रांचीः लाख कोशिशों के बाबजूद झारखंड सरकार को राजस्व संग्रह में समुचित सफलता नहीं मिल रही है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन लगातार अपने राज्य के संसाधनों को मजबूत कर वित्तीय स्थिति को ठीक करने की बात करते रहे हैं. इसी को ध्यान में रखते हुए झारखंड सरकार राजस्व बढ़ने के लिए बिहार और ओड़िशा का स्टडी करेगी. राज्य सरकार बिहार और ओडिशा से राजस्व संग्रह के तौर तरीके को जानेगी, जिससे वित्तीय रुप से भी समृद्ध झारखंड बन सके.
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झारखंड सरकार ने इसके लिए बिहार और ओड़िशा की सरकार से संपर्क साधना शुरू कर दिया है. वित्त विभाग की टीम दोनों राज्यों का दौरा कर स्टडी करने वाली थी मगर कोविड के कारण इसे तत्काल रोककर ऑनलाइन मीटिंग करने की कोशिश की जा रही है. वित्त मंत्री डॉ. रामेश्वर उरांव ने कहा है कि झारखंड जानना चाहता है कि कैसे बिहार अपनी वित्तीय स्थिति को मजबूत करने में सफल हो पाई जबकि उसकी स्थिति बंटवारे के वक्त बेहद ही खराब थी.
इन सेक्टर्स पर होगा फोकसः झारखंड की वित्तीय स्थिति लगातार खराब होती जा रही है. राज्य की खराब वित्तीय स्थिति का पता इससे चलता है कि राज्य पर कर्ज का बोझ करीब एक लाख करोड़ रुपये से अधिक है. जिसके कारण राज्य का हर व्यक्ति 26 हजार रुपये से अधिक का कर्जदार है. प्रति व्यक्ति आय के मामले में झारखंड 27वें नंबर पर है. सिर्फ पांच राज्यों में ही प्रति व्यक्ति आय झारखंड से कम है. राज्य सरकार अपने स्टडी में राज्य में पर्यटन, माइंस, वन, कला संस्कृति, स्पोर्ट्स जैसे क्षेत्रों पर फोकस करेगी.
बिहार लगातार हो रहा मजबूतः बिहार में सत्ता संभालने के तुरंत बाद राज्य की वित्तीय स्थिति पर एक श्वेत पत्र प्रस्तुत किया था. उस समय राज्य पर कुल ऋण 42 हजार 498 करोड़ था जो कि सकल घरेलू उत्पाद का 70.12% था. 2005-06 के दौरान जहां 4 हजार 83 करोड़ राजस्व प्राप्त हुए थे. वहीं 2018-19 में ये आंकड़ा बढ़कर 35 हजार 447 करोड़ हो गया. शुरुआती दौर में सरकार ने पथ निर्माण विभाग को प्राथमिकता की सूची में सबसे ऊपर रखा था. वहीं आज बिहार सरकार शिक्षा पर सबसे ज्यादा 17.36% खर्च कर रही है. हाल के कुछ सालों में बिहार के बजट में औसतन 5 से 7 हजार करोड़ रुपये की बढ़ोतरी की गयी है. 15 साल के दौरान बिहार ने राजस्व संग्रह के मामले में भी अपेक्षित सफलता हासिल की. राजस्व संग्रह इस दौरान करीब 9 गुना बढ़ गया. बेहतर वित्तीय प्रबंधन का नतीजा था कि साल 2017-18 के दौरान बिहार ने विकास दर के मायने में सभी राज्यों को पछाड़ते हुए 11.3 फीसदी का लक्ष्य हासिल किया. 2005-06 से 2016-17 तक राज्य की वार्षिक आर्थिक वृद्धि दर लगभग औसतन 10.52% रही.
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ओड़िशा खनिज क्षेत्र में राजस्व संग्रह करने में नंबर वनः पड़ोसी राज्य ओड़िशा की बात करें तो खनिज क्षेत्र से राजस्व संग्रह करने मेंं अव्वल रहा है. चालू वित्तीय वर्ष के अप्रैल-सितंबर के दौरान 221 प्रतिशत बढ़कर ओड़िशा में राजस्व संग्रह 18,841 करोड़ रुपये से अधिक हो गया, जो चालू वित्त वर्ष के लिए इस क्षेत्र के बजटीय अनुमान से अधिक है. एक साल पहले इस अवधि में 5,870.74 करोड़ रुपये का राजस्व हासिल किया गया था. वित्त वर्ष 2021-22 में खनिज राजस्व के रूप में 13,700 करोड़ रुपये मिलने की उम्मीद थी. लेकिन ओड़िशा ने काफी पहले ही 30 सितंबर तक 18,841.54 करोड़ रुपये जुटा लिए हैं. राज्य सरकार को 31 मार्च 2022 तक खनिज क्षेत्र से लगभग 36,000 करोड़ रुपये के राजस्व की उम्मीद है. झारखंड पर अब तक विजन का अभाव के कारण समुचित विकास नहीं होने के आरोप लगते रहे हैं. ऐसे में राज्य सरकार को उम्मीद है कि दोनों राज्यों का अध्ययन करने के बाद राज्य को समुचित लाभ मिलेगा.