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काम के बोझ के बावजूद मरीजों की सेवा में जुटे हैं स्वास्थ्यकर्मी, संक्रमण के बाद भी नहीं मानी हार - कोरोना काल में डॉक्टर परिवार से दूर

झारखंड में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या लगातार बढ़ते जा रही है. इसे रोकने के लिए कोरोना वॉरियर्स भी लगातार मैदान में डटे हुए हैं, लेकिन इस समय स्वास्थ्यकर्मी और डॉक्टर अहम भूमिका निभा रहे हैं. डॉक्टर्स दिन रात मरीजों की सेवा के लिए लगे हुए हैं, जिससे कई स्वास्थ्यकर्मी और डॉक्टर्स भी कोरोना से संक्रमित हो गए हैं.

Health workers busy serving patients despite workload
दिन रात ड्यूटी कर रहे स्वास्थ्यकर्मी
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Published : Aug 13, 2020, 6:18 AM IST

रांची: कोरोना के संकट में सबसे ज्यादा संघर्ष डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मी कर रहे हैं. कई ऐसे कर्मचारी हैं जो संक्रमित मरीजों का इलाज करते करते खुद भी संक्रमित हो रहे हैं, जिससे उनका व्यक्तिगत जीवन भी प्रभावित हो रहा है. कोरोना वायरस के इस जंग में फ्रंट वॉरियर के रूप में काम कर रहे पारा मेडिकल कर्मियों का व्यक्तिगत और पारिवारिक जीवन भी खासा प्रभावित हुआ है.

देखें स्पेशल स्टोरी

कई स्वास्थ्यकर्मी कोरोना से संक्रमित

रिम्स के पीएसएम डिपार्टमेंट में कार्यरत पारा मेडिकल कर्मी प्रीति कुमारी बताती हैं कि वो पिछले 4 महीनों से कोविड वार्ड में ड्यूटी कर रही थी, जिसके कारण 5 अगस्त को वह कोरोना से संक्रमित हो गई है और वो न तो अपने परिवार से मिल पा रही है और न ही अपने बच्चों से. ड्यूटी में लगे रहने के कारन उन्होंने 01 जुलाई को अपना मैरिज ऐनिवर्सरी भी नहीं मनाया, क्योंकि उनका मानना है कि कर्म ही सबसे बड़ी पूजा है. 8 अगस्त को प्रीति कुमारी के बेटे का बर्थडे भी था, लेकिन कोरोना पॉजिटिव होने की वजह से वह न तो अपने बेटे को विश कर पाई न ही बर्थडे में शरीक हो पाई, जिसका उन्हें मलाल है. वहीं अपनी मां को याद करते हुए उनका बेटा बताता है कि हर साल वह अपनी मां के साथ जन्मदिन मनाता था, लेकिन इस साल मां के कोरोना पॉजिटिव होने की वजह से मां के साथ जन्मदिन नहीं मना पाया और उसका उसे काफी दुख है.

Health workers busy serving patients despite workload
मरीजों की सेवा में जुटी नर्स


डॉक्टर्स परिवार को नहीं दे पा रहे समय
कोविड टास्क फोर्स के सदस्य डॉक्टर निसित एक्का बताते हैं कि कोरोना के वजह से उनका परिवारिक जीवन भी काफी प्रभावित हुआ है क्योंकि कोरोना काल से पहले जब भी वह अपना ड्यूटी से घर वापस जाते थे, तो अपने बुजुर्ग पिता और 7 वर्ष बेटे के साथ बैठकर प्यार भरी बातें किया करते थे, लेकिन वर्तमान में हालात यह हो गई है कि न तो वह अपने बच्चे को समय दे पा रहे हैं, न ही अपने बुजुर्ग पिता को, क्योंकि कोरोना काल में डॉक्टर पहले अपने कर्म को तवज्जो दे रहे हैं फिर अपने परिवार को. वहीं हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ प्रशांत बताते हैं कि कई बार हम लोग जाने अनजाने में ऐसे मरीजों का इलाज करते हैं जो कोरोना से संक्रमित होता है ऐसे में अगर हम अपने परिवार के सदस्यों एवं बच्चों से शारीरिक दूरी बनाकर नहीं रखेंगे तो संक्रमण का खतरा परिवार के सदस्यों को भी हो सकता है ऐसे में कई बार हम चाह कर भी अपना स्नेह अपने बच्चों को नहीं दे पाते हैं.

