रांची/दिल्ली: आदिवासी बहुल झारखंड की कला संस्कृति बेमिसाल है (Glimpse of Jharkhand culture in Delhi). झारखंड 22वां स्थापना दिवस मना रहा है. 15 नवंबर को बिरसा मुंडा जयंती को आदिवासी गौरव दिवस के रूप मनाया जाता है. इसी कड़ी में "जोहार - ए झारखंड डांस ओडिसी" का आयोजन कला और संस्कृति विभाग की ओर से इंडिया इंटरनेशनल सेंटर के सहयोग से किया गया.
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दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नृत्य मंडलों ने मानभूम, छऊ और पाइका जनजातीय नृत्य रूपों का प्रदर्शन किया. गुलाब सिंह मुंडा मंडली ने आदिवासी मार्शल आर्ट का प्रदर्शन करते हुए झारखंड के स्वदेशी लोक नृत्य पाइका का शानदार प्रदर्शन किया. रंग-बिरंगे वेशभूषा से सजे धजे कलाकारों ने हाथों में तलवारें, ढाल और पगड़ी में पंख लिए ढाक, नगाड़ा, शहनाई भीर और झुमका के थापों की ताल पर अपने पराक्रम का प्रदर्शन किया. प्रभात महतो की मंडली ने हाथ से बने मुखौटों और यूनेस्को की मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के हिस्से का उपयोग करके प्रदर्शित की जाने वाली एक पारंपरिक कला, मनभूम छऊ का प्रदर्शन किया.
उन्होंने शहनाई, ढोल, नगाड़ा और झुमका की लाइव बीट्स पर महिषासुर मर्दिनी की लोकगाथा का मंचन कर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया. कलाबाजी की चालें, खेल (मॉक कॉम्बैट तकनीक), चालीस और टोपका (पक्षियों और जानवरों की शैली वाली चालें) और मानव पिरामिड का प्रदर्शन कर झारखंड की संस्कृति की झलक दिखाकर लोगों को तालियां बजाने पर मजबूर कर दिया.
इससे पहले दिल्ली में आयोजित भारतीय अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेला में झारखंड पवेलियन की खूब तारीफ हुई. वोकल फॉर लोकल, लोकल टू ग्लोबल थीम के साथ झारखंड के उत्पादों को खूब सराहा गया. आदिवासी परिधान आकर्षण के केंद्र में रहे. सखी मंडल की दीदियों द्वारा तैयार पलाश ब्रांड के उत्पाद को लोगों ने पसंद किया. आपको बता दें कि 14 नवंबर को दिल्ली के प्रगति मैदान में केंद्रीय मंत्री पीयुष गोयल ने भारतीय अंतराष्ट्रीय व्यापार मेले का उद्घाटन किया था. इस साल झारखंड राज्य पार्टनर राज्य के रूप में शामिल हुआ.