रांचीः राजधानी रांची में पिछले कई वर्षों से तालाबों की संख्या में हो रही काफी कमी के मामले में दायर जनहित याचिका पर झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत में सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से अदालत को बताया गया कि रांची में कितने तालाब थे और कितने तालाब अभी बचे हैं. इसको लेकर एक कमेटी का गठन किया गया है.
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राज्य सरकार के जवाब पर मुख्य न्यायाधीश भड़क गए. उन्होंने पूछा कि अदालत तो सिर्फ इतनी जानना चाहती है कि 1929 में जो सर्वे हुआ था. उस समय में रांची में तालाबों की संख्या कितनी थी? और वर्तमान में कितनी है? इसके लिए सरकार की ओर से कमेटी बनाए जाने की क्या आवश्यकता थी? कमेटी का गठन कर किसे बचाना चाहते हैं? उन्होंने मामले की अगली सुनवाई 8 अप्रैल को तय की है. सुनवाई के दौरान भारत सरकार के जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के अधिकारी को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से उपस्थित होने को कहा है और अदालत का सहयोग करने को कहा है.
हाई कोर्ट ने जताई नाराजगी
बता दें कि पूर्व में मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने राज्य सरकार और रांची नगर निगम को यह बताने को कहा था कि 1929 के सर्वे के अनुसार जो मैप है. उसमें कितने तालाब थे. और वर्तमान में जो सर्वे के अनुसार रांची में कितने तालाब बच गए हैं? इसकी सूची अदालत को देने को कहा था. हाई कोर्ट की उसी आदेश के आलोक में रांची नगर निगम की ओर से जवाब पेश कर अदालत को बताया गया कि मामले की जांच को लेकर कमेटी का गठन किया गया है. जिस पर हाई कोर्ट ने नाराजगी जताई.