Health workers busy serving patients despite workload
कोविड बेड का अभाव

इसे भी पढ़ें:- कोरोना काल का शिक्षा पर पड़ा गहरा असर, आरयू के दिव्यांग प्रोफेसर ने पेश की मिसाल

सामान्य मरीजों का इलाज करना चुनौती
रिम्स में कार्यरत कार्डियो सर्जन डॉ अंशुल प्रकाश बताते हैं कि जिस प्रकार से कोरोना की वजह से आए संकट में आधे से अधिक पारा स्वास्थ्यकर्मी और डॉक्टर कोरोना के ड्यूटी में लगा दिए गए हैं. ऐसे में सामान्य मरीजों का इलाज करना निश्चित रूप से चुनौती है, लेकिन हम सभी डॉक्टर कम से कम संसाधन में मरीजों का इलाज कर रहे हैं, ताकि मरीजों के कष्ट को कम किया जा सके.

Health workers busy serving patients despite workload
नर्सों पर काम का बोझ

इसे भी पढ़ें:- युवाओं के सपनों को कैसे लगेंगे पंख, 'आश्वासन के राशन' से भरा जा रहा है उनका पेट


स्वास्थ्यकर्मियों पर काम का बोझ
आपको बता दें राज्य में कोरोना के मरीजों की संख्या लगभग 18 हजार के आंकड़े को छू रही है. सिर्फ रांची जिले में 1700 से ज्यादा एक्टिव केस मौजूद हैं. राजधानी में फिलहाल रिम्स कोविड सेंटर, सीसीएल गांधीनगर कोविड सेंटर अस्पताल, धुर्वा का पारस कोविड अस्पताल इसके अलावा मेडिका, मेदांता, पल्स, संफोर्ड, सेण्टेविटा, जैसे निजी अस्पतालों में भी कोविड के मरीजों का इलाज हो रहा है. रांची में कोरोना मरीजों के लिए 2300 बेड है, जबकि लगभग 1000 हजार नर्स है, जिसमें 700 नर्स कोविड ड्यूटी में लगी हुई हैं. कोरोना काल में स्वास्थ्यकर्मियों और डॉक्टरों पर काम का काफी दबाव रह रहा है. अपने तनाव को देखते हुए चिकित्सकों ने मांग की है कि राज्य सरकार को मेडिकल कर्मियों की नियुक्ति कर उनकी संख्या में बढ़ोतरी करनी चाहिए ताकि कोरोना के संकट में डॉक्टरों को थोड़ी राहत मिल सके.

रांची: कोरोना के संकट में सबसे ज्यादा संघर्ष डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मी कर रहे हैं. कई ऐसे कर्मचारी हैं जो संक्रमित मरीजों का इलाज करते करते खुद भी संक्रमित हो रहे हैं, जिससे उनका व्यक्तिगत जीवन भी प्रभावित हो रहा है. कोरोना वायरस के इस जंग में फ्रंट वॉरियर के रूप में काम कर रहे पारा मेडिकल कर्मियों का व्यक्तिगत और पारिवारिक जीवन भी खासा प्रभावित हुआ है.

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कई स्वास्थ्यकर्मी कोरोना से संक्रमित

रिम्स के पीएसएम डिपार्टमेंट में कार्यरत पारा मेडिकल कर्मी प्रीति कुमारी बताती हैं कि वो पिछले 4 महीनों से कोविड वार्ड में ड्यूटी कर रही थी, जिसके कारण 5 अगस्त को वह कोरोना से संक्रमित हो गई है और वो न तो अपने परिवार से मिल पा रही है और न ही अपने बच्चों से. ड्यूटी में लगे रहने के कारन उन्होंने 01 जुलाई को अपना मैरिज ऐनिवर्सरी भी नहीं मनाया, क्योंकि उनका मानना है कि कर्म ही सबसे बड़ी पूजा है. 8 अगस्त को प्रीति कुमारी के बेटे का बर्थडे भी था, लेकिन कोरोना पॉजिटिव होने की वजह से वह न तो अपने बेटे को विश कर पाई न ही बर्थडे में शरीक हो पाई, जिसका उन्हें मलाल है. वहीं अपनी मां को याद करते हुए उनका बेटा बताता है कि हर साल वह अपनी मां के साथ जन्मदिन मनाता था, लेकिन इस साल मां के कोरोना पॉजिटिव होने की वजह से मां के साथ जन्मदिन नहीं मना पाया और उसका उसे काफी दुख है.

