रांची: भारतीय जनता पार्टी (BJP) में झारखंड विकास मोर्चा (JVM) के विलय को स्वीकृति देने के भारतीय निर्वाचन आयोग (Election Commission of India) के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर झारखंड हाई कोर्ट (Jharkhand High Court) में सुनवाई हुई. दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने भारत निर्वाचन आयोग और झारखंड के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी को नोटिस जारी कर 6 सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा है. आयोग का जवाब आने के बाद मामले पर आगे की सुनवाई की जाएगी.
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वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से सुनवाई
झारखंड हाई कोर्ट के न्यायाधीश राजेश शंकर की अदालत में बीजेपी में जेवीएम के विलय को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई हुई. विधायक प्रदीप यादव के इस याचिका में विलय को स्वीकृति देने के भारतीय निर्वाचन आयोग के फैसले को चुनौती दी गई है. वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से हुई सुनवाई में सभी पक्षों, याचिकाकर्ता के अधिवक्ता और निर्वाचन आयोग के अधिवक्ता ने अपना-अपना पक्ष रखा. दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने भारत निर्वाचन आयोग और झारखंड के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी को नोटिस जारी कर 6 हफ्तों में जवाब मांगा है.
क्या है पूरा मामला
2019 विधानसभा चुनाव में झारखंड विकास मोर्चा ( JVM) के तीन प्रत्याशियों बाबूलाल मरांडी, प्रदीप यादव और बंधु तिर्की की जीत हुई थी. चुनाव में जीत के बाद जेवीएम सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी ने पार्टी का विलय बीजेपी में कर लिया था. बाबूलाल मरांडी के इस फैसले का विरोध करते हुए दो विधायक प्रदीप यादव और बंधु तिर्की कांग्रेस में शामिल हो गए. बीजेपी में जेवीएम के विलय को भारत निर्वाचन आयोग ने सही माना. आयोग के इस फैसले को प्रदीप यादव ने हाई कोर्ट में चुनौती देते हुए याचिका दायर की थी. उसी याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने भारत निर्वाचन आयोग और झारखंड के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी से जवाब मांगा है.