रांची: गुरुवार शाम को राज्यपाल रमेश बैस दिल्ली से रांची लौट आए हैं. राज्यपाल के रांची लौटने से एक बार फिर राज्य में राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से जुड़े ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले में चुनाव आयोग की रिपोर्ट पर राज्यपाल की ओर से अनुशंसा भेजने में हो रही देरी को लेकर सत्ताधारी दल सवाल खड़े कर रहे हैं. एक सितंबर को यूपीए का प्रतिनिधिमंडल राज्यपाल से मिला था. राज्यपाल ने उन्हें आश्वासन दिया था कि एक दो दिन में मामले का पटाक्षेप हो जाएगा. अगले दिन 2 सितंबर को राज्यपाल रमेश बैस दिल्ली चले गए. लगभग एक हफ्ते बाद वो रांची लौटे हैं.
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बुधवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने राजभवन से हो रही देरी के सवाल पर कहा था कि जिन लोगों की जिम्मेदारी है, उनसे सवाल किया जाना चाहिए. विधानसभा सत्र में हम इसलिए बोले, क्योंकि वह हमसबों का क्लासरूम था. क्लासरूम में छात्रों को बोलने का अधिकार होता है. मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने कहा कि मुख्यमंत्री ने अपना कर्तव्य पूरा कर दिया. लेकिन राजभवन खामोश क्यों है. लोकतंत्र में यह आचरण ठीक नहीं है. उन्होंने कहा कि राजभवन कहीं ना कहीं से प्रभावित हो रहा है. उन्होंने कहा कि अगर किसी वजह से देर हो रही है तो राजभवन के अधिकारी एक विज्ञप्ति जारी कर ही सकते हैं. लेकिन विज्ञप्ति भी जारी नहीं कर रहे हैं.
राजभवन पर टिकी निगाहेंः मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से जुड़े ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले में चुनाव आयोग की रिपोर्ट आने के बाद से सबकी निगाहें राजभवन पर टिकी हुई हैं. संभावना यह जताई जा रही है कि पिछले कई दिनों से जारी यह सियासी संकट जल्द ही समाप्त हो जाएगी.