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रघुवर का आरोप, करीबियों और अपनी पत्नी को दी सरकारी जमीन, इस्तीफा दें हेमंत सोरेन - रांची न्यूज

पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास का सोरेन परिवार पर हमला लगातार जारी है. सोमवार को उन्होंने एक बार फिर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनकी पत्नी कल्पना सोरेन पर गंभीर आरोप लगाए हैं.

Former CM Raghuvar Das, पूर्व सीएम रघुवर दास
पूर्व सीएम रघुवर दास
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Published : Apr 25, 2022, 3:32 PM IST

Updated : Apr 25, 2022, 8:13 PM IST

रांची: झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने सोरेन परिवार पर एक और गंभीर आरोप लगाया है. उनका आरोप है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपनी पत्नी कल्पना सोरेन की कंपनी सोहराय लाइफ प्रा. लिमिटेड को चान्हो प्रखंड के बेरा औद्योगिक क्षेत्र में 11 एकड़ सरकारी जमीन आवंटित करवाई है. मीट प्रोसेसिंग यूनिट खोलने के लिए इस जमीन का आवंटन साल 2021 में किया गया है. इस इलाके को आदिवासी युवाओं के लिए औद्योगिक भूमि के रूप में चिन्हित किया गया था. रघुवर दास का आरोप है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के पास उद्योग विभाग भी है. लिहाजा, बिना उनकी सहमति के जमीन का आवंटन नहीं हो सकता. उन्होंने इसे प्रीवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट की धारा 188 के 13(2) के तहत दंडनीय अपराध बताया है. उन्होंने कहा कि बहुत जल्द भाजपा का एक प्रतिनिधिमंडल राज्यपाल से मिलकर पूरे मामले से अवगत कराएगा.

ये भी पढ़ें- हेमंत पर रघुवर का वार: जानिए, रघुवर दास ने हेमंत सोरेन की सदस्यता समाप्त करने की क्यों की मांग?

रघुवर दास का आरोप है कि सीएम के प्रेस सलाहकार अभिषेक के नाम से साहिबगंज में शिवशक्ति इंटरप्राइजेज को 11.70 एकड़ जमीन खदान लीज के लिए दी गई है. सरकारी कागज पर 90 लाख का निवेश दिखाया गया है. इसके अलावा सीएम के विधायक प्रतिनिधि पंकज मिश्रा के नाम से साहिबगंज के मारी मौजा में संचालित महाकाल स्टोन वर्कस को खदान के लिए 6.25 एकड़ जमीन आवंटित की गई है. रघुवर दास ने कहा कि अब सीएम को खुद त्यागपत्र दे देना चाहिए. सरकार को आधिकारिक रूप से स्पष्टीकरण देना चाहिए. साथ ही प्रेस सलाहकार और विधायक प्रतिनिधि को अविलंब हटाना चाहिए. रघुवर दास का आरोप है कि हाल के दिनों में हुए खुलासे के बाद सरकारी दस्तावेज से छेड़छाड़ करने की भी कोशिश की जा रही है.

पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास

आपको बता दें कि इसी साल 10 फरवरी को रघुवर दास ने सीधे-सीधे मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर निशाना साधा था. उन्होंने सीएम पर रांची के अनगड़ा में अपने नाम से पत्थर खदान लीज पर लेने के आरोप लगाया था. इसे ऑफिस ऑफ प्रॉफिट का मामला बताते हुए 11 फरवरी को राज्यपाल से अवगत कराया था. इसी प्रतिवेदन के आधार पर चुनाव आयोग ने मुख्य सचिव से जानकारी मांगी है. हाई कोर्ट में भी इस मामले को लेकर पीआईएल दायर हुआ है.

रांची: झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने सोरेन परिवार पर एक और गंभीर आरोप लगाया है. उनका आरोप है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपनी पत्नी कल्पना सोरेन की कंपनी सोहराय लाइफ प्रा. लिमिटेड को चान्हो प्रखंड के बेरा औद्योगिक क्षेत्र में 11 एकड़ सरकारी जमीन आवंटित करवाई है. मीट प्रोसेसिंग यूनिट खोलने के लिए इस जमीन का आवंटन साल 2021 में किया गया है. इस इलाके को आदिवासी युवाओं के लिए औद्योगिक भूमि के रूप में चिन्हित किया गया था. रघुवर दास का आरोप है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के पास उद्योग विभाग भी है. लिहाजा, बिना उनकी सहमति के जमीन का आवंटन नहीं हो सकता. उन्होंने इसे प्रीवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट की धारा 188 के 13(2) के तहत दंडनीय अपराध बताया है. उन्होंने कहा कि बहुत जल्द भाजपा का एक प्रतिनिधिमंडल राज्यपाल से मिलकर पूरे मामले से अवगत कराएगा.

ये भी पढ़ें- हेमंत पर रघुवर का वार: जानिए, रघुवर दास ने हेमंत सोरेन की सदस्यता समाप्त करने की क्यों की मांग?

रघुवर दास का आरोप है कि सीएम के प्रेस सलाहकार अभिषेक के नाम से साहिबगंज में शिवशक्ति इंटरप्राइजेज को 11.70 एकड़ जमीन खदान लीज के लिए दी गई है. सरकारी कागज पर 90 लाख का निवेश दिखाया गया है. इसके अलावा सीएम के विधायक प्रतिनिधि पंकज मिश्रा के नाम से साहिबगंज के मारी मौजा में संचालित महाकाल स्टोन वर्कस को खदान के लिए 6.25 एकड़ जमीन आवंटित की गई है. रघुवर दास ने कहा कि अब सीएम को खुद त्यागपत्र दे देना चाहिए. सरकार को आधिकारिक रूप से स्पष्टीकरण देना चाहिए. साथ ही प्रेस सलाहकार और विधायक प्रतिनिधि को अविलंब हटाना चाहिए. रघुवर दास का आरोप है कि हाल के दिनों में हुए खुलासे के बाद सरकारी दस्तावेज से छेड़छाड़ करने की भी कोशिश की जा रही है.

पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास

आपको बता दें कि इसी साल 10 फरवरी को रघुवर दास ने सीधे-सीधे मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर निशाना साधा था. उन्होंने सीएम पर रांची के अनगड़ा में अपने नाम से पत्थर खदान लीज पर लेने के आरोप लगाया था. इसे ऑफिस ऑफ प्रॉफिट का मामला बताते हुए 11 फरवरी को राज्यपाल से अवगत कराया था. इसी प्रतिवेदन के आधार पर चुनाव आयोग ने मुख्य सचिव से जानकारी मांगी है. हाई कोर्ट में भी इस मामले को लेकर पीआईएल दायर हुआ है.

Last Updated : Apr 25, 2022, 8:13 PM IST
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