रांची: झारखंड हाई कोर्ट में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से हजारीबाग में 13 वर्षीय नाबालिग को एसिड पिलाने की घटना को लेकर स्वत: संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका पर सुनवाई की. चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ ने सुनवाई के दाैरान अनुसंधान की स्थिति पर कड़ी टिप्पणी की. कोर्ट ने सरकार के समय मांगे जाने के आग्रह को स्वीकार करते हुए विस्तृत सुनवाई के लिए 25 सितंबर की तिथि निर्धारित की है.
सुनवाई के दौरान अदालत ने हजारीबाग के पुलिस अधीक्षक से पूछा कि आरोपी आपके कब्जे में नहीं है, वैसी स्थिति में आप उसका पॉलिग्राफिक टेस्ट कैसे करायेंगे, हिरासत में लिये बिना टेस्ट कैसे संभव है, लगता है पुलिस गंभीरता को नहीं समझ रही है, किसी न किसी तरीके से आरोपी को बचाने का प्रयास लगता है, कोर्ट इस मामले में काफी गंभीर है, सरकार समय मांग रही है. पुलिस की ओर से जारी सीआरपीसी के तहत 91/160 के नोटिस पर कोर्ट ने कहा कि यह नोटिस गवाहों से संबंधित है, पुलिस ने प्राथमिकी में नामजद आरोपी को गवाहों से संबंधित नोटिस जारी किया है, क्या पुलिस आरोपी को गवाह मानती है.
कोर्ट ने सरकार के आग्रह को स्वीकार कर सुनवाई स्थगित करते हुए पुलिस अधीक्षक को चेताया कि आगे बहुत ही गंभीर सवाल उठेंगे. कोर्ट ने हजारीबाग की निचली अदालत को संबंधित मामले में रिपोर्ट भेजने का निर्देश दिया. मामले की अगली सुनवाई 25 सितंबर को होगी. सुनवाई के दाैरान हजारीबाग के पुलिस अधीक्षक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से उपस्थित थे. मामले का अनुसंधानकर्ता कोरोना पॉजिटिव हो जाने के कारण उपस्थित नहीं हो सके. इससे पहले राज्य सरकार की ओर से अधिवक्ता पियूष चित्रेश ने कोर्ट को बताया कि महाधिवक्ता और अपर महाधिवक्ता की तबीयत खराब है. उन्होंने समय देने का आग्रह किया.
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अधिवक्ता अपराजिता झा ने चीफ जस्टिस को पत्र लिख कर घटना की जानकारी दी थी. चीफ जस्टिस ने उसे जनहित याचिका में तब्दील कर दिया था. उसी मामले पर शुक्रवार को सुनवाई हुई. डिस्टिक सुनवाई के लिए 25 सितंबर की तिथि निर्धारित की गई