रांचीः संथाल के इतिहास को टटोलती पुस्तक हिस्ट्री ऑफ संथाल परगना का विमोचन राज्यपाल सी पी राधाकृष्णन ने किया. अवकाश प्राप्त आईएएस सुनील कुमार सिंह द्वारा लिखित इस पुस्तक को शुक्रवार को राजभवन में राज्यपाल के हाथों लोकार्पित किया गया. इस मौके पर राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने पुस्तक के लेखक सुनील कुमार सिंह को बधाई देते हुए कहा कि इसके माध्यम से लोग संथाल के इतिहास के बारे में जानेंगे.
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इस पुस्तक में संथाल परगना के प्राचीन काल से लेकर स्वाधीनता आंदोलन के समय तक के इतिहास का वर्णन किया गया है. 13 अध्यायों में समाहित इस पुस्तक में अंग्रेजों के गजेटियर सहित कई दस्तावेज का उल्लेख किया गया है. पुस्तक में प्रथम तीन अध्याय- प्राचीन, मध्यकालीन और ब्रिटिश कालीन इतिहास का वर्णन करता हुआ नजर आता है.
संथाल के इतिहास का है वर्णनः संथाल के इतिहास पर शोधपूर्ण जानकारी आमतौर पर कम मिलती है, लेकिन जिस तरह से इस पुस्तक में संथाल के बारे में विस्तार से बताया गया है, वह वाकई में जानकारी से भरी हुई है. इसके दो अध्याय संथाल विद्रोह 1855 और 1857 के विद्रोह पर लिखी गई है. दापिन-ए-कोह व्यवस्था के उद्भव और विकास पर पुस्तक में अलग से चर्चा की गई है.
संथाल क्षेत्र में 1919-1947 के दौरान स्वतंत्रता आंदोलन की भी व्याख्या इस पुस्तक में की गई है. संथाल के ऐतिहासिक प्रसंग और स्वाधीनता आंदोलन से जुड़ी घटना जैसे भारत छोड़ो आंदोलन, संथाल की अर्थव्यवस्था, संथाल समाज और संस्कृति के अलावे संथाल क्षेत्र में मिशन की उत्पत्ति, प्रगति और प्रभाव पर विस्तार से इसमें लिखा गया है. इस पुस्तक की भूमिका झारखंड लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष रहे पूर्व आईपीएस अमिताभ चौधरी ने लिखी है. इस पुस्तक के लेखक अवकाश प्राप्त आईएएस डॉ सुनील कुमार सिंह हैं. जिन्होंने इससे पहले राजस्व एवं राज्य के अन्य विषयों पर कई पुस्तक लिखे हैं.