रांचीः झारखंड में शासन की नीतियों में बड़ा कन्फ्यूजन है. इसका खमियाजा लोगों को भुगतना पड़ रहा है. निर्धारित नियुक्तियां न होने से राज्य के तीन नए मेडिकल कॉलेजों में नामांकन नहीं हो पा रहा है, जैसे-तैसे NMC ने दुमका मेडिकल कॉलेज को नामांकन की इजाजत दे दी है. लेकिन बाकी दो पर संशय बरकरार है. हाल में ही शासन ने आकर्षक पैकेज पर सेवानिवृत्त चिकित्सा शिक्षकों के लिए भर्ती निकाला, लेकिन शिक्षक जहां नियुक्ति चाहते थे उसकी जगह कहीं और नियुक्ति दे दी. इससे ऐसे शिक्षकों ने ज्वाइन नहीं किया. ऐसे ही कई और खामियों के कारण 169 पदों में से सिर्फ 43 पर बहाली हो पाई.
ये भी पढ़ें-हजारीबाग मेडिकल कॉलेज में कोरोना पर रिसर्च, 20 डॉक्टर 26 बीमारियों पर कर रहे हैं शोध
ढाई लाख रुपये महीने पर भी नहीं दिखाया इंट्रेस्ट
राज्य के तीन नए मेडिकल कॉलेजों पलामू, हजारीबाग और दुमका के साथ-साथ MGM मेडिकल कॉलेज जमशेदपुर के लिए सरकार ने प्रोफेसर के 86 और एसोसिएट प्रोफेसर के 83 पद के लिए नियुक्ति निकाली थी. इसके लिए सेवानिवृत्त प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर आवेदन करने का मौका दिया गया था.
इसके लिए ढाई लाख रुपये महीने के आकर्षक पैकेज का प्रस्ताव था और उम्र सीमा भी 70 साल कर दी गई थी. लेकिन 169 पदों में से महज 43 पद पर ही बहाली हो सकी, जिसमें 27 प्रोफेसर और 16 एसोसिएट प्रोफेसर हैं. यानी सरकार और स्वास्थ्य महकमे की लाख कोशिशों के बावजूद प्राध्यापक (प्रोफेसर) के 59 और सह प्राध्यापक ( एसोसिएट प्रोफेसर ) के 67 पद खाली रह गए हैं.
नतीजा यह कि दुमका मेडिकल कॉलेज को तों शर्तो के साथ NMC ने इस वर्ष MBBS में नामांकन की मान्यता दे दी पर पलामू और हजारीबाग के नए मेडिकल कॉलेज में निर्धारित संख्या में शिक्षकों की नियुक्ति न हो पाने से इस वर्ष भी MBBS में नामांकन शुरू होने पर संशय बरकरार है.
क्यों नहीं मिली फैकल्टी
राज्य के मेडिकल कॉलेजों में आकर्षक पैकेज और उम्र सीमा में छूट के बावजूद मेडिकल संवर्ग में शिक्षक यानी प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर की सीट खाली क्यों रह गई इस सवाल का जवाब जानने के लिए ETV Bharat की टीम उस प्रख्यात डॉक्टर के पास पहुंचीं जो रिम्स के ENT विभाग के हेड रह चुके थे और रिटायरमेंट के बाद चाहते थे कि अपने पैतृक घर के पास हजारीबाग में रहकर हजारीबाग मेडिकल कॉलेज में सेवा दें.
डॉक्टर पीके सिंह का कहना है कि हजारीबाग मेडिकल कॉलेज के ENT विभाग की जगह इंटरव्यू के बाद उन्हें दुमका मेडिकल कॉलेज जाने का फरमान सुना दिया. लेकिन वे दुमका मेडिकल कॉलेज नहीं जाना चाहते. इधर हजारीबाग मेडिकल कॉलेज में भी इस पद पर नियुक्ति नहीं हो सकी. इस तरह डॉ. पीके सिंह जैसे बहुत से ऐसे अनुभवी डॉक्टर शिक्षक हैं जो सेवा तो देना चाहते हैं पर पोस्टिंग अपनी उम्र को देखते हुए अपने आसपास चाहते हैं, लेकिन प्रशासन इन मामले पर कन्फ्यूज है.
ये भी पढ़ें-NMC की टीम ने हजारीबाग मेडिकल कॉलेज का किया निरीक्षण, दूसरे सत्र के एडमिशन पर संशय बरकरार
रिटायर्ड चिकित्सक ने उठाए सवाल
राज्य के मेडिकल कॉलेजों पर फैकल्टी की कमी को लेकर NMC की तलवार हमेशा क्यों लटकती रहती है. इस पर रिम्स के मेडिसिन विभाग के HOD पद से रिटायर हुए डॉ. जेके मित्रा तल्ख होकर कहते हैं कि 'फैकल्टी किसी पेड़ पर नहीं मिलते बल्कि उसे मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में तैयार किया जाता है'. पहले असिस्टेंट प्रोफेसर फिर प्रोन्नति देकर उसे एसोसिएट प्रोफेसर और फिर प्रोन्नति देकर प्रोफेसर बनाने की प्रक्रिया है. लेकिन हमारे यहां ऐसा नहीं है.
डॉ. जेके मित्रा का कहना है कि वर्षों से मेडिकल कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति नहीं हुई है, नियुक्ति हुई तो फिर समय के साथ प्रमोशन देकर एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोफेसर नहीं बनाया गया और लोग रिटायर होते चले गए. हमारे यहां फैकल्टी की ग्रुमिंग ही नहीं होती.
रिम्स जैसे प्रीमियर संस्थान में ही असिस्टेंट प्रोफेसर के पद 04 साल से रिक्तः डॉ. प्रभात कुमार
रिम्स के मेडिकल चिकित्सा शिक्षक संघ के पदाधिकारी डॉ. प्रभात कुमार सवाल उठाते हैं कि आप फैकल्टी मिलने की उम्मीद कैसे कर सकते हैं जब रिम्स जैसे बड़े संस्थान में ही पिछले 04 वर्ष से असिस्टेंट प्रोफेसर के पद रिक्त हैं. अगर ये पद 04 साल पहले भरे होते तो कुछ दिनों में वे सभी एसोसिएट प्रोफेसर बन जाते और फिर एसोसिएट प्रोफेसर पदोन्नति पाकर प्रोफेसर बन जाते. फिर कहीं कोई कमी नहीं होती पर झारखंड में स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर गंभीर होने की बात तो कही जाती है पर होता ठीक इसके विपरीत है.