रांची: कुछ दिन पहले झारखंड के चतरा जिले की रहने वाली एक महिला ने रिम्स में एक साथ 5 बच्ची को जन्म दिया था. महिला और उसके परिजन बच्चियों के जन्म से बेहद खुश थे, लेकिन ये खुशी ज्यादा दिनों तक नहीं ठहर सकी. महिला के पांच में से चार बच्चियों की मौत हो गई, वहीं पांचवी बच्ची की भी हालत नाजुक बनी हुई है. परिजन इसका जिम्मेदार रिम्स को बता रहे हैं. रिम्स पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए परिजन जिंदा बची पांचवी बच्ची को रिम्स से निजी अस्पताल में ले गए हैं. रिम्स पर ये भी आरोप है कि पांचवी बच्ची को चिटियां नोंच रही थी. हालांकि रिम्स प्रबंधन ने इससे इनकार किया है.
बच्ची के परिजनों ने बताया कि पिछले कई दिनों से वे रिम्स में अपने सभी बच्चों को एडमिट कर इलाज करवा रहे थे. लेकिन वहां पर ठीक से देखभाल नहीं होने की वजह से उन्होंने गुरुवार को बेहतर इलाज के लिए अपने आखिरी बचे हुए बच्चे को राजधानी के निजी अस्पताल रानी चिल्ड्रेन हॉस्पिटल में एडमिट करवाया है. रानी चिल्ड्रन के डॉक्टरों ने गंभीर स्थिति को देखते हुए बच्ची को आईसीयू में भर्ती कराया है. जहां पर डॉक्टर गरिमा दीप्ति की निगरानी में बच्चे की देखभाल की जा रही है. डॉक्टर गरिमा दीप्ति ने बताया कि गुरुवार को जब बच्ची को एडमिट किया गया था तो उसकी स्थिति काफी नाजुक थी. गंभीर हालत को देखते हुए बच्ची को वेंटिलेटर पर रखा गया है. डॉ गरिमा ने बताया कि अगर चारो बच्चों की तुलना में देखें तो पांचवें बच्चे की स्थिति में थोड़ा सुधार जरूर है.
रेयर ऑफ द रेयरेस्ट होते हैं ऐसे केस- गरिमा दीप्ति: उन्होंने बताया कि जिस स्थिति में महिला की बच्ची हुई है. वह निश्चित रूप से रेयर ऑफ द रेयरेस्ट केस में देखा जा सकता है. ऐसे रेयर केस के बच्चे जब पैदा लेते हैं तो उनके बचने की गुंजाइश भी काफी कम होती है, जो यहां भी देखने को मिला. उन्होंने बताया कि पांच बच्चियों में जिन 4 बच्चियों की मौत हुई है, उन सभी बच्चियों के लंग्स और शरीर के कई महत्वपूर्ण हिस्सों का विकास नहीं हो पाया था.
ऐसे केसों में सभी बच्चों को बचाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन होता है, क्योंकि ऐसे केस में जो बच्चे जन्म लेते हैं, वह प्रीमेच्योर बेबी के रूप में पैदा लेते हैं, जिस वजह से कई बार उनके शरीर का महत्वपूर्ण अंग पूर्ण विकसित नहीं हो पाता. वहीं उन्होंने बताया कि जिस एक बच्ची की जान बची हुई है, उसकी स्थिति बाकी 4 बच्चियों से बेहतर है. डॉक्टर लगातार कोशिश कर रहे हैं ताकि जिंदगी और मौत से जूझ रही इस बच्ची को फिर से नया जीवन दिया जा सके.
परिजनों ने रिम्स प्रबंधन पर लगाया लापरवाही का आरोप: वहीं परिजनों ने आरोप लगाया कि रिम्स में लापरवाही की वजह से 2 बच्ची की मौत हुई है. वहीं जो बच्ची जीवित थी, उसका भी ध्यान बेहतर तरीके से नहीं रखा जा रहा था, जिस वजह से वह बच्ची को निजी अस्पताल में ले गए.
हालांकि प्रबंधन की ओर से बताया गया कि जिन दो बच्चियों की मौत पहले हुई थी, उनकी मौत का कारण लापरवाही नहीं, बल्कि बच्चियों की एब्नॉर्मल केस के कारण हुई है. रिम्स के जनसंपर्क पदाधिकारी डॉ राजीव रंजन ने बताया कि पांचों बच्चियों को बचाने के लिए डॉक्टरों ने पूरा प्रयास किया. लेकिन दो बच्ची जन्म के समय ही काल के गाल में समा गई, जबकि अन्य दो बच्ची ने किसी निजी अस्पताल में अपना दम तोड़ा है.
चींटी काटने का आरोप निराधार: वहीं जो आखिरी बच्ची है, जो फिलहाल जिंदगी और मौत से लड़ रही है, उसे भी डॉक्टरों की निगरानी में लगातार चेकअप किया जा रहा था, लेकिन परिजनों ने अपनी मर्जी से बच्ची को निजी अस्पताल में ले जाने का फैसला किया. वहीं उन्होंने कहा कि परिजनों द्वारा जो चींटी काटने के आरोप लगाए जा रहे हैं, वह निराधार और बेबुनियाद हैं. बच्ची के शरीर पर जो निशान है वह ट्रीटमेंट के निशान हैं, ना कि चींटी काटने की.
संभवत: झारखंड के इतिहास में पहली बार किसी महिला ने एक साथ पांच बच्ची को जन्म दिया था, जिसे बचाना डॉक्टरों के लिए एक बड़ी चुनौती थी, लेकिन डॉक्टरों के लाख प्रयास के बावजूद भी 4 बच्चियां इस दुनिया को छोड़ कर चली गई. वहीं एक बच्ची अभी भी जिंदगी और मौत के बीच जूझ रही है.