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Food Traders Protest in Jharkhand: झारखंड में कृषि बाजार शुल्क का विरोध, खाद्यान्न व्यवसायियों ने की अनिश्चिकालीन बंदी की घोषणा

झारखंड में कृषि बाजार शुल्क के विरोध में राज्यभर के खाद्यान्न व्यवसायियों ने बुधवार को आक्रोश मार्च निकाला. विरोध के दौरान कृषि मंत्री बादल पत्रलेख का पुतला दहन भी किया गया. सभी व्यनसायियों ने अपने व्यवसायिक प्रतिष्ठान भी बंद रखा. झारखंड के खाद्यान्न व्यवसायियों ने फैसला लिया है कि अगर सरकार विधेयक वापस नहीं लेगी तो 15 फरवरी से अनिश्चितकालीन बंदी की जाएगी. इसके अलवा उन्होंने कांग्रेस को सबक सीखाने की बात भी कही.

Food Traders Protest in Jharkhand
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Published : Feb 8, 2023, 5:56 PM IST

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रांची: कृषि उत्पाद की खरीद-बिक्री पर सरकार की ओर से 2% का कृषि बाजार शुल्क लगाने के विरोध में राज्यभर के खाद्यान्न व्यवसायियों ने बुधवार को रांची में बैठक की. बैठक के बाद आक्रोशित व्यवसायियों ने काले झंडे और तख्तियां लेकर विरोध मार्च निकाला. इस दौरान उन्होंने कृषि मंत्री बादल पत्रलेख का पुतला भी फूंका. झारखंड के थोक खाद्यान्न व्यापारियों और राइस मिलों ने बुधवार को अपने-अपने व्यवसायिक प्रतिष्ठान को बंद भी रखा.

ये भी पढ़ें: झारखंड में कृषि बाजार शुल्क के विरोध में व्यापारियों ने किया दुकान बंद, थोक विक्रेताओं का महाजुटान

15 फरवरी से अनिश्चिकालीन बंदी की घोषणा: झारखंड चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के बैनर तले बुधवार को मोरहाबादी के संगम गार्डन में हुई बैठक में 15 फरवरी से राज्य भर के सभी थोक खाद्यान्न विक्रेताओं ने अनिश्चितकालीन बंदी की घोषणा की. बैठक के बाद आंदोलित व्यवसायियों ने काले झंडे के साथ आक्रोश मार्च निकाला और मोरहाबादी मैदान में कृषि मंत्री बादल पत्रलेख का पुतला फूंका. आक्रोशित व्यवसायियों ने हेमंत सोरेन सरकार को व्यवसायी विरोधी, किसान विरोधी और आम जन विरोधी बताते हुए "झारखंड राज्य कृषि उपज एवं पशुधन विपणन (संवर्धन और सुविधा) विधेयक 2023" को वापस लेने की मांग की.

रामगढ़ उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी का विरोध करने का फैसला: राज्यभर से रांची आये थोक खाद्यान्न व्यवसायियों ने कहा कि इस काले कानून को लेकर कांग्रेस का जिस तरह का रवैया रहा है, अब समय आ गया है कि रामगढ़ उपचुनाव में कांग्रेस को सबक सिखाया जाए. वक्ताओं ने कहा कि कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी से मुलाकात कर अपनी बात रखने के बावजूद कांग्रेस और सरकार इस काले कानून को अमलीजामा पहनाने में लगी है. ऐसे में रामगढ़ में व्यवसायी किसी का समर्थन भले ही न करें, लेकिन कांग्रेस उम्मीदवार का विरोध जरूर करें. वक्ताओं ने कहा है कि अब आरपार की लड़ाई के लिए व्यवसायी तैयार है.

एक दिवसीय बंदी का दिखा व्यापक असर: खाद्यान्न व्यवसायियों के एक दिवसीय बंदी की वजह से आज राज्य का सबसे बड़ा कृषि उत्पाद बाजार, पंडरा में सन्नाटा छाया रहा. अपर बाजार और सभी राइस और फ्लोर मिल्स में उत्पादन बंद रहा. इस एक दिन के बंदी की वजह से 80 से 100 करोड़ के कारोबार प्रभावित होने की उम्मीद है.

खाद्यान्न व्यवसायी क्यों कर रहे हैं विरोध: राज्य के थोक कृषि उत्पाद व्यापारियों का कहना है कि झारखंड की सरकार "झारखंड राज्य कृषि उपज एवं पशुधन विपणन (संवर्धन और सुविधा) विधेयक 2023" के जरिये कृषि बाजार शुल्क के रूप में 2% टैक्स वसूलना चाहती है. वर्ष 2015 में जिस व्यवस्था को रघुवर दास की सरकार ने समाप्त कर दिया था, उसे यह सरकार वापस ला रही है. पहले से ही राज्य की आम जनता महंगाई की मार झेल रही. चावल, दाल, गेंहू, मोटे अनाज, खाद्यान्न, मसाले सब महंगे हैं. इस टैक्स की वजह से आम जनता के लिए ही खाद्यान्न और भी ज्यादा महंगे हो जाएंगे.

चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज का एक तर्क यह भी: झारखंड चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज का यह भी कहना है कि झारखंड के पड़ोसी राज्यों में कृषि उत्पाद पर बाजार शुल्क नहीं लगता. ऐसे में राज्य के सीमावर्ती थोक व्यापारियों को नुकसान उठाना पड़ेगा क्योंकि अन्य पड़ोसी राज्य के व्यवसायी को 2% की बचत होगी और यहां के व्यवसायीयों के पास अपना व्यापार समेटने के अलावा कोई उपाय नहीं है.

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रांची: कृषि उत्पाद की खरीद-बिक्री पर सरकार की ओर से 2% का कृषि बाजार शुल्क लगाने के विरोध में राज्यभर के खाद्यान्न व्यवसायियों ने बुधवार को रांची में बैठक की. बैठक के बाद आक्रोशित व्यवसायियों ने काले झंडे और तख्तियां लेकर विरोध मार्च निकाला. इस दौरान उन्होंने कृषि मंत्री बादल पत्रलेख का पुतला भी फूंका. झारखंड के थोक खाद्यान्न व्यापारियों और राइस मिलों ने बुधवार को अपने-अपने व्यवसायिक प्रतिष्ठान को बंद भी रखा.

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15 फरवरी से अनिश्चिकालीन बंदी की घोषणा: झारखंड चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के बैनर तले बुधवार को मोरहाबादी के संगम गार्डन में हुई बैठक में 15 फरवरी से राज्य भर के सभी थोक खाद्यान्न विक्रेताओं ने अनिश्चितकालीन बंदी की घोषणा की. बैठक के बाद आंदोलित व्यवसायियों ने काले झंडे के साथ आक्रोश मार्च निकाला और मोरहाबादी मैदान में कृषि मंत्री बादल पत्रलेख का पुतला फूंका. आक्रोशित व्यवसायियों ने हेमंत सोरेन सरकार को व्यवसायी विरोधी, किसान विरोधी और आम जन विरोधी बताते हुए "झारखंड राज्य कृषि उपज एवं पशुधन विपणन (संवर्धन और सुविधा) विधेयक 2023" को वापस लेने की मांग की.

रामगढ़ उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी का विरोध करने का फैसला: राज्यभर से रांची आये थोक खाद्यान्न व्यवसायियों ने कहा कि इस काले कानून को लेकर कांग्रेस का जिस तरह का रवैया रहा है, अब समय आ गया है कि रामगढ़ उपचुनाव में कांग्रेस को सबक सिखाया जाए. वक्ताओं ने कहा कि कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी से मुलाकात कर अपनी बात रखने के बावजूद कांग्रेस और सरकार इस काले कानून को अमलीजामा पहनाने में लगी है. ऐसे में रामगढ़ में व्यवसायी किसी का समर्थन भले ही न करें, लेकिन कांग्रेस उम्मीदवार का विरोध जरूर करें. वक्ताओं ने कहा है कि अब आरपार की लड़ाई के लिए व्यवसायी तैयार है.

एक दिवसीय बंदी का दिखा व्यापक असर: खाद्यान्न व्यवसायियों के एक दिवसीय बंदी की वजह से आज राज्य का सबसे बड़ा कृषि उत्पाद बाजार, पंडरा में सन्नाटा छाया रहा. अपर बाजार और सभी राइस और फ्लोर मिल्स में उत्पादन बंद रहा. इस एक दिन के बंदी की वजह से 80 से 100 करोड़ के कारोबार प्रभावित होने की उम्मीद है.

खाद्यान्न व्यवसायी क्यों कर रहे हैं विरोध: राज्य के थोक कृषि उत्पाद व्यापारियों का कहना है कि झारखंड की सरकार "झारखंड राज्य कृषि उपज एवं पशुधन विपणन (संवर्धन और सुविधा) विधेयक 2023" के जरिये कृषि बाजार शुल्क के रूप में 2% टैक्स वसूलना चाहती है. वर्ष 2015 में जिस व्यवस्था को रघुवर दास की सरकार ने समाप्त कर दिया था, उसे यह सरकार वापस ला रही है. पहले से ही राज्य की आम जनता महंगाई की मार झेल रही. चावल, दाल, गेंहू, मोटे अनाज, खाद्यान्न, मसाले सब महंगे हैं. इस टैक्स की वजह से आम जनता के लिए ही खाद्यान्न और भी ज्यादा महंगे हो जाएंगे.

चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज का एक तर्क यह भी: झारखंड चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज का यह भी कहना है कि झारखंड के पड़ोसी राज्यों में कृषि उत्पाद पर बाजार शुल्क नहीं लगता. ऐसे में राज्य के सीमावर्ती थोक व्यापारियों को नुकसान उठाना पड़ेगा क्योंकि अन्य पड़ोसी राज्य के व्यवसायी को 2% की बचत होगी और यहां के व्यवसायीयों के पास अपना व्यापार समेटने के अलावा कोई उपाय नहीं है.

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