रांची: मानसिक रूप से दिव्यांग बच्चों को शिक्षा देने के अधिकार को लेकर दाखिल जनहित याचिका और कोडरमा घाटी में जर्जर सड़क को लेकर हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत में मामले की सुनवाई हुई.
झारखंड हाई कोर्ट ने सरकार से किया जवाब तलब
दिव्यांग बच्चों को शिक्षा देने के अधिकार को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर अदालत ने राज्य सरकार से जवाब तलब किया है. अदालत ने सरकार से पूछा है कि इसे लेकर उनकी ओर से क्या कार्रवाई की जा रही है. इस संबंध में छाया मंडल ने जनहित याचिका दायर की है. सुनवाई के दौरान प्रार्थी की अधिवक्ता अभय प्रकाश ने अदालत को बताया कि शिक्षा के अधिकार कानून और निशक्तता कानून में 14 साल तक के बच्चों को मुफ्त प्राथमिक शिक्षा देने, उसके साथ किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं करने और इन बच्चों को पढ़ाने के लिए सरकारी स्कूलों में विशेष इंस्ट्रक्टर नियुक्त करने की बात कही गई है, लेकिन इसे लेकर सरकार पूरी तरह उदासीन है.
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हाई कोर्ट ने एनएचएआई से मांगा जवाब
इधर, झारखंड हाई कोर्ट ने कोडरमा घाटी में जर्जर सड़क को लेकर स्वत: संज्ञान लिया है. इस मामले में अदालत ने एनएचएआई से जवाब मांगा है. चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत ने एनएचएआई को यह बताने के कहा है कि जर्जर सड़क को लेकर उनकी ओर से क्या कार्रवाई की जा रही है? इस पर एनएचएआई के अधिवक्ता ने अदालत से समय मांगा है. उनकी ओर से कहा गया है कि यह पता लगाया जाएगा कि कोडरमा घाटी की सड़क की देखरेख सरकार करती है या फिर एनएचएआई? इस पर अदालत ने जानकारी लेकर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है. बता दें कि पिछले दिनों चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन सड़क मार्ग से ही पटना जा रहे थे. इसी दौरान कोडरमा के पास उनकी गाड़ी दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी.