रांची: राजधानी रांची में वाहन चोर गिरोह (Vehicle thief gang in Ranchi) के सदस्य साइबर अपराधियों के तर्ज पर काम कर रहे हैं. इस गिरोह के सदस्य चोरी के वाहनों को फर्जी आरसी बुक के जरिए बेचकर (Selling Vehicle through Fake RC Book) फर्जीवाड़ा कर रहे हैं. साथ ही बड़ी ही आसानी के साथ पुलिस को भी चकमा दे रहे हैं.
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कैसे दे रहे चकमा: वाहन चोर गिरोह के सदस्य पुलिस को बारकोड के माध्यम से स्मार्ट कार्ड बनाकर चकमा दे रहे हैं. वाहन चेकिंग के दौरान पुलिस सिर्फ नंबर प्लेट और आरसी कार्ड या बुक चेक करती है लेकिन, वाहन चोर गिरोह के सदस्य बड़े ही होशियारी के साथ चोरी के वाहनों में नया नंबर लगाकर बारकोड के माध्यम से हूबहू उस गाड़ी का फर्जी आरसी तैयार कर लेते हैं. वाहन चेकिंग के दौरान जब कागजात चेक होता है तो वह हूबहू उसी वाहन का होता है, जिसका नंबर प्लेट लगा हुआ है. रांची डीटीओ प्रवीण प्रकाश के अनुसार बारकोड में वही चीजें नजर आएंगी जो आप डालेंगे. इसी बात का फायदा वाहन चोर गिरोह के सदस्य उठा रहे हैं. दरअसल, हम जब भी ई-वाहन ऐप खोलेंगे और बारकोड जनरेट करेंगे तो एप के जरिये जो भी जानकारी मांगी जाएगी वो आप पर निर्भर करता है. बारकोड में एक सामान्य व्यक्ति भी जो जनकारी डालेगा. वही, आरसी कार्ड को स्कैन करने पर दिखेगा. इसी बात का फायदा चोरी के वाहनों को खपाने के लिए वाहन चोर गिरोह उठा रहे हैं.
लगातार आ रहे मामले: बारकोड के जरिए वाहन चोर गिरोह के वाहनों के खपाने के खेल का खुलासा, हाल ही में राजधानी से पकड़े गए कुछ वाहन चोरों ने किया है. रांची के नामकुम, रातू और खलारी से कई ऐसे वाहन हाल के दिनों में बरामद हुए हैं, जिनके नंबर प्लेट से मिलता-जुलता ही आरसी बुक है लेकिन, चेचिस नंबर अलग. जब चेचिस नंबर से वाहन की जांच हुई, तब जानकारी मिली की डीटीओ के यहां किसी और नंबर से उस वाहन का रजिस्ट्रेशन किया हुआ है. लेकिन, जो नंबर प्राप्त हुआ उसका आरसी बुक एकदम ऑरिजिनल जैसा था. डीटीओ कार्यालय से जब पुलिस ने मामले की जांच करवाई तो सामने आया कि बार कोड का इस्तेमाल कर वाहन चोर गिरोह फेक आरसी कार्ड का इस्तेमाल कर रहे हैं. शुरुआत में यह लगा था कि डीटीओ ऑफिस से किसी कर्मचारी की मिलीभगत से इस तरह के फर्जीवाड़े को अंजाम दिया जा रहा है लेकिन, मामले की जांच के बाद यह मालूम हुआ कि बार कोड का इस्तेमाल कर कोई भी इस तरह से आरसी बुक तैयार कर सकता है.
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पुलिस के लिए परेशानी का सबब: वाहन चोर गिरोह के सदस्यों की यह नई टेक्नोलॉजी पुलिस और परिवहन विभाग दोनों के लिए परेशानी का सबब बन गया है. पुलिस हर दिन वाहन चेकिंग अभियान चलाती है लेकिन, उसके पास इतना समय नहीं होता है कि वह हर वाहन का चेचिस नंबर और इंजन नंबर चेक कर सके. वाहन चेकिंग अभियान के दौरान पुलिस नंबर प्लेट ड्राइविंग लाइसेंस के साथ-साथ आर्म्स की चेकिंग करती है कि कोई हथियार के साथ तो नहीं घूम रहा है. बहुत कम ही पुलिस के द्वारा आरसी बुक के आधार पर चेचिस व इंजन नंबर का मिलान कर चेकिंग किया जाता है.
एसएसपी ने जारी किया है आदेश: डीटीओ ऑफिस से मिली जानकारी के बाद वाहन चेकिंग अभियान के सिस्टम को बदला जा रहा है अब वाहन चेकिंग में लगे पुलिसकर्मी इंजन और चेचिस नंबर दोनो ही चेक कर रहे हैं. रांची डीटीओ प्रवीण प्रकाश के द्वारा भी इस मामले को लेकर विभाग को अलर्ट किया गया है.
खतरनाक है यह ट्रेंड: बार कोड का इस्तेमाल कर चोरी के वाहनों का प्रयोग करना पुलिस प्रशासन के लिए खतरे की घंटी से कम नहीं है. अपराधी हो या फिर नक्सली, वे चोरी के वाहनों में बारकोड के माध्यम से असली जैसा आरसी बनाकर कहीं भी शहर में घूम सकते हैं. अपराधी वारदात को अंजाम देकर शहर से फरार होने में भी इसका प्रयोग कर सकते हैं. ऐसे में यह जरूरी है कि पुलिस के पूरे चेकिंग सिस्टम को ही दुरुस्त किया जाए. रांची एसएसपी किशोर कौशल ने बताया कि उन्होंने इस ट्रेंड के शुरू होने से पहले ही एंटी क्राइम चेकिंग अभियान के दौरान सभी पुलिसकर्मियों को यह आदेश दिया है कि वह हर वाहन को चेक करते समय उसके चेचिस और इंजन नंबर को रजिस्टर में जरूर इंगित करें. रांची पुलिस के द्वारा इस सिस्टम के जरिए ही वाहन चेकिंग अभियान को चलाया जा रहा है.
सेकेंड हैंड वाहनों के ग्राहक सावधान: वाहन चोर गिरोह के सदस्यों का यह ट्रेंड काफी खतरनाक है. आम लोग जब भी सेकंड हैंड वाहन खरीदे तो उसके इंजन और चेचिस नंबर की जांच बेहद जरूरी है. अन्यथा आप कानूनी पचड़े में फंस सकते हैं.