रांची: झारखंड की राजधानी में यूं तो एक से बढ़कर एक कई हेयर कटिंग सैलून हैं, लेकिन इन दिनों सड़क किनारे बाल दाढ़ी बनाने वाले साधारण से एक नाई की चर्चा चारों ओर हो रही है. यहां तक कि आम तो आम लोग विदेशी पर्यटकों के बीच इसी नाई की चर्चा है. विदेशी पर्यटक रांची में इसी नाई से बाल दाढ़ी बनवा रहे हैं. आखिर ये माजरा क्या है और इस नाई की चर्चा क्यों हो रही है, इसके बारे में बताते हैं.
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दरअसल, राजधानी के सिरम टोली के पास एक आम पेड़ के नीचे शीशा लगाकर साधारण सा सैलून चला रहे उमेश ठाकुर के पास आए दिन विदेशी ग्राहक आते रहते हैं. क्योंकि उनके दुकान के पास ही योगदा सत्संग नाम की संस्था है, जहां पर आए दिन विदेशियों का आना-जाना होता है. इस संस्था में आने वाले विदेशी अपना बाल और दाढ़ी उमेश ठाकुर के पास ही बनवाते हैं, क्योंकि उमेश ठाकुर विदेशियों के साथ अच्छे व्यवहार के साथ पेश आते हैं और उन्हें भारतीय संस्कृति और परंपरा का परिचय देते हैं.
उमेश ठाकुर बताते हैं कि योगदा संस्था में आने वाले कई विदेशी आए दिन उनके पास बाल कटवाने आते हैं. वे उन्हें ज्यादा पैसे देने का ऑफर भी देते हैं. लेकिन उमेश ठाकुर किसी भी विदेशी से ज्यादा पैसे नहीं लेते. क्योंकि उमेश ठाकुर का मानना है कि यदि यहां पर किसी भी विदेशी ग्राहक को बरगलाकर कुछ पैसे ज्यादा ले भी लेते हैं तो उस विदेशी ग्राहक को किसी ना किसी माध्यम से यह जरूर पता चल जाएगा कि बाल कटवाने के लिए उससे ज्यादा पैसा लिए गए हैं. उसे बाहर का व्यक्ति समझकर ठग लिया गया है. इससे उसके मन में हमारे देश और यहां के लोगों के प्रति गलत भावनाएं आएंगी. इसलिए उमेश ठाकुर इस बात का ख्याल रखते हैं कि जितना पैसा आम ग्राहकों से लेते हैं, वे उतना पैसा ही विदेशी ग्राहकों से भी लेते हैं, ताकि अपने देश जाकर कोई भी विदेशी यह न कह सके कि भारत में विदेशियों को ठग लिया जाता है.
मुफ्त में भी बना देते हैं दाढ़ी और बाल: नाई उमेश ठाकुर बताते हैं कि कभी-कभी संस्था में आने वाले विदेशी ग्राहक उनके दुकान पर पहुंच जाते हैं और बाल और दाढ़ी बनवाने की फरमाइश करते हैं. वे पूरे सम्मान के साथ उन्हें कुर्सी पर बैठाते हैं और कई बार विदेशियों का वे मुफ्त में भी दाढ़ी या बाल बना देते हैं. उनके दुकान पर आने वाले आम ग्राहक सुजीत ने बताया कि उमेश ठाकुर अपने विचार से विदेशियों का दिल जीत लेते हैं और उन्हें बताते हैं कि भारत में वसुधैव कुटुंबकम की परंपरा आदिकाल से चली आ रही है और उस परंपरा को आज भी भारतवासी निभा रहे हैं. दुकान पर आने वाले विदेशी ग्राहकों ने भी उमेश ठाकुर से बाल कटवाकर संतुष्टि जाहिर की. उन्होंने कहा कि पेड़ के नीचे बाल कटवाना बहुत अच्छा लगता है, क्योंकि यह व्यवस्था अमूमन उनके देश में नहीं मिलती है. वहीं विदेशी ग्राहकों ने भारत के लोगों की भी प्रशंसा की.