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हाई कोर्ट ने परिवहन सचिव से पूछा- सांसद, विधायक कैसे लगा रहे हैं निजी वाहन पर बोर्ड? 5 अगस्त तक दें जवाब - वाहन पर नेम प्लेट लगाने के मामले में सुनवाई

वाहन पर नाम पट्टिका लगाने के मामले में दायर जनहित याचिका पर झारखंड हाई कोर्ट (Jharkhand High Court) में सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान अदालत ने सरकार के जवाब पर नाराजगी व्यक्त की है. अदालत ने परिवहन सचिव (Transport secretary) से पूछा कि, जब न्यायिक पदाधिकारियों को निजी वाहन पर बोर्ड लगाना प्रतिबंधित किया गया है, तो फिर जनप्रतिनिधियों को निजी वाहन पर बोर्ड लगाने की छूट क्यों दी गई है? मामले की अगली सुनवाई 5 अगस्त को होगी.

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झारखंड हाई कोर्ट
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Published : Jul 8, 2021, 9:40 PM IST

रांची: वाहन पर नाम पट्टिका लगाने के मामले में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान झारखंड हाई कोर्ट (Jharkhand High Court) ने सरकार के जवाब पर नाराजगी व्यक्त की है. मामले में अदालत ने झारखंड सरकार (Jharkhand Government) के परिवहन सचिव को लिखित रूप से स्पष्ट जवाब शपथ पत्र के माध्यम से पेश करने का निर्देश दिया है. अदालत ने यह जानना चाहा कि, जब नियम में यह प्रावधान है, कि सिर्फ सरकारी गाड़ी पर ही नाम पट्टिका या बोर्ड लगाई जाएगी, तो जनप्रतिनिधियों की निजी गाड़ी पर यह नाम पट्टिका लगाने की छूट कैसे दी गई? अदालत ने सरकार को 5 अगस्त से पूर्व अपना जवाब अदालत में पेश करने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई 5 अगस्त को होगी.

इसे भी पढे़ं: हिनू नदी अतिक्रमण मामले पर झारखंड हाई कोर्ट का सरकार को आदेश, कहा- हर हाल में मुक्त कराएं जमीन

झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और न्यायाधीश एसएन प्रसाद की अदालत में वाहन पर नाम पट्टिका या बोर्ड लगाने के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई हुई. इस दौरान अदालत ने इस बात को लेकर नाराजगी जताई, कि सरकार की ओर से जारी अधिसूचना में सांसद, विधायक सहित अन्य जनप्रतिनिधियों को अपने वाहन पर नेम प्लेट या बोर्ड लगाने की छूट प्रदान की गई है. वहीं, इसी अधिसूचना में कहा गया है, कि बोर्ड सिर्फ सरकारी वाहनों पर ही लगाया जा सकता है, ऐसे में सांसद, विधायक और अन्य जनप्रतिनिधि अपने निजी वाहन पर कैसे बोर्ड लगा रहे हैं? अदालत ने इस मामले में परिवहन सचिव से स्पष्ट जानकारी मांगी है. अदालत ने पूछा है कि, निजी वाहन का उपयोग करने वाले जनप्रतिनिधियों को बोर्ड लगाने की अनुमति क्यों दी गई है?

जानकारी देते अधिवक्ता


वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए परिवहन सचिव अदालत में हुए हाजिर
सुनवाई के दौरान परिवहन सचिव अदालत में वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए हाजिर हुए थे. अदालत ने उनसे पूछा कि, जब न्यायिक पदाधिकारियों को निजी वाहन पर बोर्ड लगाना प्रतिबंधित किया गया है, तो फिर जनप्रतिनिधियों को निजी वाहन पर बोर्ड लगाने की छूट क्यों दी गई है? क्या जनप्रतिनिधि अपने क्षेत्र में किसी परिचय के मोहताज है? जो उन्हें इसकी छूट दी गई है. अदालत ने पूछा कि, किस कानून के अनुसार ऐसा किया गया है? वहीं परिवहन सचिव ने कहा कि, बोर्ड केवल सरकारी वाहन पर लगाया जा सकता है, निजी वाहन पर ऐसा करना प्रतिबंधित है.

