रांचीः पुरानी पेंशन की मांग को लेकर दायर याचिका पर हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. अदालत ने मामले में दोनों पक्षों को सुनने के उपरांत राज्य सरकार को 2 सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा है. उन्होंने सरकार को अपने जवाब में यह बताने को कहा है कि जब एक ही विज्ञापन से नियुक्ति की गई तो कुछ शिक्षकों को पुरानी और कुछ और नई पेंशन क्यों दिया जा रही है?
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झारखंड हाई कोर्ट के न्यायाधीश आनंद सेन की अदालत में प्राथमिक शिक्षक उषा यादव एवं अन्य के द्वारा पुरानी पेंशन की मांग को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई हुई.
न्यायाधीश ने अपने आवासीय कार्यालय से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मामले की सुनवाई की. वही याचिकाकर्ता के अधिवक्ता सरकार के अधिवक्ता और झारखंड लोक सेवा आयोग के अधिवक्ता अपने-अपने आवास से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अपना पक्ष रखा.
अदालत ने मामले में सभी पक्षों को सुनने के उपरांत राज्य सरकार को मामले में जवाब पेश करने को कहा है. राज्य सरकार द्वारा जवाब पेश किए जाने के बाद मामले पर आगे सुनवाई की जाएगी. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से अदालत को जानकारी दी गई कि 2002 में प्राथमिक शिक्षक नियुक्ति के लिए झारखंड लोक सेवा आयोग द्वारा विज्ञापन निकाला गया था.
याचिकाकर्ता ने रखा ये तर्क
उस विज्ञापन में कुछ अभ्यर्थियों की नियुक्ति 2003 में की गई थी, लेकिन कुछ की नियुक्ति उसके बाद 2005 की गई थी, जबकि वर्ष 2004 में नई पेंशन योजना लागू कर दी गई थी, लेकिन यह विज्ञापन नई पेंशन योजना से पूर्व का है, इसलिए उस विज्ञापन के तहत नियुक्त सभी को पुरानी पेंशन की लाभ दी जाए.
जिस पर अदालत ने राज्य सरकार को अपना जवाब पेश करने को कहा है. बता दें कि याचिकाकर्ता उषा यादव ने पुरानी पेंशन की मांग को लेकर हाई कोर्ट में याचिका दायर की है.
उसी याचिका पर सुनवाई के उपरांत अदालत ने मामले में राज्य सरकार को जवाब पेश करने को कहा है. राज्य सरकार द्वारा जवाब पेश किए जाने के बाद मामले की आगे सुनवाई की जाएगी.