रांची: 2019 में जेवीएम के टिकट पर विधानसभा चुनाव जीतकर आए बाबूलाल मरांडी, प्रदीप यादव और बंधु तिर्की के दल-बदल मामले में स्पीकर ने सोमवार को सुनवाई की. बाबूलाल मरांडी के वकील आरएन सहाय ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि दल बदल मामले में स्पीकर के नोटिस को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है, लिहाजा, तब तक यहां सुनवाई बंद की जाए. जवाब में स्पीकर की ओर से कहा गया कि ऐसा संभव नहीं है.बाबूलाल मरांडी के वकील की दलील सुनने के बाद स्पीकर ने सुनवाई की अगली तारीख 17 दिसंबर तय कर दी.
स्पीकर के सामने सुनवाई के लिए सिर्फ बंधु तिर्की उपस्थित हुए थे, जबकि बाबूलाल मरांडी और प्रदीप यादव की तरफ से उनके वकील आए थे. सुनवाई के दौरान बंधु तिर्की ने अपना पक्ष रखना चाहा तो स्पीकर ने कहा कि 17 दिसंबर को ही एक साथ तीनों विधायकों का पक्ष सुना जाएगा. इससे पहले स्पीकर की ओर से मिले नोटिस के जवाब में बाबूलाल मरांडी के वकील आरएन सहाय की ओर से कहा गया था कि चुनाव आयोग ने भी उन्हें बीजेपी विधायक की मान्यता दी है, इसलिए संविधान की 10वीं अनुसूचित के तहत नोटिस जारी करना गलत है.
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आपको बता दें कि 24 दिसंबर 2019 को विधानसभा चुनाव का परिणाम आने के बाद 17 फरवरी 2020 को तत्कालीन बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की मौजूदगी में बाबूलाल मरांडी बीजेपी में शामिल हो गए थे. इससे पहले साल 2006 में बीजेपी से अलग होकर बाबूलाल मरांडी ने झारखंड विकास मोर्चा का गठन किया था. 2009 में खुद कोडरमा से लोकसभा का चुनाव जीते थे. 2009 में ही 11 विधायकों की जीत के साथ झारखंड की राजनीति में अपनी मजबूत स्थिति दर्ज कराई थी, लेकिन 2014 के चुनाव में उनकी पार्टी सिर्फ आठ सीटें ही जीत सकी. बाद में छह विधायक बीजेपी में शामिल हो गए. यह साल बाबूलाल मरांडी के लिए तकलीफदेह रहा, क्योंकि वह खुद राजधनवार और गिरिडीह से चुनाव हार गए थे. तभी से उनके बीजपी में आने की अटकलें लग रहीं थीं, लेकिन बीजेपी में लौटने का फैसला करते-करते उन्हें चौदह साल लग गए. अब जब लौटे तो उन्हें बीजेपी के विधायक दल का नेता चुने जाने के बाद भी नेता प्रतिपक्ष का दर्जा नहीं मिला. 2020 में बाबूलाल के बीजेपी में जाने के बाद बंधु तिर्की और प्रदीप यादव कांग्रेस में शामिल हो गए.