ETV Bharat / state

मिसाल बना राजधानी का यह 'विद्या का मंदिर', निजी स्कूलों को दे रहा 'टक्कर' - निजी स्कूल के लिए चुनौती

सरकारी स्कूलों को हमेशा से ही उपेक्षा की नजरों से देखा जाता है. लेकिन राजधानी रांची के बरियातू में एक ऐसे सरकारी स्कूल है. जिसे देखकर निजी स्कूल चलाने वाले भी दंग रह जाएंगे. यहां स्कूल में हर सुविधा मौजूद है, जो किसी बड़े निजी स्कूल में उपलब्ध होता है.

school became an example, स्कूल ने पेश किए उदाहरण
स्कूल के बच्चे
author img

By

Published : Feb 19, 2020, 10:53 PM IST

रांची: कहते हैं अगर मजबूत इच्छाशक्ति हो तो, मुश्किल परिस्थितियों में भी सफलता हासिल की जा सकती है. कठिन से कठिन रास्तों का सामना कर मंजिल तक पहुंचा जा सकता है. सरकारी स्कूलों को हमेशा से ही उपेक्षा की नजरों से देखा जाता है. लेकिन राजधानी रांची के बरियातू में एक ऐसे सरकारी स्कूल है. जिसे देखकर निजी स्कूल चलाने वाले भी दंग रह जाएंगे. यहां स्कूल में हर सुविधा मौजूद है, जो किसी बड़े निजी स्कूल में उपलब्ध होता है और यह संभव हो पाया है इस स्कूल के प्राचार्य, शिक्षकों और विद्यार्थियों की भागीदारी से.

देखें स्पेशल स्टोरी

बुद्धिजीवी भी देते हैं गेस्ट फैकल्टी की सेवा

रांची के बरियातू क्षेत्र के वार्ड नंबर चार स्थित राजकीय कृत मध्य विद्यालय में कक्षा 1 से लेकर 8 तक पढ़ाई होती है. इस स्कूल में निजी स्कूलों की तरह सुविधाएं मौजूद है, मिड डे मील की व्यवस्था सही तरीके से संचालित हो रही है. जर्जर किचन होने के बावजूद साफ-सुथरे और व्यवस्थित तरीके से विद्यार्थियों के लिए भोजन परोसा जाता है. .यानी स्वच्छता के मामले में 10 में से 10 नंबर इस स्कूल को दिया जा सकता है. प्रधानाध्यापक और यहां के शिक्षकों के साथ-साथ विद्यार्थियों के दृढ़ इच्छाशक्ति ने इस स्कूल को एक नया आयाम दिया है. कुछ स्वंय सेवी संस्थाओं की भी भागीदारीता इस स्कूल को सजाने संवारने और संजोतने को लेकर है. बेहतरीन तरीके से और सुचारू ढंग से पठन-पाठन हो इसे लेकर गेस्ट फैकल्टी के रूप में ऐसे कई बुद्धिजीवी और गणमान्य वर्ग के लोग हैं जो इस स्कूल में आकर बच्चों को निशुल्क पढ़ाते हैं.

ये भी पढ़ें- धधकते अंगारों ने छीना इस शहर का चैन, जानिए दशकों पहले भड़की चिंगारी की कहानी

चार विंग में बांटा गया है स्कूल

वहीं 8 नियमित शिक्षकों के अलावा दो पारा शिक्षक भी निष्ठापूर्वक यहां के विद्यार्थियों को शिक्षा देते हैं. बच्चों को प्रोटीन युक्त और ताजी हरी सब्जियां मिले इसे लेकर स्कूल में ही किचन गार्डन की व्यवस्था है और इसके देखरेख के लिए एक गार्डनर की भी व्यवस्था की गई है. सर्व शिक्षा अभियान और निशुल्क शिक्षा के अलावे तमाम तरह की शिक्षा विभाग से जुड़े योजनाओं को इस स्कूल में प्रधानाध्यापक के प्रयास से पहुंचाया जाता है. इसका बखूबी लाभ यह स्कूल ले रहा है. स्कूल को चार विंग में बांट कर अलग-अलग कक्षाएं संचालित होती है. तमाम विंग का अलग-अलग नाम है. सभी कक्षाओं को वर्ग के हिसाब से सजाया गया है और कक्षाओं के दीवाल पर बच्चों को सीखाने के लिए पेंटिंग के माध्यम से कई जानकारियां लिखी गई है.

स्मार्ट लाइब्रेरी मौजूद

वहीं स्कूल में एक कंप्यूटर लैब भी है, हर दिन अलग-अलग क्लास के बच्चों को यहां कंप्यूटर का प्रशिक्षण भी दिया जाता है. एक स्मार्ट लाइब्रेरी भी है. जहां टैब के माध्यम से इंटरनेट के जरिए इस सरकारी स्कूल के बच्चे जानकारियां गूगल के माध्यम से इकट्ठा करते हैं. बाकी जानकारियां तो यहां के शिक्षक हर क्लासेस में बच्चों को देते हैं. स्थानीय पार्षद हुस्ना आरा भी समय-समय पर इस स्कूल का मुआयना जरूर करती हैं. यह स्कूल वाकई में राज्य के सरकारी स्कूलों के लिए आदर्श साबित हो रहा है. एक तरफ जहां हेमंत सरकार और इस सरकार के शिक्षा मंत्री दिल्ली के तर्ज पर झारखंड के स्कूलों को डेवलप करना चाहते हैं.

ये भी पढ़ें- पाकुड़ में 'सफेद हाथी' साबित हो रही MDM योजना, करोड़ों खर्च के बावजूद स्कूल की चौखट नहीं लांघ रहे बच्चे

निजी स्कूलों को दे रहे टक्कर

वहीं पहले से ही ऐसे कुछ स्कूल है जो यहां के शिक्षकों के दूरदर्शिता के कारण बेहतर तरीके से संचालित हो रहे हैं और यह स्कूल बड़े-बड़े निजी स्कूलों के टक्कर का साबित हो रहा है. यहां के बच्चों में भी गुणवत्ता है, यहां के बच्चे क्लासेस के हिसाब से बेहतर शिक्षा हासिल कर रहे हैं. कह सकते हैं यहां के बच्चों में टैलेंट भी बेहतर है और किसी भी निजी स्कूल के बच्चों का आसानी से टक्कर दे सकते हैं. राज्य सरकार को चाहिए ऐसे स्कूलों के मॉडल को इस राज्य में बेहतर तरीके से विकसित करे तो देश के बड़े-बड़े निजी स्कूल भी झारखंड के ऐसे मॉडल स्कूलों के सामने घुटने टेक देंगे.

रांची: कहते हैं अगर मजबूत इच्छाशक्ति हो तो, मुश्किल परिस्थितियों में भी सफलता हासिल की जा सकती है. कठिन से कठिन रास्तों का सामना कर मंजिल तक पहुंचा जा सकता है. सरकारी स्कूलों को हमेशा से ही उपेक्षा की नजरों से देखा जाता है. लेकिन राजधानी रांची के बरियातू में एक ऐसे सरकारी स्कूल है. जिसे देखकर निजी स्कूल चलाने वाले भी दंग रह जाएंगे. यहां स्कूल में हर सुविधा मौजूद है, जो किसी बड़े निजी स्कूल में उपलब्ध होता है और यह संभव हो पाया है इस स्कूल के प्राचार्य, शिक्षकों और विद्यार्थियों की भागीदारी से.

देखें स्पेशल स्टोरी

बुद्धिजीवी भी देते हैं गेस्ट फैकल्टी की सेवा

रांची के बरियातू क्षेत्र के वार्ड नंबर चार स्थित राजकीय कृत मध्य विद्यालय में कक्षा 1 से लेकर 8 तक पढ़ाई होती है. इस स्कूल में निजी स्कूलों की तरह सुविधाएं मौजूद है, मिड डे मील की व्यवस्था सही तरीके से संचालित हो रही है. जर्जर किचन होने के बावजूद साफ-सुथरे और व्यवस्थित तरीके से विद्यार्थियों के लिए भोजन परोसा जाता है. .यानी स्वच्छता के मामले में 10 में से 10 नंबर इस स्कूल को दिया जा सकता है. प्रधानाध्यापक और यहां के शिक्षकों के साथ-साथ विद्यार्थियों के दृढ़ इच्छाशक्ति ने इस स्कूल को एक नया आयाम दिया है. कुछ स्वंय सेवी संस्थाओं की भी भागीदारीता इस स्कूल को सजाने संवारने और संजोतने को लेकर है. बेहतरीन तरीके से और सुचारू ढंग से पठन-पाठन हो इसे लेकर गेस्ट फैकल्टी के रूप में ऐसे कई बुद्धिजीवी और गणमान्य वर्ग के लोग हैं जो इस स्कूल में आकर बच्चों को निशुल्क पढ़ाते हैं.

