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झारखंड के दो डीएसपी की बढ़ने वाली हैं मुश्किलें, सरकार ने मुकदमा चलाने की दी स्वीकृति - रांची न्यूज

झारखंड के दो डीएसपी के खिलाफ सरकार ने मुकदमा चलाने की स्वीकृति दे दी (Government approved prosecution of two DSP of Jharkhand)है. इससे दोनों की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं. आरोप साबित होने पर दोनों डीएसपी की नौकरी भी जा सकती है.

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Published : Nov 30, 2022, 1:42 PM IST

Updated : Nov 30, 2022, 1:48 PM IST

रांचीः झारखंड के दो डीएसपी की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं. दोनों के खिलाफ राज्य सरकार ने मुकदमा चलाने की स्वीकृति दे दी है(Government approved prosecution of two DSP of Jharkhand). जिन दो डीएसपी के खिलाफ जांच होनी है, उनमें मजरूल होदा और पवन कुमार के नाम शामिल हैं. वर्तमान में डीएसपी मजरूल होदा आईआरबी में तो पवन कुमार बोकारो डीआईजी के कार्यालय में पोस्टेड हैं. अब इन दोनों आरोपी डीएसपी के खिलाफ सस्पेंशन की कार्रवाई कर आगे की कानूनी प्रक्रिया शुरू की जा सकती है. खास बात है कि अभियोजन के दौरान कोर्ट में आरोप साबित होने पर दोनों डीएसपी की नौकरी भी जा सकती है.

डीएसपी मजरूल और पवन पर क्या हैं आरोपः धनबाद के हरिहरपुर थाना क्षेत्र में 13 जून 2016 की रात एक घटना घटी थी. तब तत्कालीन डीएसपी बाघमारा मजरुल होदा और तत्कालीन हरिहरपुर थानेदार संतोष रजक सादे लिबास में चेकिंग अभियान चला रहे थे. इसी बीच चमड़ा लदे एक ट्रक को रोकने की कोशिश की गई, लेकिन ट्रक चालक मोहम्मद नाजिम ने ट्रक की रफ्तार और बढ़ा दी. सीआईडी की चार्जशीट के मुताबिक डीएसपी समेत अन्य पुलिस पदाधिकारियों ने ट्रक का पीछा कर ड्राइवर को गोली मार दी थी.

घायल हालत में ट्रक चालक ने इलाज के दौरान बयान दिया था कि उसे नहीं मालूम था कि पुलिस वाले चेकिंग कर रहे हैं. क्योंकि वे सादे लिबास में थे. उसे लगा कि अपराधी रोकने की कोशिश कर रहे हैं. इसी डर से उसने नजदीक के पुलिस स्टेशन तक पहुंचने के लिए में ट्रक की रफ्तार बढ़ा दी थी. दूसरी तरफ पुलिस पदाधिकारियों ने गोली मारने के बाद एक पिस्टल, दो खोखा और कुछ कारतूस जब्त दिखाते हुए बताया था कि ट्रक चालक और अन्य ने मिलकर पुलिस पर फायरिंग की थी.

आपको बता दें कि इसी तथाकथित मामले में तोपचांची के पूर्व थानेदार उमेश कच्छप ने अपने आवासीय कमरे में फंदे से झूलकर आत्महत्या कर ली थी. उनकी भाभी नंदी कच्छप ने धनबाद कोर्ट में धनबाद के तत्कालीन एसएसपी सुरेंद्र कुमार झा, बाघमारा के तत्कालीन डीएसपी मजरूल होदा, हरिहरपुर के तत्कालीन थाना प्रभारी संतोष रजक और तोपचांची के तत्कालीन इंस्पेक्टर डीके मिश्रा के खिलाफ शिकायतवाद दर्ज कराया था. उनका आरोप था कि ट्रक ड्राइवर पर फायरिंग की घटना को राजगंज थाना क्षेत्र के बजाए तोपचांची में दिखाया जा रहा था. हालाकि बाद में धनबाद कोर्ट ने शिकायतवाद को खारिज कर दिया था. खास बात है कि थानेदार उमेश कच्छप का फंदे से झूलता शव बरामद होने के बाद जमकर बवाल हुआ था. इस मामले में डीएसपी मजरूल होदा, इंस्पेक्टर धीरेंद्र मिश्रा और राजगंज थानेदार संतोष रजक सस्पेंड किए गये थे. इसी मामले में थानेदार संतोष रजक पुलिस सेवा से बर्खास्त किये गये थे.

डीसपी पवन कुमार का मामला रांची के बुंडू से जुड़ा हुआ है. बुंडू के आदर्श नगर में रहने वाले रूपेश कुमार को पुलिस ने 7 जुलाई 2016 को कपड़ा दुकान से पूछताछ के लिए हिरासत में लिया था. इस दौरान उसकी जमकर पिटाई की गई थी. इसी क्रम में 8 जुलाई 2016 को उसकी मौत हो गई थी. सीआईडी ने अपनी जांच में डीएसपी पवन कुमार समेत अन्य पुलिसकर्मियों को दोषी पाया था. इस मामले में तत्कालीन थानेदार पंकज कुमार तिवारी, अशोक कुमार और बॉडीगार्ड रितेश कुमार पर चार्जशीट दायर किया गया था. अब डीएसपी पवन कुमार के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति संबंधी आदेश कोर्ट में जमा करने के बाद उनपर भी मुकदमा चलाने का रास्ता साफ हो गया है.

