रांचीः हर वर्ष आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाने वाला यह रथ यात्रा सैकड़ों वर्षों से आस्था का केन्द्र है. इसी परंपरा का निर्वहन करते हुए झारखंड की ऐतिहासिक रथ यात्रा निकाली गयी. इस मौके पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने राज्यवासियों को रथ यात्रा की शुभकामनाएं दी हैं.
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रांची के एतिहासिक जगरनाथपुर रथ यात्रा में शिरकत करते हुए मुख्यमंत्री ने ना केवल भगवान जगन्नाथ की पूजा अर्चना की बल्कि इस मौके पर राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन के साथ रस्सी खींचकर रथ को मौसीबाड़ी के लिए रवाना किया. इससे पहले दोपहर 2.30 बजे के करीब पूजा अर्चना के बाद भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा की मूर्ति को मुख्य मंदिर से रथ पर विराजित किया गया. रथ पर तीनों विग्रहों को प्रतिष्ठापित करने के पश्चात श्रद्धालुओं के द्वारा विष्णुसहस्त्रनाम से अनुष्ठान किया गया. इस अनुष्ठान में राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, भाजपा प्रदेश प्रभारी लक्ष्मीकांत वाजपेयी, राज्यसभा सांसद समीर उरांव, रांची सांसद संजय सेठ, हटिया विधायक नवीन जायसवाल, पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर के अलावा 501 श्रद्धालु पारंपरिक परिधान में शामिल हुए.
हटिया डीएसपी रथ का कर रहे थे संचालनः रांची में रथ यात्रा के दौरान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने जय जगन्नाथ का नारा लगाकर रथ यात्रा की शुरुआत की. रथ को खींचने के लिए हजारों श्रद्धालु बेताब नजर आए, सभी एक बार रस्सी को छूकर भगवान के रथ को खींचने का प्रयास कर रहे. परंपरा के अनुसार रथ का संचालन हटिया डीएसपी के जिम्मे था. इस दौरान लोगों की भीड़ को नियंत्रित करते हुए रथ को मौसीबाड़ी तक पहुंचाना किसी चुनौती से कम नहीं है. मगर श्रद्धा के आगे सबकुछ सामान्य तरीके से होता रहा जिसमें पुलिस जवान के साथ साथ आरएसएस और विभिन्न सामाजिक संगठनों से जुड़े कार्यकर्ताओं ने महती भूमिका निभाई.
सैकड़ों वर्षों से चली आ रही परंपरा की दिखी झलकः राजधानी में हल्की बारिश के बीच आकर्षक ढंग से सजे लकड़ी के रथ पर सवार भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की इस ऐतिहासिक यात्रा का गवाह हजारों श्रद्धालु बने. जगन्नाथपुर मंदिर परिसर से करीब पांच बजे यह रथ मौसीबाड़ी के लिए रवाना हुआ तो पूरा परिसर जय जगन्नाथ के नारे से गूंज रहा था. इस दौरान वर्षों से चली आ रही परंपरा इस बार भी देखने को मिला. विष्णुसहस्त्रनाम के वक्त धोती पहनकर खाली बदन में रथ पर पूजा करने की परंपरा इस बार भी देखी गई.
इसके अलावा रथ यात्रा की शुरुआत मुख्यमंत्री और राज्यपाल के हाथों होती रही है इसे भी होता देखा गया. रथ का संचालन हटिया डीएसपी के जिम्मे रहता है वो भी इस बार वर्षों से चली आ रही परंपरा का गवाह बनता रहा. जैसा कि आप जानते हैं कि हर साल आषाढ़ महीने के शुक्लपक्ष द्वितीया तिथि को रथ यात्रा होती है और मौसीबाड़ी में रहने के पश्चात भगवान जगन्नाथ आषाढ़ महीने के शुक्लपक्ष की दसवीं तिथि को उसी रथ से मुख्य मंदिर में वापस आते हैं जिसे झारखंड में घुरती रथ यात्रा के नाम से जाना जाता है.
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