रांची: झारखंड की पिछली रघुवर दास सरकार में 12 जिलों के सरकारी अस्पतालों को गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों के बेहतर इलाज के साथ-साथ मुफ्त पैथोलॉजिकल जांच के लिए दो निजी एजेंसियों को टेंडर के आधार पर ठेका दिया गया था. पैथोलॉजिकल जांच की जिम्मेदारी मेडाल और एसआरएस नाम की एजेंसियों को दी गई थी. पीपीपी के तहत जांच के लिए रिम्स में मेडाल लैब भी स्थापित की गयी. अब इसे लेकर नया विवाद शुरू हो गया है.
250 करोड़ के गबन का आरोप: पूर्व ऊर्जा मंत्री लालचंद महतो ने शनिवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर आरोप लगाया कि सरकार अब तक जांच के एवज में मेडाल को 500 करोड़ रुपये से ज्यादा का भुगतान कर चुकी है, जिसमें से लगभग आधा यानी 250 करोड़ रुपये का बिल फर्जी तरीके से बनाया गया है. पूर्व ऊर्जा मंत्री ने राज्यपाल, मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव, अपर मुख्य सचिव (स्वास्थ्य) को पत्र लिखकर इस मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है. पूर्व ऊर्जा मंत्री लालचंद महतो ने कहा कि एक ओर जहां डॉक्टरों और सिविल सर्जन की मिलीभगत से यह खेल खेला गया है, वहीं दूसरी ओर इस बात के भी कई प्रमाण हैं कि जो जांच नहीं किए गए, उसके एवज में भी फर्जी बिल बनाकर सरकार से पैसे लिये गये.
हताशा में बयानबाजी कर रहे लालचंद महतो-भाजपा: 250 करोड़ रुपये के गबन के आरोप पर प्रतिक्रिया देते हुए भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता प्रदीप सिन्हा ने कहा कि वास्तव में लालचंद महतो झारखंड की राजनीति में हाशिये पर हैं. लंबे समय तक सत्ता से दूर रहने के कारण राज्य की राजनीति में उनकी कोई नहीं सुनता, ऐसे में वह खबरों और सुर्खियों में बने रहने के लिए ऐसे आरोप लगाते रहते हैं. बीजेपी प्रवक्ता ने कहा कि अगर लालचंद महतो के पास पर्याप्त सबूत हैं तो मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री से मिलकर मामले की जांच करानी चाहिए. सच किसी चीज से नहीं डरता.
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