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देवघर में सड़क निर्माण के गड़बड़ी की जांच मामले में हाई कोर्ट में सुनवाई पूरी, अब 2 नवंबर को खुलेगा कोर्ट

देवघर और पाकुड़ जिले में वर्ष 2009 में बने सड़क में हुई गड़बड़ी की जांच में दोषी पाए जाने के बाद भी सरकार की ओर से एफआईआर दर्ज नहीं कराई गई थी. इस मामले को लेकर झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. अदालत ने सभी पक्षों को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रखा है. फिलहाल 22 अक्टूबर से 1 नवंबर तक अदालत में अवकाश घोषित कर दी गई है.

Hearing in Jharkhand High Court road construction case in Deoghar
झारखंड हाई कोर्ट
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Published : Oct 21, 2020, 9:24 PM IST

रांची: संथाल परगना के देवघर और पाकुड़ जिले में वर्ष 2009 में बने सड़क में हुई गड़बड़ी की जांच में दोषी पाए जाने के बाद भी ग्रामीण कार्य विभाग के ओर से एफआईआर दर्ज नहीं कराए जाने के मामले पर हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. अदालत ने मामले में सभी पक्षों की दलील को सुनने के बाद सुनवाई की सभी प्रक्रिया पूर्ण कर ली है, साथ ही फैसला को सुरक्षित रखा है. शीघ्र ही फैसला सुनाया जाएगा.

झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और न्यायाधीश सुजित नारायण प्रसाद की अदालत में वर्ष 2009 में पाकुड़ और देवघर जिले में सड़क निर्माण में हुई अनियमितता की जांच के मामले में दायर एलपीए याचिका पर सुनवाई हुई. न्यायाधीश ने अपने आवासीय कार्यालय से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई की. वहीं याचिकाकर्ता के अधिवक्ता, सरकार के महाधिवक्ता राजीव रंजन और एसीबी के अधिवक्ता टीएन वर्मा ने अपने आवास से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पक्ष रखा. सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से बताया गया कि मामले में एफआईआर दर्ज करने के लिए स्वीकृति दे दी गई है, शीघ्र ही एफआईआर दर्ज कर ली जाएगी. वहीं याचिकाकर्ता की ओर से अदालत को बताया गया कि एसीबी की ओर से की जा रही जांच गलत है, इसमें कई अनदेखी की गई है, आरोपी को अपना पक्ष रखने का भी मौका नहीं दिया गया है, इसलिए इस जांच को रद्द कर दी जाए. अदालत ने सभी पक्षों को सुनने के बाद सुनवाई की प्रक्रिया पूर्ण कर फैसला सुरक्षित रख लिया है.

इसे भी पढे़ं:- मोमेंटम झारखंड का मामला फिर पहुंचा झारखंड हाई कोर्ट, ACB को जांच का आदेश देने की मांग


सड़क निर्माण में अनियमितता बरतने के आरोपी विभाग के एक्सक्यूटिव इंजीनियर पारस कुमार और जूनियर इंजीनियर अनिल कुमार ने एसीबी के जांच को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी. हाई कोर्ट की एकल पीठ ने वर्ष 2017 में उनकी याचिका को खारिज कर दी. एकल पीठ के उसी फैसले को उन्होंने हाई कोर्ट की डबल बेंच में एलपीए दायर कर चुनौती दी है. उस याचिका पर सुनवाई के बाद मामले में सुनवाई की प्रक्रिया पूर्ण कर फैसला सुरक्षित रख लिया गया है.

अदालत में अवकाश घोषित

झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन के आदेश से हाई कोर्ट में 22 अक्टूबर से अगले 1 नवंबर तक अवकाश घोषित की गई है. दुर्गा पूजा और अन्य अवसर पर हाई कोर्ट प्रशासन ने यह अवकाश घोषित की है. अब झारखंड हाई कोर्ट में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से 2 नवंबर से सुनवाई होगी, तब तक के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से हो रही नियमित सुनवाई नहीं होगी. इस बीच जरूरत पड़ी तो वैकेशन कोट लगाया जा सकता है. झारखंड हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल अंबुज नाथ ने बताया है कि कार्यालय 31 अक्टूबर को खुलेगी.

रांची: संथाल परगना के देवघर और पाकुड़ जिले में वर्ष 2009 में बने सड़क में हुई गड़बड़ी की जांच में दोषी पाए जाने के बाद भी ग्रामीण कार्य विभाग के ओर से एफआईआर दर्ज नहीं कराए जाने के मामले पर हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. अदालत ने मामले में सभी पक्षों की दलील को सुनने के बाद सुनवाई की सभी प्रक्रिया पूर्ण कर ली है, साथ ही फैसला को सुरक्षित रखा है. शीघ्र ही फैसला सुनाया जाएगा.

झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और न्यायाधीश सुजित नारायण प्रसाद की अदालत में वर्ष 2009 में पाकुड़ और देवघर जिले में सड़क निर्माण में हुई अनियमितता की जांच के मामले में दायर एलपीए याचिका पर सुनवाई हुई. न्यायाधीश ने अपने आवासीय कार्यालय से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई की. वहीं याचिकाकर्ता के अधिवक्ता, सरकार के महाधिवक्ता राजीव रंजन और एसीबी के अधिवक्ता टीएन वर्मा ने अपने आवास से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पक्ष रखा. सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से बताया गया कि मामले में एफआईआर दर्ज करने के लिए स्वीकृति दे दी गई है, शीघ्र ही एफआईआर दर्ज कर ली जाएगी. वहीं याचिकाकर्ता की ओर से अदालत को बताया गया कि एसीबी की ओर से की जा रही जांच गलत है, इसमें कई अनदेखी की गई है, आरोपी को अपना पक्ष रखने का भी मौका नहीं दिया गया है, इसलिए इस जांच को रद्द कर दी जाए. अदालत ने सभी पक्षों को सुनने के बाद सुनवाई की प्रक्रिया पूर्ण कर फैसला सुरक्षित रख लिया है.

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सड़क निर्माण में अनियमितता बरतने के आरोपी विभाग के एक्सक्यूटिव इंजीनियर पारस कुमार और जूनियर इंजीनियर अनिल कुमार ने एसीबी के जांच को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी. हाई कोर्ट की एकल पीठ ने वर्ष 2017 में उनकी याचिका को खारिज कर दी. एकल पीठ के उसी फैसले को उन्होंने हाई कोर्ट की डबल बेंच में एलपीए दायर कर चुनौती दी है. उस याचिका पर सुनवाई के बाद मामले में सुनवाई की प्रक्रिया पूर्ण कर फैसला सुरक्षित रख लिया गया है.

अदालत में अवकाश घोषित

झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन के आदेश से हाई कोर्ट में 22 अक्टूबर से अगले 1 नवंबर तक अवकाश घोषित की गई है. दुर्गा पूजा और अन्य अवसर पर हाई कोर्ट प्रशासन ने यह अवकाश घोषित की है. अब झारखंड हाई कोर्ट में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से 2 नवंबर से सुनवाई होगी, तब तक के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से हो रही नियमित सुनवाई नहीं होगी. इस बीच जरूरत पड़ी तो वैकेशन कोट लगाया जा सकता है. झारखंड हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल अंबुज नाथ ने बताया है कि कार्यालय 31 अक्टूबर को खुलेगी.

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