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रांची में हो रही लोगों की हेल्थ स्क्रीनिंग, कोरोना से ज्यादा टीबी-डायबिटीज और बीपी के मरीज

झारखंड में कोरोना की दूसरी लहर के प्रकोप के बीच इंटेंसिव पब्लिक हेल्थ सर्वे अभियान (Public Health Survey Campaign) करवाए जाने के आदेश दिए गए हैं. इस सर्वे में शहर हों या गांव, राज्य के हर घर में जाकर यह मालूम किया जाएगा कि कोरोना संक्रमण कितना फैला और उससे कितनी मौतें हुईं. हेल्थ स्क्रीनिंग अभियान में कोरोना संक्रमण के तो मरीज कम मिल रहे हैं. पर टीबी, शुगर और ब्लड प्रेशर के बड़ी संख्या में मरीज मिल रहे है.

health screening of people doing health workers during corona period
कोविड से ज्यादा मिल रहे टीबी-डायबिटीज और ब्लड प्रेशर के मरीज
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Published : Jun 3, 2021, 6:35 AM IST

रांची: राज्य के ग्रामीण इलाकों में कोरोना संक्रमण के फैलाव को रोकने के लिए 25 मई से इंटेंसिव पब्लिक हेल्थ सर्वे अभियान(Public Health Survey Campaign) चल रहा है. राज्य में हेल्थ स्क्रीनिंग अभियान में कोरोना संक्रमण के तो मरीज कम मिल रहे हैं, पर टीबी, शुगर और ब्लड प्रेशर के बड़ी संख्या में मरीज मिल रहे हैं, इन आंकड़ों ने स्वास्थ्य विभाग की नींद उड़ा दी है.

ये भी पढ़ें- खूंटी में स्वास्थ्य सर्वेः टीका लगने के बाद मां के मरने का ग्रामीण को था शक, सर्वे टीम पहुंची तो कर दिया हमला

राज्य मे अब तक 38 लाख से ज्यादा घरों तक पहुंच गई है टीम
स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार राज्य में डोर-टू-डोर हेल्थ सर्वे के लिए एक टीम बनाई गई है. जो अब तक 8 हजार 200 टीम अभी तक 38 लाख 3 हजार 791 घरों के दहलीज पर जाकर 1 करोड़ 87 लाख 81 हजार 714 लोगों का हेल्थ स्क्रीनिंग किया.

अभी तक 01 लाख 30 हजार 507 का हुआ RAT, 796 कोरोना संक्रमित मिले
राज्य में डोर-टू-डोर हेल्थ सर्वे में लक्षण के आधार पर या वैसे घर जिसमें पिछले 2 महीने में किसी की मौत हुई है, उस घर के सभी सदस्यों को मिलाकर कुल 1 लाख 30 हजार 507 लोगों का रैपिड एंटीजन टेस्ट किया गया. जिसमें 796 कोरोना पॉजिटिव मिले जिसमें 35 बच्चे शामिल है.

ग्रामीण इलाकों में हर 100 लोग में एक बीपी, शुगर या टीबी में से किसी एक का मरीज
38 लाख से ज्यादा घरों के हेल्थ सर्वे यह बताते हैं कि ग्रामीण इलाके के लोग भी बीपी, शुगर जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं. जिसे सामान्यतः शहरों की बीमारी समझा जाता है. राज्य में डोर-टू-डोर हेल्थ स्क्रीनिंग में अब तक 12991 टीबी के, 1251 मधुमेह के और 94145 उच्च रक्तचाप के मरीजों की पहचान हो चुकी है.

2024 तक टीबी मुक्त भारत का चल रहा है देश व्यापी अभियान
कोरोना संक्रमण के फैलाव रोकने के लिए शुरू किए गए डोर-टू-डोर हेल्थ सर्वे अभियान में वैसे बीपी और मधुमेह के मरीज की पहचान हो गई. अब स्वास्थ्य महकमा अगर इतनी बड़ी आबादी को टीबी की दवा देकर उनकी बीमारी ठीक कर दे, 2024 तक टीबी मुक्त झारखंड का सपना पूरा हो सकता है, तो ब्लड शुगर और बीपी जैसे साइलेंट किलर कहे जानेवाली इन बीमारियों पर लगाम लग सकेगा.

रांची: राज्य के ग्रामीण इलाकों में कोरोना संक्रमण के फैलाव को रोकने के लिए 25 मई से इंटेंसिव पब्लिक हेल्थ सर्वे अभियान(Public Health Survey Campaign) चल रहा है. राज्य में हेल्थ स्क्रीनिंग अभियान में कोरोना संक्रमण के तो मरीज कम मिल रहे हैं, पर टीबी, शुगर और ब्लड प्रेशर के बड़ी संख्या में मरीज मिल रहे हैं, इन आंकड़ों ने स्वास्थ्य विभाग की नींद उड़ा दी है.

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राज्य मे अब तक 38 लाख से ज्यादा घरों तक पहुंच गई है टीम
स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार राज्य में डोर-टू-डोर हेल्थ सर्वे के लिए एक टीम बनाई गई है. जो अब तक 8 हजार 200 टीम अभी तक 38 लाख 3 हजार 791 घरों के दहलीज पर जाकर 1 करोड़ 87 लाख 81 हजार 714 लोगों का हेल्थ स्क्रीनिंग किया.

अभी तक 01 लाख 30 हजार 507 का हुआ RAT, 796 कोरोना संक्रमित मिले
राज्य में डोर-टू-डोर हेल्थ सर्वे में लक्षण के आधार पर या वैसे घर जिसमें पिछले 2 महीने में किसी की मौत हुई है, उस घर के सभी सदस्यों को मिलाकर कुल 1 लाख 30 हजार 507 लोगों का रैपिड एंटीजन टेस्ट किया गया. जिसमें 796 कोरोना पॉजिटिव मिले जिसमें 35 बच्चे शामिल है.

ग्रामीण इलाकों में हर 100 लोग में एक बीपी, शुगर या टीबी में से किसी एक का मरीज
38 लाख से ज्यादा घरों के हेल्थ सर्वे यह बताते हैं कि ग्रामीण इलाके के लोग भी बीपी, शुगर जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं. जिसे सामान्यतः शहरों की बीमारी समझा जाता है. राज्य में डोर-टू-डोर हेल्थ स्क्रीनिंग में अब तक 12991 टीबी के, 1251 मधुमेह के और 94145 उच्च रक्तचाप के मरीजों की पहचान हो चुकी है.

2024 तक टीबी मुक्त भारत का चल रहा है देश व्यापी अभियान
कोरोना संक्रमण के फैलाव रोकने के लिए शुरू किए गए डोर-टू-डोर हेल्थ सर्वे अभियान में वैसे बीपी और मधुमेह के मरीज की पहचान हो गई. अब स्वास्थ्य महकमा अगर इतनी बड़ी आबादी को टीबी की दवा देकर उनकी बीमारी ठीक कर दे, 2024 तक टीबी मुक्त झारखंड का सपना पूरा हो सकता है, तो ब्लड शुगर और बीपी जैसे साइलेंट किलर कहे जानेवाली इन बीमारियों पर लगाम लग सकेगा.

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