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अल्पसंख्यक छात्रों के छात्रवृत्ति घोटाले पर राज्य सरकार ने हाई कोर्ट में क्या दिया जवाब? पढ़ें पूरी रिपोर्ट

झारखंड हाई कोर्ट ने राज्य में अल्पसंख्यक छात्रों की छात्रवृत्ति घोटाला मामले में स्वत: संज्ञान लिया था. इस मामले की झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के ओर से जवाब पेश करते हुए अदालत को बताया गया कि, मामले की जांच एसीबी को सौंप दिया गया है, एसीबी ने मामले की जांच शुरू कर दी है.

Hearing in Jharkhand High Court in scholarship scam case of minority students
झारखंड हाई कोर्ट
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Published : Feb 15, 2021, 9:17 PM IST

रांची: झारखंड में अल्पसंख्यक छात्रों की छात्रवृत्ति घोटाला पर झारखंड हाई कोर्ट के लिए गए स्वतः संज्ञान याचिका पर मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत में सुनवाई हुई. दोनों न्यायाधीशों ने आपने आवासीय कार्यालय से मामले की सुनवाई की. वहीं अधिवक्ता ने अपने-अपने आवास से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अपना पक्ष रखा.

देखें पूरी खबर

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सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के ओर से जवाब पेश करते हुए अदालत को बताया गया कि, मामले की जांच के लिए एसीबी को दे दिया गया है, एसीबी ने मामले की जांच शुरू कर दी है, धनबाद जिले में आरोपियों के खिलाफ 16 एफआईआर दर्ज कराए गए हैं, सभी जिलों में जांच शुरू कर दी गई है, शीघ्र जांच से पता चलेगा की कहां-कहां फर्जीवाड़ा की गई है और उस पर कार्रवाई होगी. अदालत ने राज्य सरकार के जवाब पर अपनी संतुष्टि जताते हुए याचिका को निष्पादित कर दिया है.



मीडिया में आई खबर पर हाई कोर्ट ने लिया संज्ञान
झारखंड में अल्पसंख्यक छात्रों की छात्रवृत्ति घोटाले पर शुक्रवार को स्वत: संज्ञान लेते हुए झारखंड हाई कोर्ट ने सरकार से इस मामले की पूरी रिपोर्ट मांगी थी. सरकार को यह बताने को कहा गया है कि, इस तरह की गड़बड़ी कैसे हुई और इसके लिए जिम्मेवार कौन हैं? मामला सामने आने के बाद सरकार ने क्या कार्रवाई की है? चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत ने सरकार को पूरी रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया था. मीडिया में आई खबर पर हाई कोर्ट ने संज्ञान लिया है.

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23 करोड़ रुपये का फर्जीवाड़ा

झारखंड के कल्याण विभाग में प्री-मैट्रिक के अल्पसंख्यक छात्रों को दी जाने वाली करोड़ों रुपये की छात्रवृत्ति में फर्जीवाड़ा सामने आया है. डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) के जरिए लाभार्थियों के नाम के पैसे दूसरों के खातों में ट्रांसफर कर दिए गए है. छात्रों के लिए वर्ष 2019-20 में केंद्र ने झारखंड को 61 करोड़ रुपये दिए थे. इनमें से लगभग 23 करोड़ रुपये का फर्जीवाड़ा किया गया है.

रांची: झारखंड में अल्पसंख्यक छात्रों की छात्रवृत्ति घोटाला पर झारखंड हाई कोर्ट के लिए गए स्वतः संज्ञान याचिका पर मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत में सुनवाई हुई. दोनों न्यायाधीशों ने आपने आवासीय कार्यालय से मामले की सुनवाई की. वहीं अधिवक्ता ने अपने-अपने आवास से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अपना पक्ष रखा.

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सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के ओर से जवाब पेश करते हुए अदालत को बताया गया कि, मामले की जांच के लिए एसीबी को दे दिया गया है, एसीबी ने मामले की जांच शुरू कर दी है, धनबाद जिले में आरोपियों के खिलाफ 16 एफआईआर दर्ज कराए गए हैं, सभी जिलों में जांच शुरू कर दी गई है, शीघ्र जांच से पता चलेगा की कहां-कहां फर्जीवाड़ा की गई है और उस पर कार्रवाई होगी. अदालत ने राज्य सरकार के जवाब पर अपनी संतुष्टि जताते हुए याचिका को निष्पादित कर दिया है.



मीडिया में आई खबर पर हाई कोर्ट ने लिया संज्ञान
झारखंड में अल्पसंख्यक छात्रों की छात्रवृत्ति घोटाले पर शुक्रवार को स्वत: संज्ञान लेते हुए झारखंड हाई कोर्ट ने सरकार से इस मामले की पूरी रिपोर्ट मांगी थी. सरकार को यह बताने को कहा गया है कि, इस तरह की गड़बड़ी कैसे हुई और इसके लिए जिम्मेवार कौन हैं? मामला सामने आने के बाद सरकार ने क्या कार्रवाई की है? चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत ने सरकार को पूरी रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया था. मीडिया में आई खबर पर हाई कोर्ट ने संज्ञान लिया है.

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23 करोड़ रुपये का फर्जीवाड़ा

झारखंड के कल्याण विभाग में प्री-मैट्रिक के अल्पसंख्यक छात्रों को दी जाने वाली करोड़ों रुपये की छात्रवृत्ति में फर्जीवाड़ा सामने आया है. डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) के जरिए लाभार्थियों के नाम के पैसे दूसरों के खातों में ट्रांसफर कर दिए गए है. छात्रों के लिए वर्ष 2019-20 में केंद्र ने झारखंड को 61 करोड़ रुपये दिए थे. इनमें से लगभग 23 करोड़ रुपये का फर्जीवाड़ा किया गया है.

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