ये भी पढ़ें- धधकते अंगारों ने छीना इस शहर का चैन, जानिए दशकों पहले भड़की चिंगारी की कहानी

चार विंग में बांटा गया है स्कूल

वहीं 8 नियमित शिक्षकों के अलावा दो पारा शिक्षक भी निष्ठापूर्वक यहां के विद्यार्थियों को शिक्षा देते हैं. बच्चों को प्रोटीन युक्त और ताजी हरी सब्जियां मिले इसे लेकर स्कूल में ही किचन गार्डन की व्यवस्था है और इसके देखरेख के लिए एक गार्डनर की भी व्यवस्था की गई है. सर्व शिक्षा अभियान और निशुल्क शिक्षा के अलावे तमाम तरह की शिक्षा विभाग से जुड़े योजनाओं को इस स्कूल में प्रधानाध्यापक के प्रयास से पहुंचाया जाता है. इसका बखूबी लाभ यह स्कूल ले रहा है. स्कूल को चार विंग में बांट कर अलग-अलग कक्षाएं संचालित होती है. तमाम विंग का अलग-अलग नाम है. सभी कक्षाओं को वर्ग के हिसाब से सजाया गया है और कक्षाओं के दीवाल पर बच्चों को सीखाने के लिए पेंटिंग के माध्यम से कई जानकारियां लिखी गई है.

स्मार्ट लाइब्रेरी मौजूद

वहीं स्कूल में एक कंप्यूटर लैब भी है, हर दिन अलग-अलग क्लास के बच्चों को यहां कंप्यूटर का प्रशिक्षण भी दिया जाता है. एक स्मार्ट लाइब्रेरी भी है. जहां टैब के माध्यम से इंटरनेट के जरिए इस सरकारी स्कूल के बच्चे जानकारियां गूगल के माध्यम से इकट्ठा करते हैं. बाकी जानकारियां तो यहां के शिक्षक हर क्लासेस में बच्चों को देते हैं. स्थानीय पार्षद हुस्ना आरा भी समय-समय पर इस स्कूल का मुआयना जरूर करती हैं. यह स्कूल वाकई में राज्य के सरकारी स्कूलों के लिए आदर्श साबित हो रहा है. एक तरफ जहां हेमंत सरकार और इस सरकार के शिक्षा मंत्री दिल्ली के तर्ज पर झारखंड के स्कूलों को डेवलप करना चाहते हैं.

ये भी पढ़ें- पाकुड़ में 'सफेद हाथी' साबित हो रही MDM योजना, करोड़ों खर्च के बावजूद स्कूल की चौखट नहीं लांघ रहे बच्चे

निजी स्कूलों को दे रहे टक्कर

वहीं पहले से ही ऐसे कुछ स्कूल है जो यहां के शिक्षकों के दूरदर्शिता के कारण बेहतर तरीके से संचालित हो रहे हैं और यह स्कूल बड़े-बड़े निजी स्कूलों के टक्कर का साबित हो रहा है. यहां के बच्चों में भी गुणवत्ता है, यहां के बच्चे क्लासेस के हिसाब से बेहतर शिक्षा हासिल कर रहे हैं. कह सकते हैं यहां के बच्चों में टैलेंट भी बेहतर है और किसी भी निजी स्कूल के बच्चों का आसानी से टक्कर दे सकते हैं. राज्य सरकार को चाहिए ऐसे स्कूलों के मॉडल को इस राज्य में बेहतर तरीके से विकसित करे तो देश के बड़े-बड़े निजी स्कूल भी झारखंड के ऐसे मॉडल स्कूलों के सामने घुटने टेक देंगे.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.