रांची: झारखंड हाईकोर्ट ने सहायक आचार्य की नियुक्ति पर लगी रोक को वापस ले लिया है. नियुक्ति नियमावली में पारा शिक्षकों के लिए 50 प्रतिशत सीटें आरक्षित करने के फैसले के खिलाफ बहादुर महतो समेत अन्य ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी.
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मुख्य न्यायाधीश संजय कुमार मिश्र की अदालत ने प्रार्थियों के लिए 100 सीटें रिक्त रखने का आदेश देते हुए नियुक्ति प्रक्रिया पर लगी रोक से जुड़े पूर्व के फैसले को संशोधित कर दिया है. जेएसएससी की ओर से महाधिवक्ता राजीव रंजन ने कोर्ट से रोक हटाने का आग्रह किया था. जानकारी के मुताबिक सुनवाई के दौरान कोर्ट के पूछने पर बताया गया कि कस्तूरबा से 66 और बीआरपी-सीआरपी से 32 प्रार्थी है. इसी आधार पर कोर्ट ने 100 सीटें रिक्त रखने का आदेश दिया.
प्रार्थियों की ओर से अधिवक्ता अमित कुमारी तिवारी ने दलील रखी. उन्होंने कोर्ट को बताया कि सहायक आचार्य नियुक्ति नियमावली, 2023 की वजह से बीआरपी और सीआरपी संविदाकर्मियों को आरक्षण से वंचित कर दिया गया था. इसपर कोर्ट ने राज्य सरकार और जेएसएससी से जवाब मांगा था. जेएसएससी की ओर से अधिवक्ता संजय पिपरवाल और प्रिंस ने कोर्ट को बताया कि 2022 की नियमावली में शिक्षा विभाग में संविदा पर कार्यरत कर्मियों को 50 प्रतिशत आरक्षण दिया गया था. लेकिन 2023 की नियमावली में संशोधन कर पारा शिक्षकों को 50 प्रतिशत आरक्षण देने का फैसला लिया गया था.
आयोग की तरफ से स्वीकार किया गया कि शिक्षा विभाग में कार्यरत संविदा कर्मियों को भी आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए था. लिहाजा, दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संजय कुमार मिश्रा की अदालत ने बीआरपी और सीआरपी से जुड़े प्रार्थियों के लिए 100 सीटें रिक्त रखने का आदेश दिया. कोर्ट के इस फैसले से सहायक आचार्यों की नियुक्ति प्रक्रिया पर लगी रोक हट गई है.