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घटेगा 2020-21 का वित्तीय बजट, इन योजनाओं को बंद करने के मूड में है झारखंड सरकार - झारखंड सरकार की ओर से 2020-21 के सत्र के लिए पेश किए जाने वाला मूल बजट

झारखंड सरकार की ओर से 2020-21 के सत्र के लिए पेश किए जाने वाला मूल बजट इस बार कई मायनों में अलग होगा. इस बजट की कुल राशि 31 मार्च को समाप्त होने वाले मौजूदा वित्तीय वर्ष की राशि से लगभग 400 करोड़ रुपये कम रहेगी. इतना ही नहीं जिन योजनाओं का लाभ लोगों तक नहीं पहुंचा हो वैसी योजनाओं पर भी सरकार कड़ा रुख अख्तियार करने जा रही है.

घटेगा 2020-21 का वित्तीय बजट, इन योजनाओं को बंद करने के मूड में है झारखंड सरकार
वित्त मंत्री
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Published : Feb 12, 2020, 4:34 PM IST

रांचीः झारखंड सरकार की ओर से वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए पेश किए जाने वाला मूल बजट कई मायनों में अलग होगा. आधिकारिक सूत्रों पर यकीन करें तो इस बजट की कुल राशि 31 मार्च को समाप्त होने वाले मौजूदा वित्तीय वर्ष की राशि से लगभग 400 करोड़ रुपये कम रहेगी. इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि राज्य सरकार अपने आय और व्यय के बीच एक संतुलन बनाए रखना चाहती है ताकि फिसकल डिफिसिट ज्यादा नहीं बढ़े.

देखें पूरी खबर

और पढ़ें- संथाल परगना के छात्रों को मिलेगा 9.5 करोड़ का ये खास तोहफा, हाईटेक होंगी सुविधाएं

बंद होंगी कुछ योजनाएं

मौजूदा सरकार कई पुरानी योजनाओं को बंद करने का मन बना चुकी है. विभागीय सूत्रों का यकीन करें तो झारखंड विधानसभा में 3 मार्च को पेश होने वाले बजट में रोजगार, किसान, स्वास्थ्य और बिजली पर सबसे ज्यादा फोकस होने की संभावना है. इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि विभागीय समीक्षा के दौरान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सभी विभागों से खाली पड़े पदों को लेकर फीडबैक लिया. उनमें नियुक्ति की प्रक्रिया से जुड़े कदम उठाने का निर्देश दिया है. इतना ही नहीं जिन योजनाओं की वजह से बजटीय उपबंध बढ़ाना पड़ा हो और उसका लाभ को तक लाभ नहीं पहुंचा हो वैसी योजनाओं पर भी सरकार कड़ा रुख अख्तियार करने जा रही है. उनमें मुख्यमंत्री कृषि आशीर्वाद योजना और महिलाओं के नाम से 50 लाख रुपये तक की एक रुपए रजिस्ट्री योजना सबसे शीर्ष पर है.

बजट पर पड़ा था बोझ

दरअसल पिछली सरकार में शुरू हुए मुख्यमंत्री कृषि आशीर्वाद योजना के तहत यह बातें सामने निकलकर आई कि इसका सीधा लाभ किसानों को नहीं मिला. जबकि सरकार पर वित्तीय बोझ बढ़ा. वहीं भूमि और राजस्व विभाग को भी एक रुपए महिलाओं के नाम रजिस्ट्री योजना की वजह से 300 करोड़ से अधिक का नुकसान मौजूदा वित्त वर्ष में झेलना पड़ा है. चूंकि दोनों योजनाएं डायरेक्ट 'बेनिफिट' वाली हैं, इसलिए राज्य सरकार इनमें चेक एंड बैलेंस का फार्मूला अपना सकती है. सूत्रों का यकीन करें तो एक तरफ जहां मुख्यमंत्री कृषि आशीर्वाद योजना पर तलवार लटकी है. वहीं दूसरी तरफ राज्य सरकार किसानों की ऋण माफी को लेकर गंभीर है. वहीं एक रुपए जमीन रजिस्ट्री योजना का स्लैब 50 लाख रुपये से घटाकर काफी नीचे किया जा सकता है, ताकि सरकार को राजस्व की हानि ना हो. साथ ही सरकार दिल्ली की तर्ज पर मुफ्त बिजली देने की तैयारी भी कर रही है. इस बाबत विभाग में फाइल का मूवमेंट शुरू हो गया है.

सूत्रों की मानें तो 300 यूनिट तक बिजली खपत करने वाले परिवार को शुरुआती सौ यूनिट मुफ्त दी जाने की संभावनाएं ज्यादा है. सूत्रों के अनुसार सड़क निर्माण विभाग का बजट घट सकता है. वहीं समाज कल्याण का बजट पहले के जैसा ही रहने की संभावना है. कृषि विभाग का बजट का आकार बढ़ने की उम्मीद है.

