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रिटायर्ड जज पेंशन मामले में सुनवाई, भारत निर्वाचन आयोग को जवाब के लिए अंतिम मौका

रिटायर्ड जज को महंगाई भत्ता नहीं दिये जाने के मामले (Case of DA to retired Judge) पर बुधवार को झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. इस दौरान भारत निर्वाचन आयोग ने जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा. कोर्ट ने उन्हें अंतिम मौका दिया. साथ ही 3 साल से केस का निदान नहीं हो सकने पर कड़ी नाराजगी जताई.

Case of DA to retired Judge
Case of DA to retired Judge
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Published : Oct 19, 2022, 10:45 PM IST

रांची: मुख्य सूचना आयुक्त रहे रिटायर्ड जज हरिशंकर प्रसाद को अतिरिक्त पेंशन के ऊपर महंगाई भत्ता नहीं दिये जाने के मामले (Case of DA to retired Judge) पर झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत में 19 अक्टूबर को मामले की सुनवाई हुई.

इसे भी पढ़ें: देवघर एयरपोर्ट के पास 9 ऊंची बिल्डिंग तोड़ने पर हाई कोर्ट ने लगाई रोक

अदालत में पूर्व सुनवाई के दौरान भारत निर्वाचन आयोग को मामले में जवाब पेश करने को कहा गया था लेकिन, आयोग की ओर से जवाब पेश नहीं किया जा सका. सुनवाई के दौरान आयोग की ओर से जवाब के लिए समय की मांग की गई. अदालत ने उन्हें अंतिम मौका देते हुए 9 नवंबर से पूर्व जवाब पेश करने को कहा है. अब इस मामले की अगली सुनवाई 9 नवंबर को होगी. इस मामले में इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया को प्रतिवादी बनाया गया है.

तीन बार दाखिल कर चुके हैं रिट याचिका: प्रार्थी के अधिवक्ता ऋषि पल्लव ने बताया कि पिछली सुनवाई में प्रार्थी की ओर से कोर्ट को बताया गया था कि कानून के तहत राज्य के मुख्य सूचना आयुक्त को सेवानिवृत्ति के बाद अतिरिक्त पेंशन मिलता है जो केंद्र सरकार के मुख्य चुनाव आयुक्त के बराबर होता है. इस अतिरिक्त पेंशन के ऊपर महंगाई भत्ता देय होता है जो प्रार्थी हरिशंकर प्रसाद को नहीं दिया जा रहा है. इसे लेकर वह तीन बार रिट याचिका दाखिल कर चुके हैं, लेकिन अब तक इस मामले में कुछ नहीं हुआ.

कोर्ट ने जताई नाराजगी: इस पर कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा था कि 3 साल से यह केस चल रहा है लेकिन, आज तक इसका निदान नहीं निकल सका है. एक रिटायर्ड जज को इस काम के लिए दौड़ाना अनुचित है. ब्यूरोक्रेसी का रवैया ठीक नहीं है. मामले की उपेक्षा कर सरकार के अधिकारियों ने निंदनीय कार्य किया है. कार्मिक सचिव को इस विषय को खुद देखना चाहिए था.

रांची: मुख्य सूचना आयुक्त रहे रिटायर्ड जज हरिशंकर प्रसाद को अतिरिक्त पेंशन के ऊपर महंगाई भत्ता नहीं दिये जाने के मामले (Case of DA to retired Judge) पर झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत में 19 अक्टूबर को मामले की सुनवाई हुई.

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अदालत में पूर्व सुनवाई के दौरान भारत निर्वाचन आयोग को मामले में जवाब पेश करने को कहा गया था लेकिन, आयोग की ओर से जवाब पेश नहीं किया जा सका. सुनवाई के दौरान आयोग की ओर से जवाब के लिए समय की मांग की गई. अदालत ने उन्हें अंतिम मौका देते हुए 9 नवंबर से पूर्व जवाब पेश करने को कहा है. अब इस मामले की अगली सुनवाई 9 नवंबर को होगी. इस मामले में इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया को प्रतिवादी बनाया गया है.

तीन बार दाखिल कर चुके हैं रिट याचिका: प्रार्थी के अधिवक्ता ऋषि पल्लव ने बताया कि पिछली सुनवाई में प्रार्थी की ओर से कोर्ट को बताया गया था कि कानून के तहत राज्य के मुख्य सूचना आयुक्त को सेवानिवृत्ति के बाद अतिरिक्त पेंशन मिलता है जो केंद्र सरकार के मुख्य चुनाव आयुक्त के बराबर होता है. इस अतिरिक्त पेंशन के ऊपर महंगाई भत्ता देय होता है जो प्रार्थी हरिशंकर प्रसाद को नहीं दिया जा रहा है. इसे लेकर वह तीन बार रिट याचिका दाखिल कर चुके हैं, लेकिन अब तक इस मामले में कुछ नहीं हुआ.

कोर्ट ने जताई नाराजगी: इस पर कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा था कि 3 साल से यह केस चल रहा है लेकिन, आज तक इसका निदान नहीं निकल सका है. एक रिटायर्ड जज को इस काम के लिए दौड़ाना अनुचित है. ब्यूरोक्रेसी का रवैया ठीक नहीं है. मामले की उपेक्षा कर सरकार के अधिकारियों ने निंदनीय कार्य किया है. कार्मिक सचिव को इस विषय को खुद देखना चाहिए था.

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