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सिपाही नियुक्ति नियमावली को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई, 4190 प्रतिवादी रखेंगे अपना पक्ष

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Published : Oct 18, 2021, 9:31 PM IST

झारखंड हाई कोर्ट में सिपाही नियुक्ति नियमावली को रद्द करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई हुई. इस मामले में कोर्ट ने याचिका की पूरी कॉपी मांगी है.

Jharkhand High Court
Jharkhand High Court

रांची: झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डा. रवि रंजन और जस्टिस एसएन प्रसाद की खंडपीठ में सिपाही नियुक्ति नियमावली-2014 को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई हुई. इस मामले में सुनवाई के दौरान लगभग 4,190 प्रतिवादियों की ओर से अधिवक्ता अदालत में उपस्थित हुए. उन्होंने पक्ष रखने की बात कही. लेकिन इसके लिए अदालत से याचिका की पूरी प्रति की मांग की जिस पर अदालत ने प्रार्थी के अधिवक्ता को याचिका की प्रति देने का निर्देश देते हुए मामले की अगली सुनवाई 29 नंबर के लिए तय की है.

ये भी पढ़ें- झारखंड हाईकोर्ट सरकार से नाराज, पूछा-जेपीएससी थर्ड बैच के पदाधिकारियों को क्यों नहीं दी प्रोन्नति

पूर्व में इस मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने मामले में दोनों पक्षों को सुनने के उपरांत प्रभावित चयनित उम्मीदवारों को प्रतिवादी बनाते हुए उन्हें नोटिस जारी कर अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया था. उसी आदेश के आलोक में पूर्व में चयनित 4,190 अभ्यर्थियों की ओर से अदालत में अधिवक्ता उपस्थित हुए. इस संबंध में सुनील टुडू सहित 50 याचिकाएं अदालत में दाखिल की गई है.

सुनवाई के दौरान अदालत को बताया गया कि सिपाही नियुक्ति नियमवली-2014 पुलिस मैनुअल के प्रविधानों के विपरीत है. नई नियमावली में लिखित परीक्षा के लिए निर्धारित न्यूनतम क्वालिफाइंग मार्क्स की शर्त भी गलत है. इसलिए नई नियमावली को निरस्त कर देना चाहिए. इस मामले में जेएसएससी के अधिवक्ता संजय पिपरवाल और प्रिंस कुमार सिंह का कहना है कि नई नियमावली के अनुसार ही वर्ष 2015 में सभी जिलों में सिपाही और जैप के जवानों की नियुक्ति के लिए विज्ञापन निकाला गया था. नियुक्ति की प्रक्रिया वर्ष 2018 में पूरी कर ली गई है. इस पर वादियों की ओर से कहा गया कि पूर्व में हाई कोर्ट की एकलपीठ ने इस मामले के अंतिम फैसले से नियुक्ति प्रक्रिया प्रभावित होने का आदेश दिया था.

रांची: झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डा. रवि रंजन और जस्टिस एसएन प्रसाद की खंडपीठ में सिपाही नियुक्ति नियमावली-2014 को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई हुई. इस मामले में सुनवाई के दौरान लगभग 4,190 प्रतिवादियों की ओर से अधिवक्ता अदालत में उपस्थित हुए. उन्होंने पक्ष रखने की बात कही. लेकिन इसके लिए अदालत से याचिका की पूरी प्रति की मांग की जिस पर अदालत ने प्रार्थी के अधिवक्ता को याचिका की प्रति देने का निर्देश देते हुए मामले की अगली सुनवाई 29 नंबर के लिए तय की है.

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पूर्व में इस मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने मामले में दोनों पक्षों को सुनने के उपरांत प्रभावित चयनित उम्मीदवारों को प्रतिवादी बनाते हुए उन्हें नोटिस जारी कर अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया था. उसी आदेश के आलोक में पूर्व में चयनित 4,190 अभ्यर्थियों की ओर से अदालत में अधिवक्ता उपस्थित हुए. इस संबंध में सुनील टुडू सहित 50 याचिकाएं अदालत में दाखिल की गई है.

सुनवाई के दौरान अदालत को बताया गया कि सिपाही नियुक्ति नियमवली-2014 पुलिस मैनुअल के प्रविधानों के विपरीत है. नई नियमावली में लिखित परीक्षा के लिए निर्धारित न्यूनतम क्वालिफाइंग मार्क्स की शर्त भी गलत है. इसलिए नई नियमावली को निरस्त कर देना चाहिए. इस मामले में जेएसएससी के अधिवक्ता संजय पिपरवाल और प्रिंस कुमार सिंह का कहना है कि नई नियमावली के अनुसार ही वर्ष 2015 में सभी जिलों में सिपाही और जैप के जवानों की नियुक्ति के लिए विज्ञापन निकाला गया था. नियुक्ति की प्रक्रिया वर्ष 2018 में पूरी कर ली गई है. इस पर वादियों की ओर से कहा गया कि पूर्व में हाई कोर्ट की एकलपीठ ने इस मामले के अंतिम फैसले से नियुक्ति प्रक्रिया प्रभावित होने का आदेश दिया था.

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