रांची: पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी के दलबदल मामले (Babulal Marandi defection case) में स्पीकर न्यायाधिकरण में हुई सुनवाई की प्रक्रिया को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई हुई. स्पीकर की ओर से सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता ने अदालत में पक्ष रखते हुए कहा कि यह याचिका सुनवाई योग्य नहीं है, इसलिए इस पर सुनवाई नहीं हो सकती. उन्होंने कहा कि जब न्यायाधिकरण ने कोई फैसला ही नहीं सुनाया है तो उस फैसले को कैसे चुनौती दी जा सकती है. जिस पर याचिकाकर्ता की ओर से अदालत को जानकारी दी गई कि सुनवाई में जिस तरह से उनकी अनदेखी की गई वह नियम नियम के विरुद्ध है. इसलिए इसे चुनौती दी गई है.
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स्पीकर की ओर से कहा गया कि अगर फैसला उनके पक्ष में आता है तो क्या होगा. जब तक फैसला नहीं आ जाता तब तक इस मामले पर सुनवाई नहीं की जा सकती है. इसलिए इस याचिका को रद्द कर दिया जाए. याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने इसका विरोध किया और उन्होंने याचिका में जो तथ्य छूटे हुए हैं उस पर हस्तक्षेप याचिका के माध्यम से अपना पक्ष रखने की बात कही, जिस पर अदालत ने उन्हें समय दिया. मामले की अगली सुनवाई 22 सितंबर को होगी.
झारखंड हाई कोर्ट के न्यायाधीश राजेश शंकर की कोर्ट में सुनवाई हुई. प्रार्थी बाबूलाल की ओर से अधिवक्ता विनोद साहू ने पूरक शपथ पत्र दाखिल किया. अदालत को बताया कि स्पीकर के न्यायाधिकरण के आदेश की प्रति उन्हें मिल गई है. हालांकि प्रोसीडिंग अभी तक नहीं मिल पाई है. विधानसभा की ओर से अधिवक्ता अनिल कुमार ने पैरवी की.
स्पीकर न्यायाधिकरण में संविधान की 10वीं अनुसूची के तहत सुनवाई में भेदभाव हो रहा है. गवाही खत्म होने के बाद उन्हें पक्ष रखने का मौका नहीं दिया गया है. 30 सितंबर को सुनवाई खत्म कर ली गई है. फैसला कभी भी सुनाया जा सकता है. कहा गया है कि जिस मामले में बाबूलाल प्रतिवादी हैं उसकी सुनवाई कुछ अलग तरीके से हो रही है और जिस मामले में प्रदीप यादव प्रतिवादी है उसमें अलग तरीके से सुनवाई हो रही है. बाबूलाल मरांडी वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव में जीते थे लेकिन उन्होंने जेवीएम का विलय भाजपा में कर दिया था. जिसे लेकर उनके खिलाफ विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष दलबदल का मामला दर्ज कराया गया था.