रांचीः भूख से मौत को लेकर अक्सर झारखंड चर्चा में रहता है, हाल के दिनों में बोकारो के 1 ही परिवार के 3 लोगों की कथित तौर पर भूख से मौत हो या देवघर में इसी तरह का मामला. यही नहीं 3 साल पहले राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बना सिमडेगा में संतोषी की मौत. संतोषी की मौत को भी भूख से जोड़ा गया. लेकिन सरकार ने ये कभी नहीं माना की राज्य में भूख से कोई मौत हुई है. फिर चाहे वह बीजेपी की सरकार हो या फिर जेएमएम की.
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19 अप्रैल को फिर से होगी सुनवाई
28 सितंबर 2017 को सिमडेगा की रहने वाली 11 वर्षीय बच्ची संतोषी की मौत काफी चर्चा में रही. उस मामले में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है. सुप्रीम कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए राज्य सरकार को जवाब पेश करने को कहा है. अब मामले पर 19 अप्रैल को फिर से सुनवाई होनी है. राज्य सरकार को जवाब पेश करने हैं, देखना अहम होगा कि राज्य सरकार अदालत में क्या जवाब पेश करती है.
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य से मांगा जवाब
सिमडेगा में भूख से हुई मौत के मामले में दायर याचिका पर सुनवाई के उपरांत सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड सरकार और केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने को कहा है. सर्वोच्च न्यायालय ने राज्य सरकार और केंद्र सरकार को अपने जवाब में यह बताने को कहा है कि कैसे गरीब लोगों के राशन कार्ड रद्द किए गए? क्यों आधार कार्ड लिंक नहीं होने के कारण राशन कार्ड रद्द किया गया? किन परिस्थिति में इस तरह के कदम उठाए गए? इस पर विस्तृत जवाब पेश करने को कहा है.
8 दिनों तक खाना नहीं मिलने के कारण हुई मौत
सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में बताया गया है कि संतोषी की मौत उसे 8 दिनों तक खाना नहीं मिलने के कारण हुई है. संतोषी के परिवार के राशन कार्ड इसलिए रद्द कर दिया गया था कि आधार कार्ड से वह राशन कार्ड लिंक नहीं था जिसकी वजह से राशन कार्ड रद्द हो गया था, जिसके कारण से उन्हें सरकारी राशन नहीं मिल पाया. खाना नहीं मिलने से भूख से संतोषी की मौत हो गई.