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गिरिडीह मेयर की याचिका हाई कोर्ट से खारिज, पढ़ें पूरी रिपोर्ट

गिरिडीह नगर निगम के मेयर ओर से दायर याचिका हाई कोर्ट ने खारिज कर दी. नगर निगम के चुनाव में निर्वाचित होने के बाद गलत प्रमाण पत्र पाए जाने के बाद निर्वाचन रद्द करने के प्रावधान को असंवैधानिक घोषित करने के लिए दायर याचिका हाई कोर्ट ने खारिज कर दी.

Giridih Mayor's petition dismissed from High Court in ranchi
झारखंड हाई कोर्ट
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Published : Feb 27, 2021, 11:18 AM IST

रांचीः नगर निगम के चुनाव में निर्वाचित होने के बाद गलत प्रमाण पत्र पाए जाने के बाद निर्वाचन रद्द करने के प्रावधान को असंवैधानिक घोषित करने के लिए दायर याचिका हाईकोर्ट ने खारिज कर दी. चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत ने कहा कि नगर निगम नियमावली में किया गया है यह प्रावधान, सही है और इसे असंवैधानिक घोषित नहीं किया जा सकता.

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याचिका सुनील कुमार पासवान ने दायर की थी. गिरीडीह नगर निगम का वह मेयर चुने गए थे. चुनाव के बाद उनपर आरोप लगा कि वह गलत प्रमाण पत्र पेश कर चुनाव लड़े हैं. इसके बाद उन्हें अयोग्य करार दे दिया गया है. नगर निगम के एक्ट का यह प्रावधान सही नहीं है. निर्वाचित होने के बाद वैध प्रमाणपत्र नहीं होने के आधार पर किसी को अयोग्य करार दिए जाने का प्रावधान असंवैधानिक है इस कारण इसे एक्ट से निरस्त कर देना चाहिए.

सरकार की ओर से पक्ष रखते हुए महाधिवक्ता राजीव रंजन ने अदालत को बताया कि यह नियमावली बिल्कुल सही है. यह अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए सक्षम है. जिसके तहत एसटी/एससी, ओबीसी और महिलाओं को स्थानीय स्वशासन में 50% तक आरक्षण दिए जाने का प्रावधान है. उस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए यह नियमावली बनाई गई है. हाई कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद राज्य सरकार की ओर से दी गई दलीलों को स्वीकार करते हुए सुनील कुमार पासवान की याचिका खारिज कर दी और नियमावली को असंवैधानिक घोषित करने से इनकार कर दिया और उसे सही बताया.

रांचीः नगर निगम के चुनाव में निर्वाचित होने के बाद गलत प्रमाण पत्र पाए जाने के बाद निर्वाचन रद्द करने के प्रावधान को असंवैधानिक घोषित करने के लिए दायर याचिका हाईकोर्ट ने खारिज कर दी. चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत ने कहा कि नगर निगम नियमावली में किया गया है यह प्रावधान, सही है और इसे असंवैधानिक घोषित नहीं किया जा सकता.

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याचिका सुनील कुमार पासवान ने दायर की थी. गिरीडीह नगर निगम का वह मेयर चुने गए थे. चुनाव के बाद उनपर आरोप लगा कि वह गलत प्रमाण पत्र पेश कर चुनाव लड़े हैं. इसके बाद उन्हें अयोग्य करार दे दिया गया है. नगर निगम के एक्ट का यह प्रावधान सही नहीं है. निर्वाचित होने के बाद वैध प्रमाणपत्र नहीं होने के आधार पर किसी को अयोग्य करार दिए जाने का प्रावधान असंवैधानिक है इस कारण इसे एक्ट से निरस्त कर देना चाहिए.

सरकार की ओर से पक्ष रखते हुए महाधिवक्ता राजीव रंजन ने अदालत को बताया कि यह नियमावली बिल्कुल सही है. यह अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए सक्षम है. जिसके तहत एसटी/एससी, ओबीसी और महिलाओं को स्थानीय स्वशासन में 50% तक आरक्षण दिए जाने का प्रावधान है. उस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए यह नियमावली बनाई गई है. हाई कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद राज्य सरकार की ओर से दी गई दलीलों को स्वीकार करते हुए सुनील कुमार पासवान की याचिका खारिज कर दी और नियमावली को असंवैधानिक घोषित करने से इनकार कर दिया और उसे सही बताया.

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