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टाउन प्लानर नियुक्ति मामले में झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई, जेपीएससी से पूछा- अभ्यर्थी को कैसे दी गई छूट?

झारखंड हाई कोर्ट में टाउन प्लानर (Town Planner Appointment) नियुक्ति परीक्षा परिणाम को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई हुई. अदालत ने सभी पक्षों को सुनने के बाद झारखंड लोक सेवा आयोग से 7 दिसंबर से पहले यह बताने को कहा है कि विज्ञापन में दिए गए शर्त के बावजूद अभ्यर्थी को कैसे छूट दी गई. इसके लिए सरकार से अनुमति ली गई थी या नहीं.

Hearing in Jharkhand High Court in town planner appointment
झारखंड हाई कोर्ट
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Published : Nov 22, 2021, 8:37 PM IST

रांची: झारखंड में टाउन प्लानर (Town Planner Appointment) नियुक्ति परीक्षा परिणाम को चुनौती देने वाली याचिका पर झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. सभी पक्षों की ओर से दलील दी गई. अदालत ने सभी पक्षों को सुनने के बाद झारखंड लोक सेवा आयोग से यह जानना चाहा कि विज्ञापन में दिए गए शर्त के बावजूद अभ्यर्थी को कैसे छूट दी गई. इसके लिए सरकार से अनुमति ली गई थी या नहीं, उन्हें 7 दिसंबर से पूर्व यह बताने को कहा है. सभी पक्षों की सहमति से 7 दिसंबर को मामले की विस्तृत सुनवाई के लिए तिथि निर्धारित की गई है.

इसे भी पढे़ं: Vacant Posts of Commissions: रिक्त पदों पर नियुक्ति नहीं किए जाने पर झारखंड हाई कोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब

झारखंड हाई कोर्ट के न्यायाधीश डॉ एसएन पाठक की अदालत में इस मामले पर सुनवाई हुई. मामले की सुनवाई के दौरान झारखंड लोक सेवा आयोग की ओर से अदालत को जानकारी दी गई है कि परीक्षा की प्रक्रिया पूर्ण कर ली गई, नियुक्ति की अनुशंसा सरकार को भेज दी गई है. वहीं याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि यह परीक्षा का जो परिणाम है वह गलत है. इस परीक्षा के परिणाम को रद्द कर दिया जाना चाहिए. उन्होंने आरोप लगाया है कि सक्सेसफुल कैंडीडेट्स में कुछ कैंडिडेट ऐसे हैं जिन्होंने विज्ञापन के लिए जो शैक्षणिक योग्यता दी, उसका प्रमाण पत्र विज्ञापन निकाले जाने के बाद के तिथि से निर्गत किया गया है और उस प्रमाण पत्र के आधार पर उन्हें नियुक्त कर दिया गया है, यह गलत है. क्योंकि विज्ञापन निकलने से पूर्व के प्रमाण पत्र ही मान होते हैं. इसलिए इस परीक्षा के परिणाम को निरस्त कर दिया जाए. जिस पर सरकार के अधिवक्ता ने प्रार्थी के इस दलील का विरोध किया.

2020 में निकाला गया था विज्ञापन

साल 2020 में झारखंड लोक सेवा आयोग के द्वारा टाउन प्लानर की नियुक्ति के लिए विज्ञापन निकाला गया था. नियुक्ति प्रक्रिया पूर्ण कर ली गई. सरकार को नियुक्ति के लिए अनुशंसा भेज दिया गया है. नियुक्ति के परिणाम को याचिकाकर्ता विवेक कुमार और पायल कुमारी ने हाई कोर्ट में चुनौती दी है. उनका कहना है कि यह परिणाम गलत है. इसे हटाकर मेरी नियुक्ति की जानी चाहिए. इसी मामले पर झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई.

रांची: झारखंड में टाउन प्लानर (Town Planner Appointment) नियुक्ति परीक्षा परिणाम को चुनौती देने वाली याचिका पर झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. सभी पक्षों की ओर से दलील दी गई. अदालत ने सभी पक्षों को सुनने के बाद झारखंड लोक सेवा आयोग से यह जानना चाहा कि विज्ञापन में दिए गए शर्त के बावजूद अभ्यर्थी को कैसे छूट दी गई. इसके लिए सरकार से अनुमति ली गई थी या नहीं, उन्हें 7 दिसंबर से पूर्व यह बताने को कहा है. सभी पक्षों की सहमति से 7 दिसंबर को मामले की विस्तृत सुनवाई के लिए तिथि निर्धारित की गई है.

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झारखंड हाई कोर्ट के न्यायाधीश डॉ एसएन पाठक की अदालत में इस मामले पर सुनवाई हुई. मामले की सुनवाई के दौरान झारखंड लोक सेवा आयोग की ओर से अदालत को जानकारी दी गई है कि परीक्षा की प्रक्रिया पूर्ण कर ली गई, नियुक्ति की अनुशंसा सरकार को भेज दी गई है. वहीं याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि यह परीक्षा का जो परिणाम है वह गलत है. इस परीक्षा के परिणाम को रद्द कर दिया जाना चाहिए. उन्होंने आरोप लगाया है कि सक्सेसफुल कैंडीडेट्स में कुछ कैंडिडेट ऐसे हैं जिन्होंने विज्ञापन के लिए जो शैक्षणिक योग्यता दी, उसका प्रमाण पत्र विज्ञापन निकाले जाने के बाद के तिथि से निर्गत किया गया है और उस प्रमाण पत्र के आधार पर उन्हें नियुक्त कर दिया गया है, यह गलत है. क्योंकि विज्ञापन निकलने से पूर्व के प्रमाण पत्र ही मान होते हैं. इसलिए इस परीक्षा के परिणाम को निरस्त कर दिया जाए. जिस पर सरकार के अधिवक्ता ने प्रार्थी के इस दलील का विरोध किया.

2020 में निकाला गया था विज्ञापन

साल 2020 में झारखंड लोक सेवा आयोग के द्वारा टाउन प्लानर की नियुक्ति के लिए विज्ञापन निकाला गया था. नियुक्ति प्रक्रिया पूर्ण कर ली गई. सरकार को नियुक्ति के लिए अनुशंसा भेज दिया गया है. नियुक्ति के परिणाम को याचिकाकर्ता विवेक कुमार और पायल कुमारी ने हाई कोर्ट में चुनौती दी है. उनका कहना है कि यह परिणाम गलत है. इसे हटाकर मेरी नियुक्ति की जानी चाहिए. इसी मामले पर झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई.

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