2019-20 में 7155.63 करोड़ का राजकोषीय घाटा

दरअसल वित्त वर्ष 2019-20 में राज्य सरकार का राजकोषीय है घाटा 7155.63 करोड होने का अनुमान लगाया गया था. हालांकि यह और बढ़ने की उम्मीद है. वर्ष 2019 में प्रस्तावित कृषि बजट 7231.40 करोड रुपए का है जो इस वित्त वर्ष में और बढ़ सकता है. उसी तरह अनुसूचित जनजाति क्षेत्र और अनुसूचित जाति विकास बजट का आकार लगभग समान रहने की संभावना है.

रांचीः झारखंड सरकार की ओर से वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए पेश किए जाने वाला मूल बजट कई मायनों में अलग होगा. आधिकारिक सूत्रों पर यकीन करें तो इस बजट की कुल राशि 31 मार्च को समाप्त होने वाले मौजूदा वित्तीय वर्ष की राशि से लगभग 400 करोड़ रुपये कम रहेगी. इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि राज्य सरकार अपने आय और व्यय के बीच एक संतुलन बनाए रखना चाहती है ताकि फिसकल डिफिसिट ज्यादा नहीं बढ़े.

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बंद होंगी कुछ योजनाएं

मौजूदा सरकार कई पुरानी योजनाओं को बंद करने का मन बना चुकी है. विभागीय सूत्रों का यकीन करें तो झारखंड विधानसभा में 3 मार्च को पेश होने वाले बजट में रोजगार, किसान, स्वास्थ्य और बिजली पर सबसे ज्यादा फोकस होने की संभावना है. इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि विभागीय समीक्षा के दौरान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सभी विभागों से खाली पड़े पदों को लेकर फीडबैक लिया. उनमें नियुक्ति की प्रक्रिया से जुड़े कदम उठाने का निर्देश दिया है. इतना ही नहीं जिन योजनाओं की वजह से बजटीय उपबंध बढ़ाना पड़ा हो और उसका लाभ को तक लाभ नहीं पहुंचा हो वैसी योजनाओं पर भी सरकार कड़ा रुख अख्तियार करने जा रही है. उनमें मुख्यमंत्री कृषि आशीर्वाद योजना और महिलाओं के नाम से 50 लाख रुपये तक की एक रुपए रजिस्ट्री योजना सबसे शीर्ष पर है.

बजट पर पड़ा था बोझ

दरअसल पिछली सरकार में शुरू हुए मुख्यमंत्री कृषि आशीर्वाद योजना के तहत यह बातें सामने निकलकर आई कि इसका सीधा लाभ किसानों को नहीं मिला. जबकि सरकार पर वित्तीय बोझ बढ़ा. वहीं भूमि और राजस्व विभाग को भी एक रुपए महिलाओं के नाम रजिस्ट्री योजना की वजह से 300 करोड़ से अधिक का नुकसान मौजूदा वित्त वर्ष में झेलना पड़ा है. चूंकि दोनों योजनाएं डायरेक्ट 'बेनिफिट' वाली हैं, इसलिए राज्य सरकार इनमें चेक एंड बैलेंस का फार्मूला अपना सकती है. सूत्रों का यकीन करें तो एक तरफ जहां मुख्यमंत्री कृषि आशीर्वाद योजना पर तलवार लटकी है. वहीं दूसरी तरफ राज्य सरकार किसानों की ऋण माफी को लेकर गंभीर है. वहीं एक रुपए जमीन रजिस्ट्री योजना का स्लैब 50 लाख रुपये से घटाकर काफी नीचे किया जा सकता है, ताकि सरकार को राजस्व की हानि ना हो. साथ ही सरकार दिल्ली की तर्ज पर मुफ्त बिजली देने की तैयारी भी कर रही है. इस बाबत विभाग में फाइल का मूवमेंट शुरू हो गया है.

सूत्रों की मानें तो 300 यूनिट तक बिजली खपत करने वाले परिवार को शुरुआती सौ यूनिट मुफ्त दी जाने की संभावनाएं ज्यादा है. सूत्रों के अनुसार सड़क निर्माण विभाग का बजट घट सकता है. वहीं समाज कल्याण का बजट पहले के जैसा ही रहने की संभावना है. कृषि विभाग का बजट का आकार बढ़ने की उम्मीद है.

2019-20 में 7155.63 करोड़ का राजकोषीय घाटा

दरअसल वित्त वर्ष 2019-20 में राज्य सरकार का राजकोषीय है घाटा 7155.63 करोड होने का अनुमान लगाया गया था. हालांकि यह और बढ़ने की उम्मीद है. वर्ष 2019 में प्रस्तावित कृषि बजट 7231.40 करोड रुपए का है जो इस वित्त वर्ष में और बढ़ सकता है. उसी तरह अनुसूचित जनजाति क्षेत्र और अनुसूचित जाति विकास बजट का आकार लगभग समान रहने की संभावना है.

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