रांचीः झारखंड में बेपटरी आयुर्वेदिक चिकित्सा व्यवस्था की कहानी कोई नई नहीं है. शुरू से ही आयुष के तहत मरीजों को दी जाने वाली स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर कई सवाल उठते रहे हैं. ताजा मामला आयुर्वेदिक दवाइयों की घोर कमी से जूझ रहे आयुर्वेदिक और यूनानी अस्पतालों की है.
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राज्य में सिर्फ एक आयुर्वेदिक दवा गोदंती भष्म के भरोसे पूरा सिस्टम चल रहा है. सरकारी आयुर्वेदिक औषधालयों में इलाज के लिए पहुंचने वाले मरीजों को डॉक्टर दवा कंपनियों से मिले सैंपल की दवाई देकर राहत पहुंचाने की कोशिश करते हैं. वहीं ज्यादातर महंगी आयुर्वेदिक दवाई बाजार से लेना मरीजों की मजबूरी बन जाती है.
रांची के डोरंडा स्थित संयुक्त औषधालय में पदस्थापित आयुर्वेदिक चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. साकेत कुमार कहते हैं कि कुछ महीने पहले तक दो तरह की दवा थीं. लेकिन अब सिर्फ एक दवा गोदंती भष्म ही बचा हुआ है. ऐसे में कई ऐसे मरीज जो महंगी दवाएं नहीं खरीद सकते, उन्हें डॉक्टर सैंपल की दवाई देकर राहत दे रहे हैं. डॉ. साकेत कुमार ने कहा कि जो मरीज आते हैं, उनकी काउंसिलिंग भी करते हैं और घरेलू नुस्खे भी बताते हैं. हिनू डोरंडा से आईं मरीज कलावती देवी कहती हैं कि डॉक्टर साहब ने कुछ दवाइयां दी हैं, बाकी दवा बाहर से खरीदना पड़ेगा.
क्या कहते हैं आयुष निदेशकः झारखंड आयुष निदेशालय के प्रभारी निदेशक डॉ. फजलुस समी से ईटीवी भारत ने आयुर्वेदिक दवाइयों की कमी को लेकर सवाल किया. इस पर उन्होंने कहा कि आयुर्वेदिक और यूनानी औषधालयों में दवाइयां नहीं है, यह बात सही है. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन से राज्य को आयुर्वेदिक और यूनानी दवाएं मिली हैं. जिसे स्टेट वेयर हाउस से डिस्ट्रिक्ट वेयर हाउस को भी भेजा दिया गया है. डॉ. फजलुस समी ने कहा कि सभी जिला आयुष पदाधिकारी (DAO) को जल्द से जल्द आयुर्वेदिक और यूनानी औषधालयों में दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने को कहा गया है.
सात महीने पहले ही दवाई के लिए निदेशालय को दी गई थी लिस्टः अब आयुष निदेशक राज्य में जल्द दवा उपलब्ध कराने की बात कह रहे हैं. लेकिन सच्चाई ये भी है कि करीब सात महीने पहले ही 50 से ज्यादा दवाइयों की सूची आयुष औषधालयों से आयुष निदेशालय को भेजी गयी थी और अभी तक औषधालयों तक तो दवाई नहीं पहुंची है. आयुष निदेशक अब यह जरूर भरोसा दिला रहे हैं कि जल्द दवाइयों की कमी दूर कर ली जाएगी.