रांचीः झारखंड के दो डीएसपी की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं. दोनों के खिलाफ राज्य सरकार ने मुकदमा चलाने की स्वीकृति दे दी है(Government approved prosecution of two DSP of Jharkhand). जिन दो डीएसपी के खिलाफ जांच होनी है, उनमें मजरूल होदा और पवन कुमार के नाम शामिल हैं. वर्तमान में डीएसपी मजरूल होदा आईआरबी में तो पवन कुमार बोकारो डीआईजी के कार्यालय में पोस्टेड हैं. अब इन दोनों आरोपी डीएसपी के खिलाफ सस्पेंशन की कार्रवाई कर आगे की कानूनी प्रक्रिया शुरू की जा सकती है. खास बात है कि अभियोजन के दौरान कोर्ट में आरोप साबित होने पर दोनों डीएसपी की नौकरी भी जा सकती है.

डीएसपी मजरूल और पवन पर क्या हैं आरोपः धनबाद के हरिहरपुर थाना क्षेत्र में 13 जून 2016 की रात एक घटना घटी थी. तब तत्कालीन डीएसपी बाघमारा मजरुल होदा और तत्कालीन हरिहरपुर थानेदार संतोष रजक सादे लिबास में चेकिंग अभियान चला रहे थे. इसी बीच चमड़ा लदे एक ट्रक को रोकने की कोशिश की गई, लेकिन ट्रक चालक मोहम्मद नाजिम ने ट्रक की रफ्तार और बढ़ा दी. सीआईडी की चार्जशीट के मुताबिक डीएसपी समेत अन्य पुलिस पदाधिकारियों ने ट्रक का पीछा कर ड्राइवर को गोली मार दी थी.

घायल हालत में ट्रक चालक ने इलाज के दौरान बयान दिया था कि उसे नहीं मालूम था कि पुलिस वाले चेकिंग कर रहे हैं. क्योंकि वे सादे लिबास में थे. उसे लगा कि अपराधी रोकने की कोशिश कर रहे हैं. इसी डर से उसने नजदीक के पुलिस स्टेशन तक पहुंचने के लिए में ट्रक की रफ्तार बढ़ा दी थी. दूसरी तरफ पुलिस पदाधिकारियों ने गोली मारने के बाद एक पिस्टल, दो खोखा और कुछ कारतूस जब्त दिखाते हुए बताया था कि ट्रक चालक और अन्य ने मिलकर पुलिस पर फायरिंग की थी.

आपको बता दें कि इसी तथाकथित मामले में तोपचांची के पूर्व थानेदार उमेश कच्छप ने अपने आवासीय कमरे में फंदे से झूलकर आत्महत्या कर ली थी. उनकी भाभी नंदी कच्छप ने धनबाद कोर्ट में धनबाद के तत्कालीन एसएसपी सुरेंद्र कुमार झा, बाघमारा के तत्कालीन डीएसपी मजरूल होदा, हरिहरपुर के तत्कालीन थाना प्रभारी संतोष रजक और तोपचांची के तत्कालीन इंस्पेक्टर डीके मिश्रा के खिलाफ शिकायतवाद दर्ज कराया था. उनका आरोप था कि ट्रक ड्राइवर पर फायरिंग की घटना को राजगंज थाना क्षेत्र के बजाए तोपचांची में दिखाया जा रहा था. हालाकि बाद में धनबाद कोर्ट ने शिकायतवाद को खारिज कर दिया था. खास बात है कि थानेदार उमेश कच्छप का फंदे से झूलता शव बरामद होने के बाद जमकर बवाल हुआ था. इस मामले में डीएसपी मजरूल होदा, इंस्पेक्टर धीरेंद्र मिश्रा और राजगंज थानेदार संतोष रजक सस्पेंड किए गये थे. इसी मामले में थानेदार संतोष रजक पुलिस सेवा से बर्खास्त किये गये थे.

डीसपी पवन कुमार का मामला रांची के बुंडू से जुड़ा हुआ है. बुंडू के आदर्श नगर में रहने वाले रूपेश कुमार को पुलिस ने 7 जुलाई 2016 को कपड़ा दुकान से पूछताछ के लिए हिरासत में लिया था. इस दौरान उसकी जमकर पिटाई की गई थी. इसी क्रम में 8 जुलाई 2016 को उसकी मौत हो गई थी. सीआईडी ने अपनी जांच में डीएसपी पवन कुमार समेत अन्य पुलिसकर्मियों को दोषी पाया था. इस मामले में तत्कालीन थानेदार पंकज कुमार तिवारी, अशोक कुमार और बॉडीगार्ड रितेश कुमार पर चार्जशीट दायर किया गया था. अब डीएसपी पवन कुमार के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति संबंधी आदेश कोर्ट में जमा करने के बाद उनपर भी मुकदमा चलाने का रास्ता साफ हो गया है.

Last Updated : Nov 30, 2022, 1:48 PM IST
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