रांचीः सेवा नियमितीकरण की मांग को लेकर झारखंड में अनुबंधित NHM नर्सों के साथ साथ पारा मेडिकलकर्मी भी 16 जनवरी से हड़ताल पर हैं. वहीं राजभवन के सामने 24 जनवरी से 21 आंदोलनकारी आमरण अनशन पर भी बैठे हैं. शुक्रवार को आमरण अनशन पर बैठे खूंटी के ऑप्थैलमिक असिस्टेंट कुमार लोकेश की तबीयत बिगड़ गयी. ऑक्सीजन लेवल कम होने और धरनास्थल पर ही बेहोश हो जाने के बाद उन्हें सदर अस्पताल के इमरजेंसी में भर्ती कराया गया है. जहां उनके स्वास्थ्य में सुधार हो रहा है.
ये भी पढ़ेंः NHM workers strike: हड़ताली एनएचएम कर्मियों ने किया हवन, सरकार से स्थाई करने की मांग
सेवा नियमितीकरण की मांगः सेवा नियमितीकरण की एक सूत्री मांग को लेकर राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की अनुबंधित नर्सें और पारा मेडिकल कर्मियों की हड़ताल 16 जनवरी से जारी है. 24 जनवरी से राजभवन के समक्ष आमरण अनशन भी जारी है. अभी तक 21 अनशनकारियों में से 17 की तबीयत बिगड़ चुकी है. एक को दिल्ली AIIMS ले जाया गया है. अपनी मांगों के पूरा होने तक आंदोलन जारी रखने का संकल्प ले चुके स्वास्थ्यकर्मी को प्रशासन तबीयत बिगड़ने पर सदर अस्पताल में भर्ती कराता है लेकिन वहां स्वास्थ्य में जरा सा सुधार होने पर प्रदर्शनकारी फिर आमरण स्थल पहुंच जाते हैं. आमरण अनशन पर बैठे एनएचएम अनुबंधित नर्सों और पारा मेडिकल कर्मियों ने 04 फरवरी को भिक्षाटन भी किया.
मुख्यमंत्री से अपीलः राजभवन के समक्ष आमरण अनशन पर बैठी नर्सों और पारा मेडिकलकर्मियों ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से अपना वादा निभाने का आग्रह किया. नर्सों ने कहा कि जब हेमंत सोरेन की सरकार बनी थी तब उन्होंने आश्वासन दिया था कि राज्य में अनुबंध की सेवा नहीं रहेगी. आंदोलित स्वास्थ्य कर्मियों ने कहा कि इस बार आर या पार की लड़ाई है और इस बार बिना मांग लिए वापस नहीं जायेंगे. झारखंड अनुबंधित नर्सेस एसोसिएशन की जूही मिंज ने कहा कि राज्य में स्वास्थ्य व्ययवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो गयी है लेकिन सरकार और स्वास्थ्य विभाग चुप्पी साधे बैठा है. उन्होंने कहा कि 2019 में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा था कि 3 महीने में अनुबंध शब्द उनके पद के आगे से हट जाएगा, लेकिन अब 3 साल हो गए हैं, लेकिन सरकार की ओर से मिलने तक कोई नहीं आया है.
स्वास्थ्य व्यवस्था पर पड़ रहा है प्रतिकूल असरः राज्यभर के आठ-साढ़े आठ हजार अनुबंधित नर्से और पारा मेडिकल स्टाफ की हड़ताल की वजह से राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था प्रभावित हुई है. रूटीन टीकाकरण से लेकर ग्रामीण स्वास्थ्य व्यवस्था बेपटरी हुई है. एमटीसी सेंटर पर भी इसका असर हुआ है. स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी आउटसोर्सिंग से बहाल नर्सों के भरोसे स्वास्थ्य सेवा सुचारू रखने का दावा करते हैं पर वह पर्याप्त नहीं है.