रांची: झारखंड हाई कोर्ट के न्यायाधीश एस चंद्रशेखर और रत्नाकर भेंगड़ा (Justices S Chandrasekhar And Ratnakar Bhengra) की अदालत में गिरिडीह के बर्खास्त मेयर सुनील पासवान के जाति प्रमाण पत्र को लेकर सुनील पासवान द्वारा ही दायर अपील याचिका पर मंगलवार को सुनवाई हुई. अदालत में मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने राज्य सरकार को मामले में जवाब पेश करने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई नौ फरवरी को निर्धारित की गई है. पूर्व में एकल पीठ के द्वारा याचिका खारिज किए जाने के बाद सुनील पासवान ने हाई कोर्ट (Jharkhand High Court) में अपील याचिका दायर की है.
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गिरिडीह के डीसी की अनुशंसा पर जाति प्रमाण पत्र किया गया था रद्दः पूर्व में मामले की सुनवाई के दौरान अधिवक्ता विनोद सिंह ने बताया कि गिरिडीह के डीसी की अनुशंसा पर उनके जाति प्रमाण पत्र को निरस्त करने की अनुशंसा की (Recommendation For Cancel Caste Certificate)गई थी. जबकि चुनाव लड़ने के लिए 2005 में ही पहली बार प्रशासन की ओर से उनका जाति प्रमाण पत्र जारी किया गया, बाद में 2010 और 2015 में भी उनका जाति प्रमाण पत्र निर्गत किया गया. इसके बाद 2016 में नई स्थानीयता नीति बनने के बाद वर्ष 2018 में भी प्रशासन की ओर से जाति निर्गत किया गया और वे गिरिडीह के मेयर निर्वाचित हुए. मेयर सुनील कुमार पासवान का जाति प्रमाण पत्र निरस्त करने और उन्हें पद से हटाने की जो प्रक्रिया शुरू की गई थी, उसे ही अदालत में चुनौती दी गई थी.
बर्खास्त मेयर पर गिरिडीह के मुफस्सिल थाने में दर्ज करायी गई थी प्राथमिकीः बता दें कि मेयर सुनील कुमार पासवान की जाति प्रमाण पत्र को फर्जी बता कर आवेदन दिया गया था. उस पर गिरिडीह के डीसी ने मेयर सुनील कुमार के जाति प्रमाण पत्र को निरस्त करने की अनुशंसा की थी. जिसके बाद सीईओ के द्वारा गिरिडीह मुफस्सिल थाना में उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करायी गई थी. उसी एफआइआर के कारण उन्हें गिरफ्तार न कर लिया जाए इसके कारण उन्होंने गिरिडीह के निचली अदालत में अग्रिम जमानत याचिका दायर की थी. वहां से उनकी याचिका को खारिज कर दी गई थी. जिसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर की. उस याचिका पर सुनवाई के उपरांत उन्हें जमानत दी गई थी.
बर्खास्त मेयर का दावा जाति प्रमाण पत्र सहीः इस संबंध में गिरिडीह के मेयर सुनील कुमार पासवान ने बताया कि उनका जाति प्रमाण पत्र सही तरीके से बनाया गया है. उसमें किसी भी प्रकार का फर्जीवाड़ा नहीं किया गया है. पूर्व में उनके खिलाफ जो आवेदन दिया गया था, वह राजनीतिक विद्वेष से उनकी जाति प्रमाण पत्र को रद्द कराने को लेकर दिया गया (Giridih Sacked Mayor Caste Certificate Case)था. उनके पक्ष को सुने बगैर उनके जाति प्रमाण पत्र को रद्द करने की अनुशंसा की गई. जिसे उन्होंने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी.