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झारखंड में ओमीक्रोन का खतरा बरकरार, जीनोम सिक्वेंसिंग मशीन न होने से रिपोर्ट आने में हो रही देरी

झारखंड में कोरोना के नए वैरिएंट ओमीक्रोन का खतरा बरकरार है. लेकिन ओमीक्रोन की पहचान के लिए जीनोम सिक्वेंसिंग मशीन की अब तक खरीद नहीं की जा सकी है. इसलिए झारखंड से सैंपल भुवनेश्वर स्थित आईएलएस भेजे जा रहे हैं, जिससे रिपोर्ट समय पर नहीं मिल पा रही है.

new variant Omicron in Jharkhand
झारखंड में ओमीक्रोन का खतरा बरकरार
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Published : Dec 25, 2021, 2:36 PM IST

रांचीः झारखंड में पिछले पांच दिनों में तेजी से कोरोना संक्रमण के मामले बढ़े हैं. लेकिन ओमीक्रोन के खतरे के मद्देनजर कोरोना के नए वैरिएंट की जांच के लिए जीनोम सिक्वेंसिंग मशीन अभी तक नहीं खरीदी जा सकी है. इससे झारखंड के सैंपल भुवनेश्वर के आईएलएस भेजने पड़ रहे हैं. इससे समय पर रिपोर्ट नहीं मिल पा रही है. अभी तक झारखंड से भुवनेश्वर के इंस्टीट्यूट ऑफ लाइफ साइंसेज भेजे गए 45 सैंपल की रिपोर्ट पेंडिंग है.



यह भी पढ़ेंःJharkhand Corona Updates: झारखंड में कोरोना का नया हॉट स्पॉट बना कोडरमा, तेजी से बढ़ रही है संक्रमितों की संख्या


वायरस का म्यूटेंट, जीनोम में बदलाव और नए वैरिएंट को पता लगाने के लिए सैंपल के जीनोम सिक्वेंसिंग कराई जाती है. लेकिन झारखंड में इसकी कोई व्यवस्था नहीं है. राज्य सरकार ने कोरोना की दूसरी लहर के बाद रिम्स में जीनोम सिक्वेंसिंग मशीन लगाने का फैसला किया था. इसके साथ ही रिम्स की गवर्निंग बॉडी की बैठक में भी इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई थी. लेकिन सरकारी प्रक्रियाओं के पेंच में अब तक मशीन की खरीद नहीं की जा सकी है.

देखें पूरी खबर

तेजी से फैल रहा है ओमीक्रोन

विशेषज्ञों का मानना है कि ओमीक्रोन तेजी से लोगों को संक्रमित करता है. कोरोना वायरस के डेल्टा वैरिएट की अपेक्षा ओमीक्रोन पांच से सात गुणा तेजी से फैलता है. इस स्थिति में जितनी जल्दी नये वैरिएंट की पहचान हो जाए, संक्रमण की रोकथाम के लिए उतना अच्छा है.

45 सैंपल की जांच रिपोर्ट का इंतजार

देश में ओमीक्रोन के दस्तक देने के बाद 18 नवंबर को 26 सैंपल, जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए भुनेश्वर आईएलएस भेजे गए. इसके बाद 19 सैंपल और भेजे गए. लेकिन एक माह बीत जाने के बाद भी अब तक एक भी रिपोर्ट नहीं मिली है. इस स्थिति में राज्य में ओमीक्रोन संक्रमण का खतरा बरकरार है.

रिम्स के जेनेटिक विभाग में लगेगी मशीन


आईडीएसपी के अधिकारी कहते है कि राज्य में शीघ्र ही जीनोम सिक्वेंसिंग मशीन लग जाएगी. इसकी प्रक्रिया शुरू है. रिम्स के जनसंपर्क पदाधिकारी डॉ. डीके सिन्हा ने बताया कि मशीन खरीदने की प्रक्रिया अंतिम चरण में है. उन्होंने बताया कि जीनोम सिक्वेंसिंग मशीन माइक्रो बायोलॉजी विभाग की जगह जेनेटिक विभाग में लगेगी. एनएचएम निदेशक रमेश घोलप ने बताया कि कोरोना प्रोटोकॉल का पालन किया जा रहा है. विदेश से आने वाले लोगों की पूरी ट्रवैल हिस्ट्री पर नजर रखी जा रही है. उन्होंने कहा कि आरटीपीसीआर टेस्ट में पॉजीटिव मिलने पर सैंपल को जीनोम सिक्वेंसिंग के लिए आईएलएस भेजा जा रहा है.

रांचीः झारखंड में पिछले पांच दिनों में तेजी से कोरोना संक्रमण के मामले बढ़े हैं. लेकिन ओमीक्रोन के खतरे के मद्देनजर कोरोना के नए वैरिएंट की जांच के लिए जीनोम सिक्वेंसिंग मशीन अभी तक नहीं खरीदी जा सकी है. इससे झारखंड के सैंपल भुवनेश्वर के आईएलएस भेजने पड़ रहे हैं. इससे समय पर रिपोर्ट नहीं मिल पा रही है. अभी तक झारखंड से भुवनेश्वर के इंस्टीट्यूट ऑफ लाइफ साइंसेज भेजे गए 45 सैंपल की रिपोर्ट पेंडिंग है.



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वायरस का म्यूटेंट, जीनोम में बदलाव और नए वैरिएंट को पता लगाने के लिए सैंपल के जीनोम सिक्वेंसिंग कराई जाती है. लेकिन झारखंड में इसकी कोई व्यवस्था नहीं है. राज्य सरकार ने कोरोना की दूसरी लहर के बाद रिम्स में जीनोम सिक्वेंसिंग मशीन लगाने का फैसला किया था. इसके साथ ही रिम्स की गवर्निंग बॉडी की बैठक में भी इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई थी. लेकिन सरकारी प्रक्रियाओं के पेंच में अब तक मशीन की खरीद नहीं की जा सकी है.

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तेजी से फैल रहा है ओमीक्रोन

विशेषज्ञों का मानना है कि ओमीक्रोन तेजी से लोगों को संक्रमित करता है. कोरोना वायरस के डेल्टा वैरिएट की अपेक्षा ओमीक्रोन पांच से सात गुणा तेजी से फैलता है. इस स्थिति में जितनी जल्दी नये वैरिएंट की पहचान हो जाए, संक्रमण की रोकथाम के लिए उतना अच्छा है.

45 सैंपल की जांच रिपोर्ट का इंतजार

देश में ओमीक्रोन के दस्तक देने के बाद 18 नवंबर को 26 सैंपल, जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए भुनेश्वर आईएलएस भेजे गए. इसके बाद 19 सैंपल और भेजे गए. लेकिन एक माह बीत जाने के बाद भी अब तक एक भी रिपोर्ट नहीं मिली है. इस स्थिति में राज्य में ओमीक्रोन संक्रमण का खतरा बरकरार है.

रिम्स के जेनेटिक विभाग में लगेगी मशीन


आईडीएसपी के अधिकारी कहते है कि राज्य में शीघ्र ही जीनोम सिक्वेंसिंग मशीन लग जाएगी. इसकी प्रक्रिया शुरू है. रिम्स के जनसंपर्क पदाधिकारी डॉ. डीके सिन्हा ने बताया कि मशीन खरीदने की प्रक्रिया अंतिम चरण में है. उन्होंने बताया कि जीनोम सिक्वेंसिंग मशीन माइक्रो बायोलॉजी विभाग की जगह जेनेटिक विभाग में लगेगी. एनएचएम निदेशक रमेश घोलप ने बताया कि कोरोना प्रोटोकॉल का पालन किया जा रहा है. विदेश से आने वाले लोगों की पूरी ट्रवैल हिस्ट्री पर नजर रखी जा रही है. उन्होंने कहा कि आरटीपीसीआर टेस्ट में पॉजीटिव मिलने पर सैंपल को जीनोम सिक्वेंसिंग के लिए आईएलएस भेजा जा रहा है.

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