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झारखंड हाई कोर्ट का राज्य सरकार से सवाल, जनप्रतिनिधियों को वाहनों में नेमप्लेट लगाने की क्यों दी गई छूट? - नेमप्लेट मामले में हाईकोर्ट में सुनवाई

राज्य में निजी वाहनों पर 'नेम प्लेट' ( Name Plate )हटाने की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका पर गुरुवार को झारखंड हाई कोर्ट(Jharkhand High COURT) में सुनवाई हुई. कोर्ट ने सुनवाई के दौरान सभी जनप्रतिनिधियों को 'नेम प्लेट' लगाने की छूट देने के राज्य सरकार के फैसले पर सवाल पूछा है. इस मामले में अगली सुनवाई अब 8 जुलाई को होगी.

Hearing on name plate in Jharkhand High Court
झारखंड हाई कोर्ट में नेम प्लेट पर सुनवाई
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Published : Jun 24, 2021, 10:12 PM IST

रांची: गुरुवार को झारखंड हाई कोर्ट (Jharkhand High COURT) में नेमप्लेट हटाने की मांग को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई हुई. कोर्ट ने जनप्रतिनिधियों को नेमप्लेट लगाने की छूट क्यों दी गई इस पर सरकार से सवाल पूछा है. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने राज्य सरकार के परिवहन सचिव को हाजिर होकर जवाब पेश करने को कहा है.

ये भी पढ़ें- रांची: निजी स्कूलों को शिक्षा सचिव की चेतावनी, नियम तोड़ा तो होगी कार्रवाई

जनप्रतिनिधियों को नियम में छूट

नेमप्लेट मामले में दायर जनहित याचिका ( Public Interest Litigation) पर हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉक्टर रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत में सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान सभी पक्षों के अधिवक्ताओं ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अपने अपने पक्ष को रखा. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने अदालत को जानकारी दी कि हाई कोर्ट ने जो सरकार को नियम बनाने का आदेश दिया था उसमें सभी तरह के जनप्रतिनिधियों और कई तरह के अधिकारियों को निजी वाहन पर भी विशेष नेम प्लेट लगाने की छूट दे दी गई. जिस पर अदालत ने राज्य सरकार को पूरे मामले में जवाब पेश करने का निर्देश दिया है.

धीरज कुमार, अधिवक्ता, झारखंड हाई कोर्ट

8 जुलाई को अगली सुनवाई

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने राज्य सरकार के परिवहन सचिव को हाजिर होकर जवाब पेश करने का आदेश दिया है. कोर्ट ने मौखिक टिप्पणी करते हुए राज्य सरकार से पूछा कि सभी तरह के जनप्रतिनिधियों को निजी वाहन में नेम प्लेट लगाने की छूट क्यों दी गई. कोर्ट ने मजाकिया लहजे में मुखिया पति का उदाहरण देते हुए राज्य सरकार पर नियमों में छूट देने पर खिंचाई की. अब मामले की अगली सुनवाई 8 जुलाई को होगी.

क्या है पूरा मामला?

बता दें कि याचिकाकर्ता गजला तनवीर ने राज्य में निजी वाहनों में विशेष नेम प्लेट लगाकर घूम रहे लोगों पर धौंस दिखाने और इससे हो रही कठिनाई को लेकर हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. उसी याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने राज्य सरकार को नियम बनाने का आदेश दिया था. जिसके बाद बनाए गए नियम में जनप्रतिनिधियों को छूट देने पर अदालत ने राज्य सरकार से जवाब मांगा है.

रांची: गुरुवार को झारखंड हाई कोर्ट (Jharkhand High COURT) में नेमप्लेट हटाने की मांग को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई हुई. कोर्ट ने जनप्रतिनिधियों को नेमप्लेट लगाने की छूट क्यों दी गई इस पर सरकार से सवाल पूछा है. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने राज्य सरकार के परिवहन सचिव को हाजिर होकर जवाब पेश करने को कहा है.

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जनप्रतिनिधियों को नियम में छूट

नेमप्लेट मामले में दायर जनहित याचिका ( Public Interest Litigation) पर हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉक्टर रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत में सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान सभी पक्षों के अधिवक्ताओं ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अपने अपने पक्ष को रखा. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने अदालत को जानकारी दी कि हाई कोर्ट ने जो सरकार को नियम बनाने का आदेश दिया था उसमें सभी तरह के जनप्रतिनिधियों और कई तरह के अधिकारियों को निजी वाहन पर भी विशेष नेम प्लेट लगाने की छूट दे दी गई. जिस पर अदालत ने राज्य सरकार को पूरे मामले में जवाब पेश करने का निर्देश दिया है.

धीरज कुमार, अधिवक्ता, झारखंड हाई कोर्ट

8 जुलाई को अगली सुनवाई

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने राज्य सरकार के परिवहन सचिव को हाजिर होकर जवाब पेश करने का आदेश दिया है. कोर्ट ने मौखिक टिप्पणी करते हुए राज्य सरकार से पूछा कि सभी तरह के जनप्रतिनिधियों को निजी वाहन में नेम प्लेट लगाने की छूट क्यों दी गई. कोर्ट ने मजाकिया लहजे में मुखिया पति का उदाहरण देते हुए राज्य सरकार पर नियमों में छूट देने पर खिंचाई की. अब मामले की अगली सुनवाई 8 जुलाई को होगी.

क्या है पूरा मामला?

बता दें कि याचिकाकर्ता गजला तनवीर ने राज्य में निजी वाहनों में विशेष नेम प्लेट लगाकर घूम रहे लोगों पर धौंस दिखाने और इससे हो रही कठिनाई को लेकर हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. उसी याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने राज्य सरकार को नियम बनाने का आदेश दिया था. जिसके बाद बनाए गए नियम में जनप्रतिनिधियों को छूट देने पर अदालत ने राज्य सरकार से जवाब मांगा है.

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