जिले में बाहरी अभ्यर्थियों को भी आवेदन करने की छूट दी गई थी. इसी नीति के तहत वर्ष 2016 में अनुसूचित जिलों में 8,423 और गैर अनुसूचित जिलों में 9,149 पदों पर हाई स्कूल शिक्षकों की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू की गई थी. 13 अनुसूचित जिले के सभी तृतीय और चतुर्थ वर्गीय पदों को उसी जिले के लिए स्थानीय निवासियों के लिए आरक्षित किए जाने के विरोध में झारखंड हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी. हाई कोर्ट की लार्जर बेंच ने 21 सितंबर 2020 को राज्य सरकार की नियोजन नीति और हाई स्कूल शिक्षक नियुक्ति विज्ञापन को चुनौती देने वाली याचिका पर फैसला सुनाते हुए नियोजन नीति को असंवैधानिक बताते हुए उसे निरस्त कर दिया था. हाई कोर्ट ने 13 जिलों में नियुक्त शिक्षकों की नियुक्ति को रद्द करते हुए गैर अनुसूचित जिलों की नियुक्ति को बरकरार रखा था. हाई कोर्ट के लार्जर बेंच के फैसले के बाद सुप्रीम कोर्ट में प्रार्थी सत्यजीत कुमार एवं अन्य की ओर से एसएलपी दायर की गई, जिसपर सुप्रीम कोर्ट ने 2 अगस्त को इस मामले में फैसला सुनाते हुए राज्य सरकार और जेएसएससी को प्रकाशित अंतिम मेधा सूची को आधार मानकर राज्यस्तरीय मेरिट लिस्ट जारी कर नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करने को कहा था.

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