रांची: हाईकोर्ट के दो पूर्व न्यायाधीश की पत्नियों को झारखंड सरकार की ओर से सरकारी सुविधा नहीं मिल रही है. इस मामले में हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया है. इसपर कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एस चंद्रशेखर की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने राज्य सरकार को दो सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है. आज सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया है. यह जानकारी हाईकोर्ट के अधिवक्ता धीरज कुमार ने दी है.
दरअसल, दिवंगत पूर्व न्यायाधीश प्रदीप कुमार की पत्नी मीता कुमार और दिवंगत पूर्व न्यायाधीश प्रशांत कुमार की पत्नी अलका श्रीवास्तव ने 20 नवंबर 2015 को जारी राज्य सरकार की संकल्प संख्या 9950 का हवाला देते हुए आग्रह किया था कि उन्हें सरकारी सुविधाएं मुहैया कराई जाए. इस बाबत हाईकोर्ट को पत्र लिखा गया था. इस मामले में कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने मुख्य सचिव एल ख्यांगते, कार्मिक विभाग की प्रधान सचिव वंदना डाडेल, वित्त विभाग के सचिव अजय कुमार सिंह और झारखंड हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को प्रतिवादी बनाया था. कोर्ट ने 9 जनवरी को मामले की सुनवाई की तारीख तय की थी.
दूसरी तरफ न्यायाधीश एसएन पाठक की अदालत ने रिम्स में हुए लैब टेक्नीशियन की नियुक्ति को रद्द करने का आदेश दिया है. साल 2019 में निकाली गई नियुक्ति की अहर्ता को अवैध बताते हुए भुवन कुमार नामक शख्स ने याचिका दाखिल की थी. इससे जुड़ा रिजल्ट साल 2020 में प्रकाशित हुआ था. इसको चुनौती देते हुए याचिकाकर्ता ने कहा था कि आयोग ने लिखित परीक्षा और अनुभव के अलावा दक्षता को भी आधार बनाकर नंबर दिया था जो गलत है. सुनवाई के बाद जून 2022 में अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया था. कोर्ट ने आदेश दिया है कि नये सीरे से अनुभव के आधार पर लिखित परीक्षा लेने के बाद ही रिजल्ट निकाला जाए.
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