Health workers busy serving patients despite workload
मरीजों की सेवा में जुटी नर्स


डॉक्टर्स परिवार को नहीं दे पा रहे समय
कोविड टास्क फोर्स के सदस्य डॉक्टर निसित एक्का बताते हैं कि कोरोना के वजह से उनका परिवारिक जीवन भी काफी प्रभावित हुआ है क्योंकि कोरोना काल से पहले जब भी वह अपना ड्यूटी से घर वापस जाते थे, तो अपने बुजुर्ग पिता और 7 वर्ष बेटे के साथ बैठकर प्यार भरी बातें किया करते थे, लेकिन वर्तमान में हालात यह हो गई है कि न तो वह अपने बच्चे को समय दे पा रहे हैं, न ही अपने बुजुर्ग पिता को, क्योंकि कोरोना काल में डॉक्टर पहले अपने कर्म को तवज्जो दे रहे हैं फिर अपने परिवार को. वहीं हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ प्रशांत बताते हैं कि कई बार हम लोग जाने अनजाने में ऐसे मरीजों का इलाज करते हैं जो कोरोना से संक्रमित होता है ऐसे में अगर हम अपने परिवार के सदस्यों एवं बच्चों से शारीरिक दूरी बनाकर नहीं रखेंगे तो संक्रमण का खतरा परिवार के सदस्यों को भी हो सकता है ऐसे में कई बार हम चाह कर भी अपना स्नेह अपने बच्चों को नहीं दे पाते हैं.

Health workers busy serving patients despite workload
कोविड बेड का अभाव

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सामान्य मरीजों का इलाज करना चुनौती
रिम्स में कार्यरत कार्डियो सर्जन डॉ अंशुल प्रकाश बताते हैं कि जिस प्रकार से कोरोना की वजह से आए संकट में आधे से अधिक पारा स्वास्थ्यकर्मी और डॉक्टर कोरोना के ड्यूटी में लगा दिए गए हैं. ऐसे में सामान्य मरीजों का इलाज करना निश्चित रूप से चुनौती है, लेकिन हम सभी डॉक्टर कम से कम संसाधन में मरीजों का इलाज कर रहे हैं, ताकि मरीजों के कष्ट को कम किया जा सके.

Health workers busy serving patients despite workload
नर्सों पर काम का बोझ

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स्वास्थ्यकर्मियों पर काम का बोझ
आपको बता दें राज्य में कोरोना के मरीजों की संख्या लगभग 18 हजार के आंकड़े को छू रही है. सिर्फ रांची जिले में 1700 से ज्यादा एक्टिव केस मौजूद हैं. राजधानी में फिलहाल रिम्स कोविड सेंटर, सीसीएल गांधीनगर कोविड सेंटर अस्पताल, धुर्वा का पारस कोविड अस्पताल इसके अलावा मेडिका, मेदांता, पल्स, संफोर्ड, सेण्टेविटा, जैसे निजी अस्पतालों में भी कोविड के मरीजों का इलाज हो रहा है. रांची में कोरोना मरीजों के लिए 2300 बेड है, जबकि लगभग 1000 हजार नर्स है, जिसमें 700 नर्स कोविड ड्यूटी में लगी हुई हैं. कोरोना काल में स्वास्थ्यकर्मियों और डॉक्टरों पर काम का काफी दबाव रह रहा है. अपने तनाव को देखते हुए चिकित्सकों ने मांग की है कि राज्य सरकार को मेडिकल कर्मियों की नियुक्ति कर उनकी संख्या में बढ़ोतरी करनी चाहिए ताकि कोरोना के संकट में डॉक्टरों को थोड़ी राहत मिल सके.

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