इसे भी पढे़ं: रांची सदर अस्पताल मामले पर हाई कोर्ट ने अधिकारी को लगाई फटकार, पूछा- बताइए क्या-क्या व्यवस्था किए हैं

गजावा तनवीर ने दायर की है जनहित याचिका

अदालत ने पूछा कि, क्या सभी सांसद, विधायक और मुखिया को सरकारी वाहन दिया जाता है, जो वे अपने वाहन पर बोर्ड लगाते हैं? इस दौरान महाधिवक्ता राजीव रंजन ने कहा कि, जनप्रतिनिधियों को दूर क्षेत्र में जाना पड़ता है, इसलिए उन्हें इसकी छूट है. वहीं, सीओ-बीडीओ के सवाल पर उन्होंने कहा कि, उन्हें कानून व्यवस्था के संधारण के लिए छूट प्रदान की गई है. इस पर अदालत ने परिवहन सचिव से विस्तृत जानकारी मांगी है. इस मामले को लेकर गजावा तनवीर ने हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की है.

रांची: वाहन पर नाम पट्टिका लगाने के मामले में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान झारखंड हाई कोर्ट (Jharkhand High Court) ने सरकार के जवाब पर नाराजगी व्यक्त की है. मामले में अदालत ने झारखंड सरकार (Jharkhand Government) के परिवहन सचिव को लिखित रूप से स्पष्ट जवाब शपथ पत्र के माध्यम से पेश करने का निर्देश दिया है. अदालत ने यह जानना चाहा कि, जब नियम में यह प्रावधान है, कि सिर्फ सरकारी गाड़ी पर ही नाम पट्टिका या बोर्ड लगाई जाएगी, तो जनप्रतिनिधियों की निजी गाड़ी पर यह नाम पट्टिका लगाने की छूट कैसे दी गई? अदालत ने सरकार को 5 अगस्त से पूर्व अपना जवाब अदालत में पेश करने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई 5 अगस्त को होगी.

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झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और न्यायाधीश एसएन प्रसाद की अदालत में वाहन पर नाम पट्टिका या बोर्ड लगाने के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई हुई. इस दौरान अदालत ने इस बात को लेकर नाराजगी जताई, कि सरकार की ओर से जारी अधिसूचना में सांसद, विधायक सहित अन्य जनप्रतिनिधियों को अपने वाहन पर नेम प्लेट या बोर्ड लगाने की छूट प्रदान की गई है. वहीं, इसी अधिसूचना में कहा गया है, कि बोर्ड सिर्फ सरकारी वाहनों पर ही लगाया जा सकता है, ऐसे में सांसद, विधायक और अन्य जनप्रतिनिधि अपने निजी वाहन पर कैसे बोर्ड लगा रहे हैं? अदालत ने इस मामले में परिवहन सचिव से स्पष्ट जानकारी मांगी है. अदालत ने पूछा है कि, निजी वाहन का उपयोग करने वाले जनप्रतिनिधियों को बोर्ड लगाने की अनुमति क्यों दी गई है?

जानकारी देते अधिवक्ता


वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए परिवहन सचिव अदालत में हुए हाजिर
सुनवाई के दौरान परिवहन सचिव अदालत में वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए हाजिर हुए थे. अदालत ने उनसे पूछा कि, जब न्यायिक पदाधिकारियों को निजी वाहन पर बोर्ड लगाना प्रतिबंधित किया गया है, तो फिर जनप्रतिनिधियों को निजी वाहन पर बोर्ड लगाने की छूट क्यों दी गई है? क्या जनप्रतिनिधि अपने क्षेत्र में किसी परिचय के मोहताज है? जो उन्हें इसकी छूट दी गई है. अदालत ने पूछा कि, किस कानून के अनुसार ऐसा किया गया है? वहीं परिवहन सचिव ने कहा कि, बोर्ड केवल सरकारी वाहन पर लगाया जा सकता है, निजी वाहन पर ऐसा करना प्रतिबंधित है.

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गजावा तनवीर ने दायर की है जनहित याचिका

अदालत ने पूछा कि, क्या सभी सांसद, विधायक और मुखिया को सरकारी वाहन दिया जाता है, जो वे अपने वाहन पर बोर्ड लगाते हैं? इस दौरान महाधिवक्ता राजीव रंजन ने कहा कि, जनप्रतिनिधियों को दूर क्षेत्र में जाना पड़ता है, इसलिए उन्हें इसकी छूट है. वहीं, सीओ-बीडीओ के सवाल पर उन्होंने कहा कि, उन्हें कानून व्यवस्था के संधारण के लिए छूट प्रदान की गई है. इस पर अदालत ने परिवहन सचिव से विस्तृत जानकारी मांगी है. इस मामले को लेकर गजावा तनवीर ने हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की है.

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