रांची: राज्य में लंबे समय से चल रहे वित्त रहित शैक्षणिक संस्थान सरकारी मकड़जाल में फंसकर रह गए हैं. हालत यह है कि वेतनमान की बात तो दूर अनुदान के लिए भी स्कूल और कॉलेज तरस रहे हैं. ऐसे में सरकार की वादाखिलाफी के विरोध में झारखंड राज्य वित्त रहित शिक्षा संयुक्त संघर्ष मोर्चा ने बड़ा आंदोलन करने की तैयारी की है. इसके तहत स्थायीकरण की मांग कर रहे राज्य के करीब 15000 वित्त रहित शिक्षण संस्थानों में कार्यरत कर्मियों ने विधायक आवास का घेराव करने का निर्णय लिया है.
30 सितंबर से दो अक्टूबर तक करेंगे आंदोलनः आंदोलन के तहत 30 सितंबर और 01 अक्टूबर को सभी जिलों में स्थित विधायक आवास का घेराव किया जाएगा. इसके अलावा दो अक्टूबर को राजभवन के समक्ष राज्यभर से करीब 15000 वित्त रहित शैक्षणिक संस्थानों के कर्मी पहुंचकर सरकार से पूर्व की घोषणा के अनुसार स्थायीकरण की मांग करेंगे.
राज्य में लंबे समय से संचालित हैं वित्त रहित शैक्षणिक संस्थानः राज्य में लंबे समय से वित्त रहित शैक्षणिक संस्थान संचालित हैं. जिसमें 15000 से अधिक कर्मी काम करते हैं. जानकारी के मुताबिक राज्य में 178 प्रस्वीकृत इंटर कॉलेज, 106 प्रस्वीकृत और 207 राज्य सरकार से स्थापना अनुमति प्राप्त उच्च विद्यालय, 33 संस्कृत विद्यालय और 46 मदरसा हैं, जिसमें करीब 4 लाख से ज्यादा बच्चे पढ़ते हैं.
राज्य सरकार को दिया अल्टीमेटमः झारखंड राज्य वित्त रहित शिक्षा संयुक्त संघर्ष मोर्चा के संयोजक सुरेंद्र झा ने सरकार को अल्टीमेटम देते हुए कहा है कि यदि सरकार उनकी मांगों को नहीं मानती है तो राज्य के वित्त रहित शिक्षक और कर्मी सड़क पर उतरेंगे. विधायक आवास का घेराव करने के बाद राजभवन के समक्ष एक दिवसीय आंदोलन किया जाएगा.
सरकार पर लगाया वादाखिलाफी का आरोपः उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के द्वारा सदन में आश्वासन और स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के सचिव के 11 अक्टूबर 2021 के पत्र में कहा गया था कि वित्त रहित शिक्षा नीति समाप्त कर नियमावली बनाकर वित्त रहित कर्मचारियों की सेवा सरकारी संवर्ग में करते हुए वेतन दिया जाएगा, लेकिन सरकार अपना वादा भूल गई. इस कारण वित्त रहित शिक्षक आज दर-दर भटकने को मजबूर हैं.