रांची: झारखंड को पशुपालन, मत्स्यपालन के क्षेत्र में अग्रणी राज्य बनाने के लिए यहां पशुपालन और मत्स्यपालन की योजना है. अब अनुसंधान और वेटनरी एजुकेशन के क्षेत्र में भी झारखंड को अग्रणी राज्य बनाने की पहल तेज हुई है. इसकी शुरुआत झारखंड में वेटनरी विश्वविद्यालय की स्थापना से होगी (First Veterinary University in Jharkhand), झारखंड सरकार के कृषि एवं पशुपालन विभाग ने इसके लिए अपनी तैयारी लगभग पूरी कर ली है और सरकार की योजना इसी वित्तीय वर्ष में राज्य में वेटनरी विश्वविद्यालय स्थापित कर देने की है.
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रांची में होगा राज्य का पहला वेटनरी विश्वविद्यालय-बादल पत्रलेख: झारखंड के कृषि एवं पशुपालन मंत्री बादल पत्रलेख ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि राज्य में पशुपालन एवं मत्स्यपालन में सभी समस्याओं को दूर करने को लेकर सरकार पूरी तरह गंभीर है. उन्हें विरासत में ये समस्याएं मिली थी. जिसे जड़ से दूर करने की कोशिश विभाग कर रहा है. बादल पत्रलेख ने कहा कि बिना पशुपालन को बढ़ावा दिए, राज्य के किसानों की आय दोगुनी करने का सपना पूरा नहीं किया जा सकता है. ऐसे में जरूरी है कि राज्य में कृषि के साथ साथ पशुपालन का स्तर भी हमारा वर्ल्ड लेवल का हो. यहां वेटनरी साइंस की पढ़ाई, रिसर्च की गतिविधियां भी बढ़े और युवाओं को वेटनरी के क्षेत्र में भविष्य बनाने का ज्यादा से ज्यादा मौका उपलब्ध हो, इसके लिए सरकार राज्य में अलग से वेटनरी यूनिवर्सिटी की स्थापना करने जा रही है. उन्होंने उम्मीद जताई कि इस वित्तीय वर्ष में ही यह योजना धरातल पर उतर जाएगी. कृषि एवं पशुपालन मंत्री ने कहा कि नए वेटनरी विश्वविद्यालय का मुख्यालय रांची में ही होगा.
अभी बिरसा कृषि विश्वविद्यालय से ही जुड़ा है राज्य का वेटनरी और फिशरीज कॉलेज: राज्य में अभी रांची वेटनरी कॉलेज, फिशरीज कॉलेज गुमला और डेयरी संस्थान रांची के बिरसा कृषि विश्वविद्यालय से अंगीभूत हैं. कृषि, पशुपालन विभाग की पहल है कि राज्य में अलग से वेटनरी विश्वविद्यालय हो, जहां से इन संस्थानों को जोड़ा जाए ताकि पशुपालन एवं मत्स्यपालन के क्षेत्र में राज्य में बेहतरीन शिक्षण और अनुसंधान हो सके.
राज्य में करोड़ों की संख्या में हैं पशु: 20वें पशु गणना के अनुसार राज्य में 01 करोड़ 11 लाख 88 हजार 770 गायें थीं, तो 13 लाख 50 हजार 313 भैंस, 06 लाख 41 हजार 183 भेड़, 91 लाख 21 हजार 173 बकरियां और 01 करोड़ 35 लाख 59 हजार 528 मुर्गियां थी. इसी तरह बड़ी संख्या बत्तख, घोड़ा, सुअर एवं अन्य पशुओं की थी. अलग वेटनरी यूनिवर्सिटी से इन सभी पशुओं पक्षियों के स्वास्थ्य एवं अनुसंधान का लाभ राज्य को मिलेगा.
फैकल्टी के अभाव में रांची वेटनरी कॉलेज में नए सेशन में नामांकन पर VCI ने लगा रखी है रोक: सरकार एक ओर अलग से राज्य में वेटनरी यूनिवर्सिटी खोलने जा रही है तो दूसरी ओर राज्य के इकलौते वेटनरी कॉलेज में वेटनरी काउंसिल ऑफ इंडिया ने फैकल्टी मानक के अनुरूप नहीं होने की वजह से नए बैचलर इन वेटनरी साइंस में नए सत्र में नामांकन पर रोक लगा रखी है. इसका निवारण कब होगा इस सवाल पर बादल पत्रलेख ने कहा कि फैकल्टी के लिए JPSC को अधियाचना भेजी गई है और विश्वविद्यालय खुल जाने से इन सभी समस्याओं का समाधान हो जाएगा.